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सीबीआई और आईएएस-आईपीएस-आईएफएस के इतने पद खाली

कार्मिक मंत्रालय ने संसद में बताया कि सीबीआई में 22 फीसदी से अधिक पद खाली हैं. सीबीआई में कर्मियों की स्वीकृत शक्ति 7,295 है और रिक्तियों की संख्या 1,673 है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएस) के अधिकारियों के 1,472 पद, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों के 864 पद तथा भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों के 1,057 पद रिक्त हैं.

Jitendra singh, minister
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह
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Published : Dec 14, 2022, 5:07 PM IST

नई दिल्ली : देश की शीर्ष जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कर्मचारियों की संख्या में 22 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं. कार्मिक मंत्रालय ने बुधवार को एक लिखित जवाब में कहा, "30 नवंबर, 2022 तक, सीबीआई में कर्मियों की स्वीकृत शक्ति 7,295 है और रिक्तियों की संख्या 1,673 है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों में स्वीकृत 128 अतिरिक्त पद शामिल हैं, जो दिनांक 29.06.2022 के आदेश द्वारा जारी किए गए हैं."

"रिक्तियों का होना और उन्हें भरना एक सतत प्रक्रिया है. अधिकारियों के प्रवेश, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति और रिटायरमेंट के आधार पर संख्या बदलती रहती है. भर्ती नियमों/अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार रिक्तियां भरी जाती हैं." उत्तर में आगे कहा गया कि सभी रैंकों पर रिक्तियों को तेजी से भरना सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए गए थे. इसने कहा कि सीबीआई में वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को शामिल करने के प्रस्तावों को दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 4 (सी) (1) के तहत गठित समिति के समक्ष रखा गया था.

इसमें रैंक से संबंधित भर्ती नियमों (आरआर) में प्रावधान के अनुसार ली गई प्रतिनियुक्ति कोटा के तहत विभिन्न रैंकों में रिक्तियों को भरने की कार्रवाई का भी उल्लेख किया गया है. सीबीआई ने सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और निरीक्षक के पदों के लिए नामों को प्रायोजित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, गृह मंत्रालय सहित विभिन्न संगठनों से अनुरोध किया है.

जवाब में कहा गया कि सीबीआई में विभिन्न तकनीकी रैंकों में उपयुक्त अधिकारियों को शामिल करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को प्रस्ताव भेजे गए हैं. केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में एक सवाल पर मंत्रालय ने जवाब दिया, "सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) से अपना कानूनी अधिकार प्राप्त करती है. यह एक स्पष्ट और अच्छी तरह से स्थापित कानूनी और प्रक्रियात्मक ढांचे के भीतर कार्य करता है. डीएसपीई अधिनियम के प्रावधान, मुख्य रूप से केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होते हैं और केवल उनकी सहमति से राज्यों तक विस्तारित होते हैं."

ये भी पढ़ें : शीतकालीन सत्र 2022 : लोकसभा की कार्यवाही का जानें ब्योरा

सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएस) के अधिकारियों के 1,472 पद, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों के 864 पद तथा भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों के 1,057 पद रिक्त हैं. कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों के 6,789, आईपीएस अधिकारियों के 4,984 और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के 3,191 पद स्वीकृत हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आईएएस अधिकारियों की संख्या 5,317, आईपीएस अधिकारियों की संख्या 4,120 और वन सेवा के 2,134 अधिकारी हैं. सिंह ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि वर्ष 2021 की सिविल सेवा परीक्षा में चयनित हुए 91 अभ्यर्थियों को कोई भी सरकारी सेवा आवंटित नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि यह सीमित प्राथमिकता, चिकित्सा जांच के नतीजे, आरक्षित श्रेणी के विफल दावे और उम्मीदवारों द्वारा अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के कारण हुआ.

(एजेंसी)

नई दिल्ली : देश की शीर्ष जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कर्मचारियों की संख्या में 22 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं. कार्मिक मंत्रालय ने बुधवार को एक लिखित जवाब में कहा, "30 नवंबर, 2022 तक, सीबीआई में कर्मियों की स्वीकृत शक्ति 7,295 है और रिक्तियों की संख्या 1,673 है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों में स्वीकृत 128 अतिरिक्त पद शामिल हैं, जो दिनांक 29.06.2022 के आदेश द्वारा जारी किए गए हैं."

"रिक्तियों का होना और उन्हें भरना एक सतत प्रक्रिया है. अधिकारियों के प्रवेश, पदोन्नति, सेवानिवृत्ति और रिटायरमेंट के आधार पर संख्या बदलती रहती है. भर्ती नियमों/अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार रिक्तियां भरी जाती हैं." उत्तर में आगे कहा गया कि सभी रैंकों पर रिक्तियों को तेजी से भरना सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय प्रयास किए गए थे. इसने कहा कि सीबीआई में वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को शामिल करने के प्रस्तावों को दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 4 (सी) (1) के तहत गठित समिति के समक्ष रखा गया था.

इसमें रैंक से संबंधित भर्ती नियमों (आरआर) में प्रावधान के अनुसार ली गई प्रतिनियुक्ति कोटा के तहत विभिन्न रैंकों में रिक्तियों को भरने की कार्रवाई का भी उल्लेख किया गया है. सीबीआई ने सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और निरीक्षक के पदों के लिए नामों को प्रायोजित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, गृह मंत्रालय सहित विभिन्न संगठनों से अनुरोध किया है.

जवाब में कहा गया कि सीबीआई में विभिन्न तकनीकी रैंकों में उपयुक्त अधिकारियों को शामिल करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को प्रस्ताव भेजे गए हैं. केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में एक सवाल पर मंत्रालय ने जवाब दिया, "सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) से अपना कानूनी अधिकार प्राप्त करती है. यह एक स्पष्ट और अच्छी तरह से स्थापित कानूनी और प्रक्रियात्मक ढांचे के भीतर कार्य करता है. डीएसपीई अधिनियम के प्रावधान, मुख्य रूप से केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होते हैं और केवल उनकी सहमति से राज्यों तक विस्तारित होते हैं."

ये भी पढ़ें : शीतकालीन सत्र 2022 : लोकसभा की कार्यवाही का जानें ब्योरा

सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएस) के अधिकारियों के 1,472 पद, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों के 864 पद तथा भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारियों के 1,057 पद रिक्त हैं. कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों के 6,789, आईपीएस अधिकारियों के 4,984 और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के 3,191 पद स्वीकृत हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में आईएएस अधिकारियों की संख्या 5,317, आईपीएस अधिकारियों की संख्या 4,120 और वन सेवा के 2,134 अधिकारी हैं. सिंह ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि वर्ष 2021 की सिविल सेवा परीक्षा में चयनित हुए 91 अभ्यर्थियों को कोई भी सरकारी सेवा आवंटित नहीं की जा सकी है. उन्होंने कहा कि यह सीमित प्राथमिकता, चिकित्सा जांच के नतीजे, आरक्षित श्रेणी के विफल दावे और उम्मीदवारों द्वारा अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के कारण हुआ.

(एजेंसी)

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