मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल (Senior NCP leader Praful Patel) ने बुधवार को कहा कि जब तक शरद पवार (Sharad Pawar) पद से हटने के अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करते वह पार्टी प्रमुख बने रहेंगे और तब तक उनके उत्तराधिकारी को चुने जाने पर कोई चर्चा नहीं होगी. इस सिलसिले में एनसीपी प्रमुख नियुक्ति समिति की बैठक 5 मई को होगी. राकांपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पटेल ने यहां संवाददाताओं से यह भी कहा कि वह शीर्ष पद की दौड़ में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पवार ने अपने उत्तराधिकारी का फैसला करने के लिए मंगलवार को जिस समिति का गठन किया था, उसकी बुधवार को बैठक नहीं हुई.
पटेल ने कहा, 'यदि स्थिति उत्पन्न होती है, तो समिति पवार के उत्तराधिकारी पर निर्णय लेगी और निर्णय सर्वसम्मत होगा. जब पार्टी ने उन्हें इस पर पुनर्विचार करने के लिए कहा, उन्होंने अपने निर्णय पर विचार करने के लिए समय मांगा और जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक उनके उत्तराधिकारी पर विचार करने का कोई सवाल ही नहीं है.' उन्होंने कहा, 'कोई रिक्ति नहीं है.' साथ ही पटेल ने कहा, 'पवार अध्यक्ष रहें या न रहें, वे पार्टी की पहचान और आत्मा हैं.' पटेल से उन खबरों के बारे में पूछा गया जिनमें कहा गया कि राकांपा नेता सुप्रिया सुले राष्ट्रीय अध्यक्ष और अजित पवार महाराष्ट्र इकाई प्रमुख हो सकते हैं. कुछ खबरों में यह भी कहा गया कि पटेल पवार की जगह ले सकते हैं.
पटेल ने कहा कि पार्टी पवार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए राजी करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, 'पार्टी कार्यकर्ताओं को धैर्य रखना चाहिए और सामूहिक रूप से (पवार के फैसले के विरोध में) अपने पदों से इस्तीफा देना बंद कर देना चाहिए.' पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि चूंकि वह समिति के संयोजक है, इसलिए जब इसकी बैठक होगी, इस बारे में सूचित करेंगे. उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि प्रदेश राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल पार्टी से नाराज हैं. पटेल ने कहा कि पाटिल अपने चीनी सहकारी कारखाने की बैठक में भाग लेने के लिए पुणे में थे.
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राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की 'वज्रमूठ' रैलियों को भीषण गर्मी की स्थिति के कारण स्थगित कर दिया गया है और यह रविवार को तय किया गया था जब मुंबई में एक रैली आयोजित की गई थी. पटेल ने कहा, 'इसका पवार के राकांपा प्रमुख पद से हटने से कोई लेना देना नहीं है.'
जानिए घटनाक्रम से जुड़े बिंदुओं के बारे में
राकांपा नेताओं द्वारा अनौपचारिक चर्चा : शरद पवार आज मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में मौजूद थे. वहां एनसीपी नेताओं से उनकी अनौपचारिक चर्चा हुई, लेकिन वह बैठक में शामिल नहीं हुए. वहीं इससे पहले एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि उनका मानना है कि सुप्रिया सुले राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक रोल मॉडल हैं क्योंकि वह मुद्दों को अच्छी तरह से जानती हैं. सांसद के तौर पर वह अच्छा काम कर रही हैं. इसलिए नया अध्यक्ष चुनने में कोई दिक्कत नहीं होगी. अजीत पवार को राज्य (महाराष्ट्र) की कमान संभालनी चाहिए.
समिति की एक भी बैठक नहीं : भुजबल ने कहा कि जब पवार ने राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफे की घोषणा की तो हर कोई हैरान रह गया. हम उन्हें अपना फैसला पलटने के लिए राजी करेंगे. एनसीपी नेताओं की बैठक के बाद भुजबल ने कहा कि शरद पवार द्वारा उनके उत्तराधिकारी पर फैसला करने के लिए बनाई गई समिति ने एक भी बैठक नहीं की. चूंकि हम मुंबई में थे, हम अनौपचारिक रूप से इस बात पर चर्चा करने के लिए मिले कि पवार को अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए कैसे राजी किया जाए. भुजबल ने कहा कि मैंने सुप्रिया सुले के बारे में जो कुछ कहा वह मेरी निजी राय है.
कार्यकर्ता ने खून से लिखा पत्र : ऑटो रिक्शा चलाने वाले पुणे के एनसीपी कार्यकर्ता संदीप काले ने शरद पवार को लिखे पत्र में दावा किया है कि वह उनके जैसे साधारण कार्यकर्ताओं के लिए भगवान हैं. उन्होंने निर्णय को वापस लेने का अनुरोध करते हुए अपील की कि पार्टी के कई अन्य कार्यकर्ता अनाथ नहीं होने चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं पिछले 10 साल से ऑटो रिक्शा चला रहा हूं. वह कई वर्षों तक पार्टी के कार्यकर्ता रहे हैं. मुझे आपका फैसला पसंद नहीं आया. मैंने अपने खून से एक पत्र लिखा है और उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भेजा है.
राकांपा कार्यकर्ताओं का इस्तीफा : दूसरे राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि शरद पवार राज्य में राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों के भीष्म पितामह हैं. उनकी ऊर्जा हमें शक्ति देती है. उन्होंने कहा कि उन्होंने एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है और ठाणे में कार्यकर्ताओं ने भी इस्तीफा दे दिया है. आव्हाड ने कहा कि शरद पवार से इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया गया है। इस समय राज्य में राजनीतिक तूफान चल रहा है और इस स्थिति से लड़ने के लिए शरद पवार के समर्थन की जरूरत है.
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(इनपुट-एजेंसी)