पंजाब का राजनीतिक परिदृश्य (The political scenario Of Panjab) अब अलग है. बड़ी संख्या में पार्टियां मैदान में हैं. पार्टियों की नजर इस बार भी वोटों के ध्रुवीकरण (Polarization of Vote) पर है. पंजाब में ध्रुवीकरण का मतलब हिंदू या मुस्लिम वोटों का बंटना नहीं बल्कि हिंदू और सिख मतदाताओं के ध्रुवीकरण से है. जैसे 2017 के चुनाव को देखें तो कांग्रेस दलित, गैर-दलित, ओबीसी और सिख वोटों की मदद से सरकार बनाने में सफल रही थी.
साथ ही पंथक सीटों पर अकालियों की स्थिति कमजोर थी. अब जब अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) कांग्रेस से अलग हो गए हैं तो कांग्रेस ने दलित वर्ग के चरणजीत चन्नी को सीएम बनाकर नया दांव खेला है. दूसरी ओर जाट सिख सुखजिंदर रंधावा और हिंदू चेहरे ओपी सोनी को डिप्टी सीएम बनाया गया. जाट सिख नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. यानी चुनाव से पहले कांग्रेस ने राजनीतिक समीकरणों को साधने पूरी कोशिश की है.
पार्टियों का राजनीतिक समीकरण
कांग्रेस ही नहीं शिरोमणि अकाली दल (SAD) भी इसी राह पर चल रहा है. बसपा (BSP) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है. शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि अगर गठबंधन सत्ता में आया तो सिखों के मुख्यमंत्री के साथ-साथ हिंदू और अनुसूचित जाति के उपमुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे. वहीं आप (AAP) ने भगवंत मान (Bhagwant Man) को सीएम चेहरा बना दिया है. पार्टी ने एससी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले हरपाल चीमा को विपक्ष के नेता की भूमिका भी दी है. वहीं चुनावी गठबंधन से पहले बीजेपी अनुसूचित जाति का सीएम बनाने की घोषणा कर चुकी है.
बेअदबी एक पुराना मामला
हाल के दिनों में बेअदबी के मामले सामने आए, हालांकि राज्य में पहले भी बेअदबी के मामले हुए हैं. पिछले चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की हार की एक वजह बेअदबी भी थी. वहीं कांग्रेस अपने पांच साल के शासन में बेअदबी पर कुछ खास नहीं कर पाई. मामला फिर तब उठा जब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक शख्स ने बेअदबी करने की कोशिश की. अब ऐसा ही वाकया पटियाला के देवी मंदिर में हुआ. दोनों घटनाओं का संबंध सिख और हिंदू समुदाय से था, जो ध्रुवीकरण का संकेत देता है.
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मलेरकोटला में हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण
इधर, पंजाब के पूर्व डीजीपी और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या चुनाव में जिस तरह के हालात पैदा हुए हैं, वह पंजाब की राजनीति को ध्रुवीकरण की ओर नहीं ले जाते हैं. हालांकि, मामला सामने आने के बाद पूर्व डीजीपी ने हिंदू शब्द के इस्तेमाल का खंडन किया और जांच की मांग की.
जनसंख्या के आंकड़े
साल 2012 के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब की कुल आबादी 2.80 करोड़ से ज्यादा है जिसमें सिखों की आबादी करीब 58 फीसदी है. हिंदुओं की आबादी 38 प्रतिशत से अधिक है. दिलचस्प बात यह है कि लगभग 33 प्रतिशत आबादी एससी समुदाय की है, जिसमें सिख और हिंदू दोनों हैं. ईसाई 1.3 प्रतिशत हैं और अन्य जैन, बौद्ध और अन्य धर्मों से हैं. राज्य के 22 में से 18 जिलों में सिख बहुसंख्यक हैं.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा चूक का मुद्दा
राजनीतिक मामलों के प्रोफेसर गुरमीत सिंह का कहना है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिरोजपुर आए तो किसानों के विरोध के कारण उनका काफिला फ्लाईओवर पर रुक गया. पीएम की सुरक्षा में चूक (Security lapse of PM an Issue) का मामला न सिर्फ राज्य बल्कि देश की राजनीति पर भी काफी दिनों तक छाया रहा. इसे हिंदुओं की भावनाओं से जोड़ने का भी प्रयास किया गया. उनका कहना है कि इस मामले की वजह से बीजेपी हिंदुओं का समर्थन हासिल करने में कुछ हद तक सफल रही. लेकिन वोटों में इसका कितना फायदा होगा, यह कहना मुश्किल है. गुरमीत सिंह ने कहा कि राज्य में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसका फायदा सभी राजनीतिक दल उठा सकते हैं. राजनीतिक विश्लेषक सुखबीर बाजवा का कहना है कि हालात राजनीतिक दलों को इसका फायदा उठाने के लिए न्यौता दे रहे हैं.
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राजनीतिक समीकरण बनाम ध्रुवीकरण
शिरोमणि अकाली दल एक नए साथी (बसपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में है. शिरोमणि अकाली दल की पुरानी सहयोगी भाजपा पंजाब लोक कांग्रेस (PLC) के साथ चुनावी मैदान में है और संयुक्त अकाली दल बड़े भाई की भूमिका में है. वहीं, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और किसान दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए जीत का अंतर भी कम होगा. इसलिए ध्रुवीकरण की जरूरत सभी पार्टियों को महसूस हो रही है, जो पहले कभी नहीं हुई. प्रोफेसर गुरमीत सिंह का कहना है कि जहां तक इस समय के राजनीतिक संघर्ष की बात है जिस तरह से चुनाव से पहले पंजाब में माहौल बनाया जा रहा है, इसका असर मतदाताओं पर भी पड़ेगा.
नेताओं की प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ कांग्रेस को ध्रुवीकरण की बड़ी आशंका है. यह चिंता पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने जताई है. सिद्धू का कहना है कि अब पंजाब में डर, नफरत और ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू हो गई है. इसके साथ ही वह काली देवी मंदिर में बेअदबी की घटनाओं की निंदा करना पसंद करते हैं, लेकिन उनका यह भी कहना है कि विघटनकारी ताकतें पंजाबियत के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को कभी नहीं तोड़ सकतीं.
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा और सांसद भगवंत मान का कहना है कि यह सब राजनीति पंजाब का माहौल खराब करने और भाईचारा तोड़ने के लिए की जा रही है. लेकिन पंजाब के लोग ऐसा नहीं होने देंगे. पंजाब में हो रही बेअदबी की घटनाओं को लेकर उनका कहना है कि यह सब पिछली सरकार की गलतियों की वजह से हो रहा है. उनके मुताबिक इन घटनाओं का मास्टरमाइंड कहीं और बैठकर अपनी हरकतों को अंजाम दे रहा है.
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शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर बादल कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार में हुई बेअदबी के दोषियों को अब तक पकड़ा भी नहीं गया है. इसके पीछे किसकी साजिश है इसका खुलासा अभी तक नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि चुनाव में माहौल खराब करने की साजिश पुरानी है.
इन सबके बीच बीजेपी महासचिव सुभाष शर्मा का कहना है कि पार्टी ऐसे मामलों की कड़ी निंदा करती है. पार्टी सरकार से मांग करती है कि आरोपियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे डाला जाए. उनका यह भी कहना है कि कुछ लोग पंजाब के आपसी भाईचारे और शांति को खराब करना चाहते हैं.