रांची: उत्तर प्रदेश पुलिस और असम पुलिस ने ग्राम पंचायतों के आधार पर अपनी-अपनी रिपोर्ट बना कर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल और बंग्लादेश से सटे इलाकों में मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है (Population of Muslims increased). झारखंड और बिहार के कई जिले भी नेपाल और बांग्लादेश की सीमा को छूते हैं. ऐसे में बीजेपी भी विधायक अंनत ओझा ने झारखंड सरकार को भी अलर्ट किया है. उन्होंने इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखने और सीमाई इलाकों में बीएसएफ को 100 किलोमीटर तक जांच और तलाशी लेने की अधिकारी की मांग की है.
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बीजेपी विधायक अनंत ओझा (BJP MLA Anant Ojha) का कहना है कि सीमाई इलाकों में मुस्लिम आबादी बढ़ने (Population of Muslims increased) के पीछे सबसे बड़ा कारण बड़ी संख्या में बंगलादेशी घुसपैठ है. विधायक अनंत ओझा ने कहते हैं कि नेपाल और बंग्लादेश से सटे बिहार-झारखंड के कई जिलों में मुसलमानों की संख्या करीब 35% बढ़ी है. वहीं, देश के अन्य भागों में 10-15% आबादी बढ़ी है. उन्होंने कहा कि झारखंड के पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा और बिहार के पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार, फारबिसगंज के अलावा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की हालत यह है कि इनके कुछ इलाके ऐसे हो गए हैं जहां एक भी हिन्दू या आदिवासी परिवार नहीं है. इन क्षेत्रों का डेमोग्राफी देखेंगे तो 30-40 वर्षों में 100 से 200 गुणा आबादी बढ़ी है. उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति और तुष्टिकरण के कारण आबादी असंतुलन की स्थिति बन गई है.
राजमहल से बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) से मांग की है कि इसे राजनीतिक चश्मे से ना देखकर गंभीरता से लिया जाए. अनंत ओझा का कहना है कि पाकुड़ के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में जो राजस्व गांव या चिरागी गांव हैं ऐसे गांवों की पूरी डेमोग्राफी बदल गई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 1951 की जनगणना और 1952 के वोटर लिस्ट के आधार पर सर्वे के तौर पर इन गांवों में आकलन करे तो पता चल जाएगा कि किस तरह से डेमोग्राफी बदल गया है.
असम पुलिस द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2021 तक बीते एक दशक में सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की दर 31.45% पहुंच गई है जबकि पूरे देश और राज्य में यह बदलाव क्रमशः 12.50% और 13.54% है. इस आधार पर सीमावर्ती इलाकों में मुस्लिम समुदाय की आबादी लगभग 20 फीसदी तक बढ़ चुकी है. खुफिया रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि BSF के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किलोमीटर से बढ़ाकर 100 किलोमीटर कर दिया जाए. अगर ऐसा होता है तो BSF को सीमा से 100 किलोमीटर इलाके तक की रेंज में जांच और तलाशी करने का अधिकार मिल जाएगा. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर, 2021 को असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब राज्यों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी के भीतर 'गिरफ्तारी, तलाशी और जब्त' करने के लिए BSF की शक्तियों को बढ़ाया था.