प्रतापगढ़: सीओ जियाउल हक हत्याकांड की जांच सीबीआई ने फिर शुरू कर दी है. कुंडा के बलीपुर में एक दशक पहले हुए इस हत्याकांड में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की भूमिका फिर से खंगालने का सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया है.
कुंडा सर्किल के सीओ रहे जियाउल हक को भीड़ में घेरकर उस वक्त बेरहमी से मार दिया गया था, जब वह दो मार्च 2013 की रात हथिगवां के बलीपुर गांव में प्रधान नन्हें यादव की हत्या के बाद बिगड़ रहे गांव के हालात को कंट्रोल करने गए थे. उनको लाठी-डंडे से पीटने के बाद गोलियां भी मारी गई थीं. इस कांड में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, गुलशन यादव सहित कई लोगों को साजिश का आरोपी बनाते हुए नामजद किया गया था.
सीबीआई ने इस कांड की जांच करने के बाद रघुराज प्रताप, राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव और कुछ अन्य को क्लीन चिट दे दी थी. इसके बाद सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने कोर्ट की शरण ली थी. उन्होंने घटना के एक आरोपी द्वारा जेल से लिखे गए पत्र को आधार बनाते हुए रघुराज प्रताप सिंह की भूमिका को फिर से जांचने का अनुरोध किया था. इसके बाद कोर्ट से मिले आदेश पर सीबाआई की पांच सदस्यीय टीम बुधवार रात प्रतापगढ़ पहुंची. इसके बाद वह गांव में गई. एसपी सतपाल अंतिल का कहना है कि सीबीआई टीम आई थी. वह कहां गई, किससे मिली, इस बारे में जानकारी नहीं है.
सीओ जियाउल हक हत्याकांड में सीओ की पत्नी परवीन आजाद की तहरीर पर नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, राजा भैया चालक गुड्डू सिंह के खिलाफ हत्या और राजा भैया के खिलाफ हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. राजा भैया उस समय अखिलेश यादव सरकार में जेल मंत्री थे.
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