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कमसाल गांव की पूनम पर टूटा दुःखों का पहाड़, आवास के लिए दर-दर भटकने को मजबूर

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Published : Feb 2, 2022, 9:37 AM IST

रुद्रप्रयाग जनपद के कमसाल गांव की पूनम देवी इन दिनों भारी परेशानियों में अपना गुजर बसर कर रही हैं. पूनम देवी अपने दो मासूम बच्चों के साथ टूटे हुए भवन में रहने को मजबूर हैं, लेकिन उनको सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है.

Poonam of Kamasal village, forced to wander from door to door for house
कमसाल गांव की पूनम पर टूटा दुःखों का पहाड़, आवास के लिए दर-दर भटकने को मजबूर

रुद्रप्रयाग: अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कमसाल गांव में रहने वाली 28 वर्षीय पूनम देवी पर इन दिनों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रकृति ने पूनम देवी पर ऐसा कहर ढाया है कि वह बेघर होकर अपने दो मासूम बच्चों के साथ एक अदद आवास के लिए दर-दर भटक रही हैं, लेकिन उनको कोई ठौर ठिकाना नहीं मिल पा रहा है.

अभी कुछ दिन पहले हुई बारिश में पूनम देवी का पुराना भवन जमींदोज हो गया था. तब से वह उसी टूटे हुए भवन में गुजर बसर कर रही हैं. वैसे तो उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में चढ़ा है, जो पता नहीं कब मिलेगा ? जबकि वर्तमान में उन्हें आवास की सख्त आवश्यकता है. इस कड़ाके की ठंड में वे अपने दो मासूम बच्चों के साथ टूटे हुए मकान में रह रही हैं, जहां दिन में बन्दर तथा रात में जंगली जानवरों का डर बना हुआ है.

कैंसर ने पति को निगला: पूनम देवी (28) के पति धर्मेन्द राणा की मृत्यु सात वर्ष पूर्व हो गई थी. वे गाड़ियों में क्लीनर का काम करते थे. शादी के तीन वर्ष बाद ही वे कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित होकर चल बसे. जो कुछ जमा पूंजी थी, वह बीमारी में खर्च हो गई. पति की मृत्यु के समय उनका एक बेटा दो वर्ष का तथा बेटी एक वर्ष की थी. 4 वर्ष पूर्व सास ससुर ने भी उन्हें अलग कर दिया, जिसके बाद वह एक टूटे हुए मकान में अपने बच्चों के साथ किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रही हैं.

बारिश ने बरपाया कहर: 6 जनवरी को हुई बारिश में उनके मकान की छत ढह गई. कुछ दिन दूसरों के घरों में शरण लेकर उन्होंने छत तो जैसे-तैसे पॉलीथीन से ढक दी. अब दिन में बंदर उनका राशन इत्यादि बर्बाद कर रहे हैं. तो वहीं, रात को जंगली जानवरों के डर से तीनों एक कोने में दुबक कर रात गुजरने का इंतजार करते रहते हैं.

पढ़ें- कालाढूंगी विधानसभा सीट से हैट्रिक की तैयारी में बंशीधर, अन्य सीटों पर भी जोर आजमाइश में प्रत्याशी

पूनम देवी ने बताया कि वह तहसील के भी कई चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई भी अधिकारी आगे नहीं आया है. राशन कार्ड एवं बीपीएल कार्ड भी सास के नाम बना हुआ है, जिन्होंने उसे अलग किया हुआ है, जिससे इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

पूनम ने बताया कि कुछ साल पहले तक समाज कल्याण से उनके पुत्र के भरण-पोषण के लिए दो हजार रुपए मिलते थे, वह भी अब बंद हो गया है. विभाग का कहना है कि यह केवल उन बच्चों के लिए मिलता है, जिनके मां बाप दोनों नहीं हैं. वह केवल विधवा पेंशन के एक हजार रुपए में वह अपना तथा अपने बच्चों की परवरिश कर रही हैं. ग्राम प्रधान का कहना है कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास की लिस्ट में है लेकिन पता नहीं कब तक नंबर आयेगा.

ये भी पढ़ें- budget for women : वित्त मंत्री ने आधी आबादी का रखा ध्यान, महिलाओं से जुड़ी कई घोषणाएं

प्रधान ममता देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत की ओर से उन्हें नियमानुसार हर संभव मदद दी जा रही है. प्रधानमंत्री आवास में भी उनका नाम चयनित है. अब अचानक आवास टूटने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं. पूनम देवी ने कभी मनरेगा में काम की मांग नहीं की.

जिला पंचायत सदस्य कुलदीप कंडारी ने कहा कि इसकी जानकारी उनको है और जो भी संभव होगा, उनकी मदद की जायेगी. किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना (Integrated Child Protection Scheme) का लाभ गरीब बच्चों को दिया जाना चाहिए. लेकिन जनपद में ऐसे कई लाभार्थी इस योजना से वंचित हैं, जो चिंताजनक है.

रुद्रप्रयाग: अगस्त्यमुनि ब्लॉक के कमसाल गांव में रहने वाली 28 वर्षीय पूनम देवी पर इन दिनों दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रकृति ने पूनम देवी पर ऐसा कहर ढाया है कि वह बेघर होकर अपने दो मासूम बच्चों के साथ एक अदद आवास के लिए दर-दर भटक रही हैं, लेकिन उनको कोई ठौर ठिकाना नहीं मिल पा रहा है.

अभी कुछ दिन पहले हुई बारिश में पूनम देवी का पुराना भवन जमींदोज हो गया था. तब से वह उसी टूटे हुए भवन में गुजर बसर कर रही हैं. वैसे तो उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में चढ़ा है, जो पता नहीं कब मिलेगा ? जबकि वर्तमान में उन्हें आवास की सख्त आवश्यकता है. इस कड़ाके की ठंड में वे अपने दो मासूम बच्चों के साथ टूटे हुए मकान में रह रही हैं, जहां दिन में बन्दर तथा रात में जंगली जानवरों का डर बना हुआ है.

कैंसर ने पति को निगला: पूनम देवी (28) के पति धर्मेन्द राणा की मृत्यु सात वर्ष पूर्व हो गई थी. वे गाड़ियों में क्लीनर का काम करते थे. शादी के तीन वर्ष बाद ही वे कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित होकर चल बसे. जो कुछ जमा पूंजी थी, वह बीमारी में खर्च हो गई. पति की मृत्यु के समय उनका एक बेटा दो वर्ष का तथा बेटी एक वर्ष की थी. 4 वर्ष पूर्व सास ससुर ने भी उन्हें अलग कर दिया, जिसके बाद वह एक टूटे हुए मकान में अपने बच्चों के साथ किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रही हैं.

बारिश ने बरपाया कहर: 6 जनवरी को हुई बारिश में उनके मकान की छत ढह गई. कुछ दिन दूसरों के घरों में शरण लेकर उन्होंने छत तो जैसे-तैसे पॉलीथीन से ढक दी. अब दिन में बंदर उनका राशन इत्यादि बर्बाद कर रहे हैं. तो वहीं, रात को जंगली जानवरों के डर से तीनों एक कोने में दुबक कर रात गुजरने का इंतजार करते रहते हैं.

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पूनम देवी ने बताया कि वह तहसील के भी कई चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन उनकी मदद के लिए कोई भी अधिकारी आगे नहीं आया है. राशन कार्ड एवं बीपीएल कार्ड भी सास के नाम बना हुआ है, जिन्होंने उसे अलग किया हुआ है, जिससे इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

पूनम ने बताया कि कुछ साल पहले तक समाज कल्याण से उनके पुत्र के भरण-पोषण के लिए दो हजार रुपए मिलते थे, वह भी अब बंद हो गया है. विभाग का कहना है कि यह केवल उन बच्चों के लिए मिलता है, जिनके मां बाप दोनों नहीं हैं. वह केवल विधवा पेंशन के एक हजार रुपए में वह अपना तथा अपने बच्चों की परवरिश कर रही हैं. ग्राम प्रधान का कहना है कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास की लिस्ट में है लेकिन पता नहीं कब तक नंबर आयेगा.

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प्रधान ममता देवी ने बताया कि ग्राम पंचायत की ओर से उन्हें नियमानुसार हर संभव मदद दी जा रही है. प्रधानमंत्री आवास में भी उनका नाम चयनित है. अब अचानक आवास टूटने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं. पूनम देवी ने कभी मनरेगा में काम की मांग नहीं की.

जिला पंचायत सदस्य कुलदीप कंडारी ने कहा कि इसकी जानकारी उनको है और जो भी संभव होगा, उनकी मदद की जायेगी. किशोर न्याय बोर्ड के पूर्व सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने कहा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा समेकित बाल संरक्षण योजना (Integrated Child Protection Scheme) का लाभ गरीब बच्चों को दिया जाना चाहिए. लेकिन जनपद में ऐसे कई लाभार्थी इस योजना से वंचित हैं, जो चिंताजनक है.

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