रायपुर : छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार (Congress Government) राज्य के नए मॉडल को देश के सामने प्रस्तुत करना चाहती है. इस राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव (National Tribal Dance Festival) के आयोजन से कांग्रेस यह बताना चाहती है कि कैसे इस सरकार ने विकास के जरिये गरीबों को फायदा पहुंचाया है. इसके लिए भूपेश सरकार ने नया तरीका अपनाया है. राज्य सरकार सूबे में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन कर रही है. इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को न्योता दिया गया है. जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Gujrat) को इस महोत्सव का मुख्य अतिथि बनाया गया है.
2019 के आयोजन में राहुल गांधी भी हुए थे शामिल
इससे पहले साल 2019 में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आदिवासी नृत्य महोत्सव का भव्य आयोजन किया था. उस आयोजन में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) भी शामिल हुए थे. वहीं, इस बार राज्य शासन की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य उत्सव के अवसर पर 'साल इंटरनेशनल ट्रैवल फेस्टिवल 2021' के नाम से 28 अक्टूबर से 1 नवंबर तक द्वितीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के विधायक और अधिकारी देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में जाकर उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता दे रहे हैं. इसके अलावा उन राज्यों के सांस्कृतिक विभाग के माध्यम से उनके आदिवासी दलों को भी इस महोत्सव में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया जा रहा है.
नृत्य महोत्सव पर छत्तीसगढ़ में राजनीति शुरू
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारी शुरू की है, लेकिन आदिवासी नृत्य महोत्सव को लेकर अब छत्तीसगढ़ में राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस सरकार इस आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों को अन्य राज्यों के सामने रखना चाहती है और उसे एक रोल मॉडल के रूप में पूरे देश को दिखाना चाहती है. इधर, इस आयोजन के बाबत कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ में 43 प्रतिशत क्षेत्र वनों से घिरा हुआ है. जबकि यहां के करीब 34 प्रतिशत पॉपुलेशन को हम ट्राइबल पॉपुलेशन मानते हैं. पिछले साल कोरोना संकट के कारण राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव नहीं हो सका था. जबकि साल 2019 में भव्य स्तर पर राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव आयोजन किया गया था. जिसकी पूरे देश में प्रशंसा हुई थी. इस बार उससे भी ज्यादा भव्य आयोजन होगा. इसमें देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री समेत आम लोग भी आमंत्रित हैं.
"जिन्होंने करीना-सलमान को नृत्य कराया, उनके बयान का जवाब देना जरूरी नहीं"
सिर्फ आदिवासी नृत्य महोत्सव कराने से ही आदिवासियों का भला नहीं होगा. भाजपा के सवाल पर पलटवार करते हुए मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि जिन्होंने करीना कपूर और सलमान खान को बुलाकर नृत्य कराया है, उनकी किसी बात का जवाब देना मैं उचित नहीं समझता.
नृत्य महोत्सव से नहीं होगा आदिवासियों का भला
दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि नृत्य महोत्सव से आदिवासियों का भला नहीं होगा. इसके लिए राज्य सरकार को उनके हित में काम करना होगा. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि 3 वर्षों में कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों के लिए कुछ नहीं किया. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव कराकर सरकार आदिवासियों को बरगला नहीं सकती है. आज उनकी जो आवश्यकता है पांचवी अनुसूची लागू करना, पेसा कानून, जल-जंगल-जमीन की बात है, उस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. इसकी वजह से परेशान होकर आदिवासी आज आंदोलन करने को सड़कों पर उतर रहे हैं.
तीन महीने से रायपुर से दिल्ली तक कांग्रेस कर रही नृत्य...
श्रीवास्तव ने आगे कहा कि यह सरकार क्या नृत्य महोत्सव कराएगी, खुद पिछले 3 महीने से कुर्सी बचाने के लिए दिल्ली से रायपुर और रायपुर से दिल्ली तक नृत्य कर रही है. इस नृत्य को प्रदेश की जनता देख रही है. नृत्य से कुछ नहीं होता. सबसे बड़ा नृत्य छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है. रायपुर से लेकर गांधी परिवार के सामने. अभी बृहस्पति सिंह 35 लोगों को ले जाकर नृत्य करके आए हैं, लेकिन उस नृत्य को देखने से गांधी परिवार ने इंकार कर दिया. इस दौरान श्रीवास्तव ने नृत्य महोत्सव के माध्यम से पैसे के बंदरबांट का भी आरोप लगाया है.
सरकार को देखने होंगे आदिवासियों के विकास के काम : रामअवतार
जबकि इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे इस आयोजन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा को देश-दुनिया के सामने ले जाना है. उनकी संस्कृति और परंपरा को छत्तीसगढ़ में दिखाना है. सरकार इस आयोजन के माध्यम से आदिवासियों को एकजुट करना चाहती है. उनके हितों के संरक्षण को लेकर काम करना चाहती है. रामअवतार तिवारी ने कहा कि पेसा कानून, छठी अनुसूची और आदिवासियों के विकास के लिए क्या-क्या काम किये गए हैं, उसे सरकार को देखना होगा. अकेले नृत्य महोत्सव कराकर आदिवासियों का विकास नहीं होगा.
कितना कारगर होगा यह आयोजन, यह देखने वाली बात
बहरहाल, छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है. अब देखने वाली बात है कि इस नृत्य महोत्सव के माध्यम से राज्य सरकार आदिवासियों को साधने में कितनी कारगर साबित होती है. या फिर यह आयोजन महज एक चुनावी रणनीति का हिस्सा भर बनकर रह जाएगा.