जबलपुर। मध्यप्रदेश में जल्द ही प्रीपेड स्मार्ट डिजिटल मीटर का प्रयोग शुरू होगा. मध्य प्रदेश के ऊर्जा सचिव संजय दुबे का ने दावा किया है कि मोबाइल डाटा की तरह ही बिजली का रिचार्ज अब उपभोक्ता कर सकेंगे. मध्यप्रदेश में जल्दी ही प्रीपेड डिजिटल स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की जा रही है. इन मीटर्स को पहले कुछ बड़े शहरों में लगाया जाएगा. दिसंबर तक प्रदेश भर में लगभग 50,000 ऐसे स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की जा चुकी है. धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जाएगा.
प्रीपेड बेचने में फायदा: मोबाइल डाटा प्रीपेड और पोस्टपेड दो तरीके से दिया जाता है और ज्यादातर लोग प्रीपेड मोबाइल डाटा का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इससे इस्तेमाल करने वाले को इस बात की जानकारी होती है कि उसने कितना डाटा इस्तेमाल किया और उसके अकाउंट में कितना डाटा बचा हुआ है. इसलिए इस्तेमाल करने वाला डाटा का इस्तेमाल किफायत से करता है. वहीं कंपनी को भी प्रीपेड बेचने में फायदा होता है, क्योंकि इस्तेमाल होने के पहले ही कंपनी के अकाउंट में पैसा आ जाता है. व्यापार के इसी मॉडल का उपयोग अब बिजली कंपनियां करने जा रही हैं.
बड़े शहरों में लगाया जाएगा प्रीपेड डिजिटल स्मार्ट: मध्य प्रदेश के ऊर्जा सचिव संजय दुबे का कहना है कि मध्यप्रदेश में जल्दी ही प्रीपेड डिजिटल स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की जा रही है. इन मीटर्स को पहले कुछ बड़े शहरों में लगाया जाएगा. दिसंबर तक प्रदेश भर में लगभग 50,000 ऐसे स्मार्ट मीटर लगाने की तैयारी की जा चुकी है. धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जाएगा. संजय दुबे का कहना है कि यह अत्याधुनिक मीटर लगने के बाद बिजली चोरी की समस्या से निजात मिलेगी और बिजली बिल का कनेक्शन आसानी से हो सकेगा. इसके साथ ही लोगों में बिजली की बचत और किफायती ढंग से इसे खर्च करने की समझ पैदा होगी. प्रीपेड बिजली मीटर ना केवल बिजली कंपनियों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह आम उपभोक्ताओं के लिए भी फायदे का सौदा होगी.
शुरुआती दौर में आती है परेशानी: मध्य प्रदेश से पहले देश के कई राज्य इस प्रयोग को कर चुके हैं, लेकिन सभी जगहों पर कुछ ना कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आई हैं. किसी भी तकनीक के शुरुआती इस्तेमाल में ऐसी समस्याएं आना सामान्य बात मानी जाती है. धीरे-धीरे तकनीक में सुधार होता है और फिर यह सरल हो जाती है. प्रीपेड स्मार्ट डिजिटल मीटर में भी शुरुआती दौर में कुछ समस्याएं सामने आएंगी. बिजली की ट्रिपिंग की समस्या भी आम उपभोक्ता के लिए एक बड़ी समस्या है. ऊर्जा सचिव का दावा है कि जल्द ही इस समस्या को कम से कम करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए कई उपकरण लगाए जा रहे हैं. जिसकी वजह से बिजली की ट्रिपिंग की समस्या खत्म हो सके.
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सस्ती बिजली कैसे मिले: बिजली के मामले में अभी तक जो भी प्रयोग किए गए हैं, उनका फायदा बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को या वितरण करने वाली कंपनियों को ही मिला है. आम आदमी के लिए बिजली दिन-ब-दिन महंगी ही हो रही है. अभी तक किसी भी प्रयोग से सस्ती बिजली पैदा करने का कोई तरीका नहीं मिला है. सौर विद्युत को एक विकल्प के तौर पर जरूर पेश किया गया, लेकिन सौर बिजली का संयंत्र भी काफी महंगा पड़ता है. बिजली और ऊर्जा के सस्ते विकल्पों के लिए अभी भी और शोध करने की जरूरत है.