लखीमपुर खीरी : कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी दोपहर करीब डेढ़ बजे लखीमपुर खीरी जिले के इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बसे तिकुनिया में पहुंची. यहां तीन अक्टूबर को गृह राज्य मंत्री के बेटे के वाहन से कुचले गए किसानों के लिए अंतिम अरदास का कार्यक्रम रखा गया था.
संयुक्त किसान मोर्चा ने मारे गए किसानों की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया था. इस कार्यक्रम में किसी भी सियासी पार्टी के नेता के भाषण देने पर पहले से ही किसान संयुक्त मोर्चा ने रोक लगा रखी थी. यह मंच किसी भी सियासी पार्टी के नुमाइंदे को साझा नहीं करने दिया गया.
संचालन कर रहे प्रोफेसर दर्शनपाल ने प्रियंका गांधी के आने पर संगत को उनके आने के बारे में बताया. प्रियंका गांधी को भी मंच साझा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. प्रियंका भी बड़ी सादगी के साथ वहां पहुंचीं. दरबार साहब के सामने माथा टेका और चुपचाप जाकर पीछे संगत में बैठ गईं.
प्रियंका गांधी को देखकर मीडिया के कैमरे उनकी तरफ घूमने लगे लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने अपने वालेंटियर्स को सक्रिय कर दिया. वालेंटियर्स ने कैमरे मंच की तरफ मुड़वा दिए. प्रियंका गांधी मीडिया से मुखातिब नहीं हुईं. आंखें बंद किए कुछ देर गुरुवाणी सुनती रहीं. बाद में घायल किसानों से प्रियंका ने वहीं पर एक-एक करके मुलाकात की और घटना के बारे में पूछा.
यह भी पढ़ें-सावरकर को बदनाम करने की चल रही मुहिम, कहीं अगला निशाना विवेकानंद न हो जाएं : भागवत
प्रियंका गांधी की चुप्पी, सभी सियासी दलों पर भारी पड़ती नजर आई. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी किसानों के पक्ष में खड़े दिखाई दिए. लखीमपुर में अंतिम अरदास के मौके पर प्रियंका गांधी ने चुप्पी साधे रखी लेकिन उन्हें जो करना था, उसमें वे पूरी तरह कामयाब हो गईं.