नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में धान खरीद और खाद वितरण में अव्यवस्था को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना साधा. प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट भी साझा की.
उन्होंने लिखा, 'धान खरीददारी में कुव्यवस्था के चलते लखीमपुर के एक किसान को मंडी में पड़े धान में आग लगानी पड़ी. खाद वितरण में कुव्यवस्था के चलते ललितपुर के एक किसान की लाइन में खड़े-खड़े मृत्यु हो गई. उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ललितपुर जिले में शुक्रवार को खाद लेने के लिए लाइन लगे एक व्यक्ति की मौत हो गई. व्यक्ति डीएपी खाद लेने के लिए दो दिनों से लाइन में लग रहा था, फिर भी उसे खाद नहीं मिल पाई और उसे अपनी जान गंवानी पड़ी. मृतक किसान भोगी पाल (55) जाखलौन थाना क्षेत्र के नया गांव के रहने वाले थे.
वह डीएपी खाद के लिए दो दिन से जुगपुरा स्थित खाद भंडार केंद्र के बाहर लाइन लग रहे थे, शुक्रवार सुबह वह लाइन लगे थे, इसी दौरान सीने में दर्द में तेज दर्द हुआ और वह गिर पड़े. इसके बाद उन्हें पास के अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
वहीं, लखीमपुर खीरी जिले में मोहम्मदी मंडी में पिछले पांच दिनों से धान की खरीद का इंतजार कर रहे किसान का सब्र टूट गया. जब धान नहीं बिका तो किसान ने पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. इसके बाद मंडी में अफरा-तफरी मच गई. किसी तरह आग बुझाई गई. बाद में मौके पर पहुंचे एसडीएम ने किसान को धान खरीद का आश्वासन दिया.
बताया जा रहा है कि धान में आग लगाने वाले किसान समोद सिंह बरखेड़ा गांव के पूर्व प्रधान हैं और खुद को मोहम्मदी से भाजपा विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह का समर्थक बताते हैं.
समोद सिंह का कहना है कि 12 अक्टूबर को वह ढाई सौ कुंतल धान लेकर मोहम्मदी मंडी गए थे. मोहम्मदी मंडी में तब से धान पड़ा है. 19 अक्टूबर को लगातार तीन दिनों तक हुई बारिश में धान भीगने लगा तो उन्होंने त्रिपाल डालकर किसी तरह धान को बचाया. इस दौरान थोड़ा बहुत धान भीग गया तो खरीद एजेंसी वालों ने खरीदने से इनकार कर दिया और सुखाने के लिए कहा.
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समोद सिंह ने बताया कि रात-दिन एक कर के उन्होंने दो दिनों में धान सुखाया, इसके बावजूद एजेंसी खरीद को तैयार नहीं थी. समोद सिंह ने बताया कि धान खरीदने के लिए विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह से भी सिफारिश कराई लेकिन वह भी काम नहीं आया.
समोद सिंह ने बताया कि उनके धान में 17 फीसदी ही मास्टर आया था, इससे वह बहुत निराश हो गए और उनके पास जो 100 रुपये बचे थे उसका वह पेट्रोल खरीद लाए और धान में आग लगा दी.
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