पुणे : पीपीई किट पहनने के बाद डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के साथ अन्य लोगों के लिए सांस लेना दुभर हो जाता है, क्योंकि इसे पहनने के बाद कहीं से भी हवा आने की गुंजाइश नहीं बचती है, जिसके कारण वे पसीने में लथपथ हो जाते हैं. बावजूद इसके वे कोरोना महामारी में पीपीई किट पहन संक्रमित मरीजों के बीच जाकर उनकी जान बचाने में जुटे हुए हैं. लेकिन, पुणे के एक छात्र ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से एक ऐसा वेंटिलेटर बनाया है, जो पीपीई किट में आसानी से फिट हो जाता है. यह वेंटिलेटर डॉक्टरों और अन्य पीपीई किट पहनने वालो को बड़ी राहत देगा.
मुंबई में पढ़ाई कर रहे पुणे के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग के 19 वर्षीय छात्र निहाल सिंह आदर्श ने कोव-टेक वेंटिलेटर सिस्टम बनाया है. वह दावा करते हैं कि पीपीई किट में उनके वेंटिलेटर को लगाने के बाद संक्रमण का खतरा कम होगा और पसीने आने की समस्या से भी निजात मिलेगी.
कैसे आया निहाल को कमाल के वेंटिलेटर का आइडिया
निहाल की मां एक डॉक्टर हैं और वह जानती हैं कि पीपीई किट में घंटो तक रहना कितना मुश्किल है. बता दें, जब निहाल अपनी इंजीनियरिंग की पहले साल की पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें कोविड-19 से संबंधित एक प्रोजेक्ट मिला था. निहाल ने जब अपनी मां से इस बारे में बात की, तो उन्हें महसूस हुआ कि घंटो-घंटो पीपीई किट पहनना कितनी बड़ी मुसीबत है. निहाल ने अपने दोस्तों की मदद से वेंटिलेटर का चित्र बनाया और इस पर काम करना शुरू कर दिया.
कैसे पहनते हैं कोव-टेक वेंटिलेटर
निहाल ने एक स्टार्टअप कंपनी वैट टैक्नोवेशन के अंतर्गत अपना प्रोजेक्ट शुरू किया. इस कोव-टेक वेंटिलेटर को पीपीई किट में बेल्ट की तरह कमर पर बांधा जा सकता है. यह एक तरह से हैंडी फैन की तरह है, जिसमें छोटा सा पंखा लगा हुआ है. यह वेंटिलेटर बैटरी से चार्ज होता है.
इस डिवाइस से कोरोना संक्रमण का खतरा कम रहता है. निहाल ने बताया कि पुणे में डॉक्टर उनकी इस डिवाइस का इस्तेमाल कर रहे हैं.
निहाल के जे सौम्या इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं. उन्होंने सोमैया विद्या विहार विद्यापीठ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से कोव-टेक वेंटिलेशन सिस्टम विकसित किया. उन्हें एमआईडीएचआई की ओर से युवा और महत्वाकांक्षी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख रुपये का अनुदान मिला है.
कई राज्यों में उठी इसकी मांग
निहाल के इस काबिले तारीफ वेंटिलेटर की मांग सिर्फ पुणे में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी है. कुछ सामाजिक संगठन भी इस डिवाइस की मांग कर रह हैं. वहीं, कुछ लोग इस डिवाइस को डॉक्टर को तोहफे में देने के लिए खरीदना चाहते हैं.
ऐसे में निहाल की मां को उनके बेटे पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है. निहाल की मां ने अपने बेटे की प्रशंसा में कहा, उसने 19 साल की उम्र में इतनी उपयोगी डिवाइस बनाई है. मुझे बहुत खुशी है कि इस किट को इस्तेमाल करने वाली मैं पहली इंसान हूं, यह हमें पीपीई किट पहनते समय होने वाली बहुत सी असुविधाओं से बचाएगा.'