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जल्लीकट्टू 2024 में शक्तिशाली बैल को वश में करने के लिए तैयार हैं युवक

Jallikattu 2024- चेन्नई के मदुरै शहर पोंगल त्योहार के अवसर पर जल्लीकट्टू के पारंपरिक खेल के आयोजन किया जाता है. इस त्योहार में शक्तिशाली बैलों को वश में करने वाले निडर युवक अपनी-अपनी वीरता और कौशल का प्रदर्शन करते है. इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण पुरुषों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. पढ़ें पूरी खबर...

Jallikattu 2024 (File Photo)
जल्लीकट्टू 2024 (फाइल फोटो)
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By PTI

Published : Jan 7, 2024, 12:48 PM IST

Updated : Jan 7, 2024, 1:46 PM IST

चेन्नई: सुगंधित चमेली के फूल की कलियों के लिए लोकप्रिय मदुरै शहर पोंगल त्योहार के अवसर पर जल्लीकट्टू के पारंपरिक खेल के आयोजन के लिए पूरी तरह से तैयार है. इसमें शक्तिशाली बैलों को वश में करने वाले निडर युवक अपनी-अपनी वीरता और कौशल का प्रदर्शन करेंगे. मदुरै जिले के अवनियापुरम, पलामेडु और अलंगनल्लूर में होने वाले भव्य आयोजनों के लिए सैकड़ों प्रशिक्षित एवं ताकतवर बैलों और बैलों को वश में करने का जुनून रखने वाले तथा अपनी निडर प्रवृत्ति के लिए पहचाने जाने वाले पुरुषों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है. मदुरै में पोंगल उत्सव के दौरान जल्लीकट्टू के अखाड़े जीवंत हो उठते हैं.

15 जनवरी को पोंगल के दिन होगा जल्लीकट्टू आयोजित
जल्लीकट्टू के मद्देनजर व्यवस्थाओं की निगरानी करने वाली मदुरै की जिलाधिकारी एम एस संगीता ने कहा कि अवनियापुरम जल्लीकट्टू 15 जनवरी को पोंगल के दिन आयोजित किया जाएगा. इसके बाद 16 जनवरी को पलामेडु और 17 जनवरी को अलंगनल्लूर में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. त्योहार की छुट्टियों के दौरान तीन दिवसीय यह कार्यक्रम पूरे राज्य का ध्यान आकर्षित करेगा.

जल्लीकट्टू में भाग लेने के लिए स्वस्थ आहार जरुरी
जल्लीकट्टू में भाग लेने वाले बैल और युवक दोनों ही आयोजन के लिए प्रशिक्षण के अलावा पौष्टिक आहार भी ले रहे हैं. जानवरों को तैराकी, पैदल चलने का प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें विजेता बनने के लिए उनकी ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने के लिए स्वस्थ आहार दिया जाता है. मदुरै के एक बैल के मालिक पंडी ने कहा कि हम हर साल राज्य के प्रमुख आयोजन, अलंगनल्लूर जल्लीकट्टू में भाग लेते रहे हैं.

आगे कहा कि हमारे जानवरों को तैराकी, पैदल चलने के नियम पर रखा गया है और उन्हें विजेता बनाने के लिए उनकी ताकत एवं सहनशक्ति बढ़ाने के लिए स्वस्थ आहार प्रदान किया जाता है. बैलों को वादीवासल (प्रवेश बिंदु जहां जानवरों को अखाड़े में छोड़ा जाता है) से बाहर निकलते समय झपट्टा मारने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है.

ऑनलाइन रजिस्टर हो गया शुरू
एक अन्य बैल मालिक दुरई ने कहा कि हम युवाओं को बैलों का कूबड़ पकड़ने से रोकने के लिए बैलों को लंबे सींगों के साथ अपने सिर को जोर-जोर से हिलाने के लिए प्रशिक्षित करते हैं. जिला प्रशासन ने खेल के लिए बैलों और उन्हें काबू करने वाले युवकों के ऑनलाइन पंजीकरण की अनुमति दी है और फिटनेस प्रमाणपत्र जमा करना अनिवार्य कर दिया है. जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खेल के आयोजन के दौरान जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जाएगी कि कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को चोट न लगे.

पहली बार श्रीलंका में जल्लीकट्टू हुआ आयोजित

पहली बार श्रीलंका में खेला गया जल्लीकट्टू (पीटीआई)
पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में ज्यादातर तमिलनाडु में मनाया जाने वाला सदियों पुराना कार्यक्रम जल्लीकट्टू शनिवार को पहली बार श्रीलंका में आयोजित किया गया. श्रीलंका का पहला जल्लीकट्टू कार्यक्रम त्रिंकोमाली में आयोजित किया गया था. ये आयोजन त्रिंकोमाली के सैमपुर इलाके में आयोजित किया गया था, जिसमें 200 से ज्यादा सांड और 100 से लोगों ने हिस्सा लिया था. तमिलनाडु के शिवगंगई जिले से श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के गवर्नर सेंथिल थोनाडामन ने इस कार्यक्रम के आयोजन का नेतृत्व किया. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये आयोजन तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच साझा विरासत को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

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जल्लीकट्टू के मद्देनजर व्यवस्थाओं की निगरानी करने वाली मदुरै की जिलाधिकारी एम एस संगीता ने कहा कि अवनियापुरम जल्लीकट्टू 15 जनवरी को पोंगल के दिन आयोजित किया जाएगा. इसके बाद 16 जनवरी को पलामेडु और 17 जनवरी को अलंगनल्लूर में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. त्योहार की छुट्टियों के दौरान तीन दिवसीय यह कार्यक्रम पूरे राज्य का ध्यान आकर्षित करेगा.

जल्लीकट्टू में भाग लेने के लिए स्वस्थ आहार जरुरी
जल्लीकट्टू में भाग लेने वाले बैल और युवक दोनों ही आयोजन के लिए प्रशिक्षण के अलावा पौष्टिक आहार भी ले रहे हैं. जानवरों को तैराकी, पैदल चलने का प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें विजेता बनने के लिए उनकी ताकत और सहनशक्ति बढ़ाने के लिए स्वस्थ आहार दिया जाता है. मदुरै के एक बैल के मालिक पंडी ने कहा कि हम हर साल राज्य के प्रमुख आयोजन, अलंगनल्लूर जल्लीकट्टू में भाग लेते रहे हैं.

आगे कहा कि हमारे जानवरों को तैराकी, पैदल चलने के नियम पर रखा गया है और उन्हें विजेता बनाने के लिए उनकी ताकत एवं सहनशक्ति बढ़ाने के लिए स्वस्थ आहार प्रदान किया जाता है. बैलों को वादीवासल (प्रवेश बिंदु जहां जानवरों को अखाड़े में छोड़ा जाता है) से बाहर निकलते समय झपट्टा मारने के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है.

ऑनलाइन रजिस्टर हो गया शुरू
एक अन्य बैल मालिक दुरई ने कहा कि हम युवाओं को बैलों का कूबड़ पकड़ने से रोकने के लिए बैलों को लंबे सींगों के साथ अपने सिर को जोर-जोर से हिलाने के लिए प्रशिक्षित करते हैं. जिला प्रशासन ने खेल के लिए बैलों और उन्हें काबू करने वाले युवकों के ऑनलाइन पंजीकरण की अनुमति दी है और फिटनेस प्रमाणपत्र जमा करना अनिवार्य कर दिया है. जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खेल के आयोजन के दौरान जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जाएगी कि कार्यक्रम के दौरान दर्शकों को चोट न लगे.

पहली बार श्रीलंका में जल्लीकट्टू हुआ आयोजित

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पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में ज्यादातर तमिलनाडु में मनाया जाने वाला सदियों पुराना कार्यक्रम जल्लीकट्टू शनिवार को पहली बार श्रीलंका में आयोजित किया गया. श्रीलंका का पहला जल्लीकट्टू कार्यक्रम त्रिंकोमाली में आयोजित किया गया था. ये आयोजन त्रिंकोमाली के सैमपुर इलाके में आयोजित किया गया था, जिसमें 200 से ज्यादा सांड और 100 से लोगों ने हिस्सा लिया था. तमिलनाडु के शिवगंगई जिले से श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के गवर्नर सेंथिल थोनाडामन ने इस कार्यक्रम के आयोजन का नेतृत्व किया. उन्होंने उम्मीद जताई कि ये आयोजन तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच साझा विरासत को आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

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Last Updated : Jan 7, 2024, 1:46 PM IST
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