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प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को 50 फीसदी सीटों पर लागू करनी होगी सरकारी फीस : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक अब प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों की फीस अब किसी भी सरकारी कॉलेज के बराबर होगी. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

national medical commission
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (प्रतीकात्मक)
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Published : Feb 5, 2022, 10:19 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों पर फीस के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं. शनिवार को जारी किए गए नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार प्राइवेट कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस अब किसी भी सरकारी कॉलेज के बराबर होगी. इस शुल्क का लाभ पहले उन उम्मीदवारों को मिलेगा, जिन्होंने सरकारी कोटे की सीटें हासिल की हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने कहा कि व्यापक विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि प्राइवेट कालेज और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों की फीस उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शुल्क के बराबर होना चाहिए. इसके अलावा यदि सरकारी कोटे की सीटें कुल स्वीकृत सीटों के 50 फीसदी से कम है तो बाकी बचे उम्मीदवारों को उनकी योग्यता के आधार पर ये सीटें दी जाएंगीं.

वैसे ये वो मांग है जो लंबे समय से मेडिकल के छात्र कर रहे थे. इस बारे में लगातार कहा जा रहा था कि मेडिकल कॉलेजों की फीस में कटौती की जाए, वहीं कोरोना काल के दौरान यह मांग और तेज कर दी गई थी. अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने उस मांग पर सहमति जता दी है. एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जिस वजह से जरूरतमंद छात्रों को कम फीस में भी मेडिकल की शिक्षा मिल पाएगी.

ये भी पढ़ें - ओडिशा में बनी पहली रैपिड एंटीजन टेस्ट किट को ICMR ने दी मंजूरी

बता दें कि इस फैसले से पहले 2019 में एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया था. उस कमेटी का यही काम था कि उन्हें एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की फीस पर मंथन करना था. फिर लोगों की राय लेनी थी और एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना था जिससे सभी को समान अवसर मिल सकें. अब उस ओर नेशनल मेडिकल कमीशन ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने प्राइवेट कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों पर फीस के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं. शनिवार को जारी किए गए नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार प्राइवेट कॉलेजों में 50 फीसदी सीटों की फीस अब किसी भी सरकारी कॉलेज के बराबर होगी. इस शुल्क का लाभ पहले उन उम्मीदवारों को मिलेगा, जिन्होंने सरकारी कोटे की सीटें हासिल की हैं.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने कहा कि व्यापक विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि प्राइवेट कालेज और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों की फीस उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के शुल्क के बराबर होना चाहिए. इसके अलावा यदि सरकारी कोटे की सीटें कुल स्वीकृत सीटों के 50 फीसदी से कम है तो बाकी बचे उम्मीदवारों को उनकी योग्यता के आधार पर ये सीटें दी जाएंगीं.

वैसे ये वो मांग है जो लंबे समय से मेडिकल के छात्र कर रहे थे. इस बारे में लगातार कहा जा रहा था कि मेडिकल कॉलेजों की फीस में कटौती की जाए, वहीं कोरोना काल के दौरान यह मांग और तेज कर दी गई थी. अब नेशनल मेडिकल कमीशन ने उस मांग पर सहमति जता दी है. एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जिस वजह से जरूरतमंद छात्रों को कम फीस में भी मेडिकल की शिक्षा मिल पाएगी.

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बता दें कि इस फैसले से पहले 2019 में एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया था. उस कमेटी का यही काम था कि उन्हें एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की फीस पर मंथन करना था. फिर लोगों की राय लेनी थी और एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार करना था जिससे सभी को समान अवसर मिल सकें. अब उस ओर नेशनल मेडिकल कमीशन ने बड़ा कदम बढ़ा दिया है.

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