नई दिल्ली : लोक सभा में आज अनिवार्य वोटिंग को लेकर विधेयक (bill on compulsory voting) पेश किया गया. लोक सभा सांसद पीपी चौधरी ने कंपलसरी वोटिंग पर प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र परिपक्व हो चुका है. उन्होंने कहा कि 1950 में फंडामेंटल राइट के प्रावधान किए गए.
पीपी चौधरी ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में वोटिंग का अधिकार अहम होता है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में आर्टिकल 19 लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के संदर्भ में कंपलसरी वोटिंग का कानून दिलचस्प है. पीपी चौधरी ने कहा कि आर्टिकल 21 में नागरिकों को वोट के अधिकार दिए गए हैं. यह फंडामेंटल राइट है.
सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि इस तरह की कंपलसरी वोटिंग की बात करें तो फ्रीडम ऑफ स्पीच आपको अपनी राजनीतिक राय जाहिर ना करने का अधिकार देता है. ऐसे में यह मानव अधिकार का हनन करने वाला होगा. आप बस उसे वोट देने के लिए परस्यूएड कर सकते हैं.
अनिवार्य वोटिंग के संबंध में कानून बनाने के संबंध में पीपी चौधरी ने कहा कि यह नागरिकों का अधिकार है कि वह मत डालना चाहता है या नहीं. उन्होंने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार के स्थानीय निकाय चुनावों में अनिवार्य मतदान के कानून पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कानून नहीं लाया जा सकता क्योंकि मतदान नागरिकों का अधिकार है, ड्यूटी नहीं है.
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बता दें कि भाजपा सांसद जनार्दन सिग्रीवाल ने12 जुलाई, 2019 को यह बिल लोकसभा में पेश किया था.
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