पानीपत: उद्योग नगरी पानीपत में नई टेक्नोलॉजी और नए आयाम स्थापित होने के बाद अब देश विदेश में भी पानीपत के बने प्रोडक्ट अपना लोहा मनवा रहे है. हैंडलूम और टेक्सटाइल के प्रोडक्ट के बाद पानीपत में बने धागा का भी दुनिया भर में बोलबाला है. पानीपत में बने रंगीन धागे ने अब सबसे बड़े धागा उत्पादक इटली को पीछे छोड़कर विश्व भर में प्रथम स्थान हासिल कर लिया है. पानीपत में लगभग 135 से 140 यूनिट में रोजाना 35 से 40 लाख किलो धागे का उत्पादन किया जा रहा है.
पानी की बड़ी किल्लत को देखते हुए पानीपत के उद्यमियों ने जर्मनी की तकनीक से बनाई गई मशीनों से बिना पानी के रंगीन धागा तैयार किया है. इससे हर रोज करोड़ों लीटर पानी बच रहा है. पानीपत में 135 यूनिटों के अंदर 510 मशीनें लगाई हैं. इन मशीनों की धागा उत्पादन की क्षमता पुरानी मशीनों से 3 गुना ज्यादा है. इन मशीनों से पानीपत के धागा उद्योग को एक नई रफ्तार मिली है.
बड़ी बात यह है कि नई मशीन में पानी की खपत नहीं है और राहत की बात यह है कि इन मशीनों के कारण प्रदूषण भी बहुत कम फैल रहा है. बता दें कि सरकार द्वारा अक्टूबर माह में प्रदूषण के कारण कोयला संचालित बॉयलर बंद कर कर दिए थे, जिसके कारण रंगीन धागा बनना कम हो गया था. वहीं, इन जर्मन की मशीनों ने धागा उद्योग में नई क्रांति ला दी है.
उत्तर भारत रोटर्स स्पिनर्स एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सचदेवा ने बताया कि भारत ने 2023 में रंगीन धागा उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि इटली इन दिनों 20 लाख किलो ग्राम प्रतिदिन धागे का उत्पादन कर रहा है. वहीं, भारत 35 लाख किलो ग्राम प्रतिदिन रंगीन धागे का उत्पादन कर रहा है, जोकि इटली से लगभग दोगुना के करीब है.
उन्होंने कहा कि यह उद्योगपतियों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी गर्व का विषय है. यह जर्मनी की अत्याधुनिक मशीनों की मदद से संभव हुआ है. यहां बिना पानी इस्तेमाल के रंगीन धागे का उत्पादन किया जा रहा है. हर रोज 35 लाख किलोग्राम धागे का उत्पादन हो रहा है, जो विश्व में सबसे ज्यादा है.
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