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आयुर्वेद चिकित्सक से नेता बने प्रमोद सावंत ने गोवा के राजनीतिक इतिहास में जोड़ा नया अध्याय - गोवा में बीजेपी सरकार

आयुर्वेद चिकित्सक एवं उत्तर गोवा की सांखालिम सीट से तीन बार विधायक चुने गए सावंत (48) पर्रिकर को अपना गुरू मानते हैं. सावंत ने सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.

प्रमोद सावंत
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Published : Mar 28, 2022, 2:04 PM IST

पणजी: लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए गोवा के मुख्यमंत्री के रूप शपथ ग्रहण करने वाले प्रमोद सावंत ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने नेतृत्व में 20 सीटों पर जीत दिलाकर राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक अहम अध्याय जोड़ दिया और यह दिखा दिया है कि पार्टी अपने दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर की परछाई से बाहर निकल आई है. आयुर्वेद चिकित्सक एवं उत्तर गोवा की सांखालिम सीट से तीन बार विधायक चुने गए सावंत (48) पर्रिकर को अपना गुरू मानते हैं. सावंत ने सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. भाजपा 2012 से गोवा में सत्ता में है और यह उसकी लगातार तीसरी जीत है.

भगवा दल सत्ता विरोधी लहर और टिकट आवंटन को लेकर पर्रिकर के बेटे समेत कई अहम नेताओं के इस्तीफे के झटकों से सावंत के नेतृत्व में पार पाने में सफल रहा और उसने 40 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए हाल में हुए बहुकोणीय मुकाबले में 20 सीटें जीतकर अपना अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. सावंत राज्य के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश की आशंका को धत्ता बताते हुए पार्टी को विजय दिलाने में सफल रहे. मार्च, 2019 में पहली बार मुख्यमंत्री बने सावंत के नेतृत्व में पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करने में मात्र एक सीट से चूक गई. तीन निर्दलीय विधायकों और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया है.

इससे पहले, भाजपा ने 2012 में 21 सीट जीतकर गोवा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था. उस समय गोवा के राजनीतिक परिदृश्य में पर्रिकर का दबदबा था. भाजपा ने 2017 में जब पर्रिकर के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाई थी, उस समय सावंत को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन मार्च 2019 में पर्रिकर के निधन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया. सावंत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का करीबी माना जाता है और तस्वीरों में वह मुख्यमंत्री रहते हुए संघ के एक कार्यक्रम में भाग लेते दिखाई दिए थे.

सावंत के कार्यकाल के दौरान कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई और उनकी सरकार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा. सावंत की राजनीतिक यात्रा 2008 में आरंभ हुई थी, जब भाजपा ने उन्हें सांखालिम (तत्कालीन पाले) सीट से टिकट दिया था, लेकिन उस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप गौंस से पराजय का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2012 में पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा चुनाव मैदान में उतरी और उस साल सावंत ने इस सीट से जीत हासिल की. तब पहली बार, भाजपा ने अपने दम पर विधानसभा में बहुमत हासिल किया था. इसके बाद सावंत ने 2017 के चुनाव में भी विजय प्राप्त की.

पढ़ें: प्रमोद सावंत ने ली गोवा के सीएम पद की शपथ, लगातार दूसरी बार बने मुख्यमंत्री

पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में सावंत ने कांग्रेस के नेता एवं अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी धर्मेश संगलानी को 666 मतों के अंतर से हराया था. सावंत की पत्नी सुलक्षणा भी भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं और राज्य में पार्टी की महिला शाखा से जुड़ी हुई हैं.

पीटीआई-भाषा

पणजी: लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए गोवा के मुख्यमंत्री के रूप शपथ ग्रहण करने वाले प्रमोद सावंत ने विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने नेतृत्व में 20 सीटों पर जीत दिलाकर राज्य के राजनीतिक इतिहास में एक अहम अध्याय जोड़ दिया और यह दिखा दिया है कि पार्टी अपने दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर की परछाई से बाहर निकल आई है. आयुर्वेद चिकित्सक एवं उत्तर गोवा की सांखालिम सीट से तीन बार विधायक चुने गए सावंत (48) पर्रिकर को अपना गुरू मानते हैं. सावंत ने सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. भाजपा 2012 से गोवा में सत्ता में है और यह उसकी लगातार तीसरी जीत है.

भगवा दल सत्ता विरोधी लहर और टिकट आवंटन को लेकर पर्रिकर के बेटे समेत कई अहम नेताओं के इस्तीफे के झटकों से सावंत के नेतृत्व में पार पाने में सफल रहा और उसने 40 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए हाल में हुए बहुकोणीय मुकाबले में 20 सीटें जीतकर अपना अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. सावंत राज्य के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश की आशंका को धत्ता बताते हुए पार्टी को विजय दिलाने में सफल रहे. मार्च, 2019 में पहली बार मुख्यमंत्री बने सावंत के नेतृत्व में पार्टी स्पष्ट बहुमत हासिल करने में मात्र एक सीट से चूक गई. तीन निर्दलीय विधायकों और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) के दो विधायकों ने भाजपा को समर्थन दिया है.

इससे पहले, भाजपा ने 2012 में 21 सीट जीतकर गोवा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था. उस समय गोवा के राजनीतिक परिदृश्य में पर्रिकर का दबदबा था. भाजपा ने 2017 में जब पर्रिकर के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाई थी, उस समय सावंत को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन मार्च 2019 में पर्रिकर के निधन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया. सावंत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का करीबी माना जाता है और तस्वीरों में वह मुख्यमंत्री रहते हुए संघ के एक कार्यक्रम में भाग लेते दिखाई दिए थे.

सावंत के कार्यकाल के दौरान कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत हुई और उनकी सरकार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत के चलते आलोचना का सामना करना पड़ा. सावंत की राजनीतिक यात्रा 2008 में आरंभ हुई थी, जब भाजपा ने उन्हें सांखालिम (तत्कालीन पाले) सीट से टिकट दिया था, लेकिन उस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप गौंस से पराजय का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2012 में पर्रिकर के नेतृत्व में भाजपा चुनाव मैदान में उतरी और उस साल सावंत ने इस सीट से जीत हासिल की. तब पहली बार, भाजपा ने अपने दम पर विधानसभा में बहुमत हासिल किया था. इसके बाद सावंत ने 2017 के चुनाव में भी विजय प्राप्त की.

पढ़ें: प्रमोद सावंत ने ली गोवा के सीएम पद की शपथ, लगातार दूसरी बार बने मुख्यमंत्री

पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में सावंत ने कांग्रेस के नेता एवं अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी धर्मेश संगलानी को 666 मतों के अंतर से हराया था. सावंत की पत्नी सुलक्षणा भी भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं और राज्य में पार्टी की महिला शाखा से जुड़ी हुई हैं.

पीटीआई-भाषा

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