ETV Bharat / bharat

मराठा आरक्षण: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की पुनर्विचार याचिका के बाद महाराष्ट्र में चढ़ा सियासी पारा

सुप्रीम कोर्ट के मराठा आरक्षण रद्द करने के बाद केंद्र सरकार ने फैसले के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की है. जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों मराठा आरक्षण के मुद्दे पर ही मंडरा रही है. सत्ता और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा दौर चल रहा है जो शायद जल्द खत्म नहीं होगा. मराठा आरक्षण पर किसने क्या कहा, पढ़िये पूरी ख़बर

author img

By

Published : May 15, 2021, 10:45 PM IST

मराठा आरक्षण
मराठा आरक्षण

मुंबई: मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को अपने फैसले में मराठा आरक्षण असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था. अब केंद्र सरकार ने वैकल्पिक निर्णय की मांग करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत में इस फैसले की समीक्षा करने के लिए अपील दायर की है. केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र में अब आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

मराठा आरक्षण पर बनी कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण का कहना है कि केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण समेत देश के सभी राज्यों में आरक्षण के मामलों को दरकिनार नहीं करना चाहिए. 102वें संशोधन को लेकर अशोक चव्हाण ने यह भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी मामले में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार करे.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

हाथ पीछे बंधे होंगे तो तलवार होने के बावजूद हम कैसे लड़ंगे- चव्हाण

कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पूछा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई कैसे सफल होगी, अगर राज्यों को आरक्षण की अनुमति देने का अधिकार केवल 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के साथ दिया जाए ? इस तरह लड़ने का क्या फायदा ? यह सवाल मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पूछा है.

अशोक चव्हाण
अशोक चव्हाण

चव्हाण ने बीजेपी नेताओं के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को 102वें संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इंद्रा साहनी मामले में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा की समीक्षा करने के लिए आवेदन करना चाहिए. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए, हर बातमें केंद्र पर आरोप लगाना और खुद कुछ नहीं करना सही नहीं है. चव्हाण ने विपक्ष के इस बयान सियासी बताया है.

102वें संशोधन के तहत अधिकार राज्यों के पास हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने प्रभावी ढंग से सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. चव्हाण ने अनुरोध किया कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा से संबंधित 30 साल पुराने इंद्रा साहनी मामले पर पुनर्विचार करने और मराठा आरक्षण को 11 सदस्यीय पीठ के पास भेजा जाए.

मराठा आरक्षण के प्रति लापरवाह है राज्य सरकार- फडणवीस

महाराष्ट्र में नेता विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आखिर कब तक राज्य सरकार हर चीज के लिए केंद्र पर निर्भर रहेगी और दिए गए आरक्षण से भी चूक जाएगी ? फणडवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया कि मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार लापरवाह है.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस

फडणवीस ने कहा कि आरक्षण घोषित करने अधिकार राज्य सरकार के पास है. 102वें संशोधन के बाद सरकार के अंदर दोहरे विचार थे, इस बारे में केंद्र सरकार ने कहा है कि अधिकार राज्य सरकार के हैं और उन्हें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. केंद्र सरकार राज्यों को उसके अधिकार देने को तैयार है. फडणवीस ने कहा कि इस संबंध में एक याचिका केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में दायर की गई है.

फडणवीस ने अशोक चव्हाण पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें कानून समझने की जरूरत है. यह पता होना चाहिए कि पुनर्विचार याचिका कौन दाखिल कर सकता है.

केंद्र, राज्य और मराठा

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. मराठा क्रांति मोर्चा के मुताबिक केंद्र के याचिका दायर करने के बाद राज्य सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है. मराठा क्रांति मोर्चा ने राज्य सरकार को सिर्फ केंद्र सरकार की याचिका के भरोसे बैठे रहने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील दायर करने का सुझाव दिया है. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की टिप्पणी पर गठित न्यायाधीशों की समिति से अपनी तैयारी करने की जरूरत है.

मराठा आरक्षण
मराठा आरक्षण

आरक्षण के फैसले पर केंद्र का दोहरा रवैया- चव्हाण

अशोक चव्हाण ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका के बाद केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. चव्हाण ने कहा कि आरक्षण में राज्य सरकार की भूमिका के संबंध में केद्र सरकार पहले ही कोर्ट में पहुंचती तो ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होती. साथ ही केंद्र सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. आरक्षण का मुद्दा अब अन्य राज्यों में भी उठेगा और इसका असर भारतीय जनता पार्टी पर पड़ेगा. केंद्र सरकार को डर के मारे इस मुद्दे पर अपना रुख बदल रही है और पीछे हट रही है.

मराठा आरक्षण पर केंद्र की भूमिका स्पष्ट- बीजेपी

कोल्हापुर जिले की बेजीप अध्यक्ष राजे समरजीत सिंह घाटगे ने मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिक दायर करने के फैसला का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सराकर की भूमिका बिल्कुल स्पष्ट है.

घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस पुनर्विचार याचिका के जरिये 102वें संशोधन की व्याख्या को चुनौती दी है. इसे गलत समझा जा रहा है कि राज्य सरकार के पास आरक्षण का अधिकार नहीं है. ये अधिकार राज्यों के पास ही हैं. घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी स्थिति पर अडिग रही है.

इस मौके पर समरजीत सिंह घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार ने 102वें संशोधन की व्याख्या को केंद्र सरकार ने रिव्यू पिटीशन के जरिए चुनौती दी है. यह गलत समझा जा रहा है कि राज्य सरकार को समाज को आरक्षित करने का अधिकार नहीं है। वास्तव में, ये अधिकार राज्य सरकारों के हैं। केंद्र सरकार ने कभी इनकी जमाखोरी नहीं की। घाटगे ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार पहले हाई कोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्थिति पर अड़ी रही है।

वरना इस्तीफा दें मुख्यमंत्री- मराठा क्रांति मोर्चा

शिक्षण संस्थानों में दाखिले और नौकरियों में मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने के कारण महाराष्ट्र में एसईबीसी के तहत 13 संभागों में 2185 पात्र मराठा उम्मीदवार नौकरियों से वंचित हो गए हैं. मराठा क्रांति मोर्चा ने कहा है कि मराठा आरक्षण को लेकर महाविकास अघाड़ी सरकार की लापरवाही से राज्य में सैकड़ों छात्र बेरोजगार हो गए हैं. इसलिये सरकार इन आवेदकों पर जल्द से जल्द फैसला ले, वरना मुख्यमंत्री इस्तीफा दें.

मराठा आरक्षण पर सियासत गर्म
मराठा आरक्षण पर सियासत गर्म

सीएम उद्धव ठाकरे ने 2014 ईएसबीसी उम्मीदवारों को मार्च 2020 में कोरोना संकट काल में आंदोलन को स्थगित करने के लिए मजबूर किया और उन्हें अनुबंध के आधार पर अस्थायी रूप से शामिल करने का वादा किाय लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इन सभी 2014 उम्मीदवारों को विशेष प्रावधान के साथ एसईबीसी अधिनियम 2018 में शामिल किया गया है. राज्य सरकार को आगामी दिनों में दोनों श्रेणियों के उम्मीदवारों को तुरंत नियुक्त देनी होगी वरना मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.

'मराठा समुदाय के लिए 3,000 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज दे प्रदेश सरकार'

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार करना चाहिए. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को मराठा समुदाय के लिए 3 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करनी चाहिए. पाटिल ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार जबरदस्त मंत्री हैं, उन्हें इसके लिए तुरंत कुछ योजना बनानी चाहिए.

लड़ाई अभी जारी है- संभाजी राजे

छत्रपति संभाजी राजे ने मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिक दायर करने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को एक बार फिर कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. संभाजी राजे ने कहा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, मैं अंत तक लड़ूंगा.

ये भी पढ़ें:फरार पहलवान सुशील कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी

मुंबई: मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को अपने फैसले में मराठा आरक्षण असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था. अब केंद्र सरकार ने वैकल्पिक निर्णय की मांग करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत में इस फैसले की समीक्षा करने के लिए अपील दायर की है. केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए. इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र में अब आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

मराठा आरक्षण पर बनी कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण का कहना है कि केंद्र सरकार को मराठा आरक्षण समेत देश के सभी राज्यों में आरक्षण के मामलों को दरकिनार नहीं करना चाहिए. 102वें संशोधन को लेकर अशोक चव्हाण ने यह भी मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी मामले में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर पुनर्विचार करे.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

हाथ पीछे बंधे होंगे तो तलवार होने के बावजूद हम कैसे लड़ंगे- चव्हाण

कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पूछा कि मराठा आरक्षण की लड़ाई कैसे सफल होगी, अगर राज्यों को आरक्षण की अनुमति देने का अधिकार केवल 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के साथ दिया जाए ? इस तरह लड़ने का क्या फायदा ? यह सवाल मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने पूछा है.

अशोक चव्हाण
अशोक चव्हाण

चव्हाण ने बीजेपी नेताओं के बयानों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को 102वें संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और इंद्रा साहनी मामले में 50 फीसदी आरक्षण की सीमा की समीक्षा करने के लिए आवेदन करना चाहिए. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए, हर बातमें केंद्र पर आरोप लगाना और खुद कुछ नहीं करना सही नहीं है. चव्हाण ने विपक्ष के इस बयान सियासी बताया है.

102वें संशोधन के तहत अधिकार राज्यों के पास हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने प्रभावी ढंग से सुप्रीम कोर्ट में पेश किया. चव्हाण ने अनुरोध किया कि आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा से संबंधित 30 साल पुराने इंद्रा साहनी मामले पर पुनर्विचार करने और मराठा आरक्षण को 11 सदस्यीय पीठ के पास भेजा जाए.

मराठा आरक्षण के प्रति लापरवाह है राज्य सरकार- फडणवीस

महाराष्ट्र में नेता विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आखिर कब तक राज्य सरकार हर चीज के लिए केंद्र पर निर्भर रहेगी और दिए गए आरक्षण से भी चूक जाएगी ? फणडवीस ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाया कि मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार लापरवाह है.

देवेंद्र फडणवीस
देवेंद्र फडणवीस

फडणवीस ने कहा कि आरक्षण घोषित करने अधिकार राज्य सरकार के पास है. 102वें संशोधन के बाद सरकार के अंदर दोहरे विचार थे, इस बारे में केंद्र सरकार ने कहा है कि अधिकार राज्य सरकार के हैं और उन्हें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. केंद्र सरकार राज्यों को उसके अधिकार देने को तैयार है. फडणवीस ने कहा कि इस संबंध में एक याचिका केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में दायर की गई है.

फडणवीस ने अशोक चव्हाण पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें कानून समझने की जरूरत है. यह पता होना चाहिए कि पुनर्विचार याचिका कौन दाखिल कर सकता है.

केंद्र, राज्य और मराठा

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. मराठा क्रांति मोर्चा के मुताबिक केंद्र के याचिका दायर करने के बाद राज्य सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है. मराठा क्रांति मोर्चा ने राज्य सरकार को सिर्फ केंद्र सरकार की याचिका के भरोसे बैठे रहने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील दायर करने का सुझाव दिया है. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की टिप्पणी पर गठित न्यायाधीशों की समिति से अपनी तैयारी करने की जरूरत है.

मराठा आरक्षण
मराठा आरक्षण

आरक्षण के फैसले पर केंद्र का दोहरा रवैया- चव्हाण

अशोक चव्हाण ने केंद्र की पुनर्विचार याचिका के बाद केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. चव्हाण ने कहा कि आरक्षण में राज्य सरकार की भूमिका के संबंध में केद्र सरकार पहले ही कोर्ट में पहुंचती तो ऐसी स्थिति पैदा ही नहीं होती. साथ ही केंद्र सरकार को आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. आरक्षण का मुद्दा अब अन्य राज्यों में भी उठेगा और इसका असर भारतीय जनता पार्टी पर पड़ेगा. केंद्र सरकार को डर के मारे इस मुद्दे पर अपना रुख बदल रही है और पीछे हट रही है.

मराठा आरक्षण पर केंद्र की भूमिका स्पष्ट- बीजेपी

कोल्हापुर जिले की बेजीप अध्यक्ष राजे समरजीत सिंह घाटगे ने मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिक दायर करने के फैसला का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सराकर की भूमिका बिल्कुल स्पष्ट है.

घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस पुनर्विचार याचिका के जरिये 102वें संशोधन की व्याख्या को चुनौती दी है. इसे गलत समझा जा रहा है कि राज्य सरकार के पास आरक्षण का अधिकार नहीं है. ये अधिकार राज्यों के पास ही हैं. घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार पहले हाइकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी स्थिति पर अडिग रही है.

इस मौके पर समरजीत सिंह घाटगे ने कहा कि केंद्र सरकार ने 102वें संशोधन की व्याख्या को केंद्र सरकार ने रिव्यू पिटीशन के जरिए चुनौती दी है. यह गलत समझा जा रहा है कि राज्य सरकार को समाज को आरक्षित करने का अधिकार नहीं है। वास्तव में, ये अधिकार राज्य सरकारों के हैं। केंद्र सरकार ने कभी इनकी जमाखोरी नहीं की। घाटगे ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार पहले हाई कोर्ट में और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्थिति पर अड़ी रही है।

वरना इस्तीफा दें मुख्यमंत्री- मराठा क्रांति मोर्चा

शिक्षण संस्थानों में दाखिले और नौकरियों में मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने के कारण महाराष्ट्र में एसईबीसी के तहत 13 संभागों में 2185 पात्र मराठा उम्मीदवार नौकरियों से वंचित हो गए हैं. मराठा क्रांति मोर्चा ने कहा है कि मराठा आरक्षण को लेकर महाविकास अघाड़ी सरकार की लापरवाही से राज्य में सैकड़ों छात्र बेरोजगार हो गए हैं. इसलिये सरकार इन आवेदकों पर जल्द से जल्द फैसला ले, वरना मुख्यमंत्री इस्तीफा दें.

मराठा आरक्षण पर सियासत गर्म
मराठा आरक्षण पर सियासत गर्म

सीएम उद्धव ठाकरे ने 2014 ईएसबीसी उम्मीदवारों को मार्च 2020 में कोरोना संकट काल में आंदोलन को स्थगित करने के लिए मजबूर किया और उन्हें अनुबंध के आधार पर अस्थायी रूप से शामिल करने का वादा किाय लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इन सभी 2014 उम्मीदवारों को विशेष प्रावधान के साथ एसईबीसी अधिनियम 2018 में शामिल किया गया है. राज्य सरकार को आगामी दिनों में दोनों श्रेणियों के उम्मीदवारों को तुरंत नियुक्त देनी होगी वरना मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए.

'मराठा समुदाय के लिए 3,000 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज दे प्रदेश सरकार'

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा है कि मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है. राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार करना चाहिए. साथ ही महाराष्ट्र सरकार को मराठा समुदाय के लिए 3 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करनी चाहिए. पाटिल ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार जबरदस्त मंत्री हैं, उन्हें इसके लिए तुरंत कुछ योजना बनानी चाहिए.

लड़ाई अभी जारी है- संभाजी राजे

छत्रपति संभाजी राजे ने मराठा आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिक दायर करने के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को एक बार फिर कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. संभाजी राजे ने कहा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, मैं अंत तक लड़ूंगा.

ये भी पढ़ें:फरार पहलवान सुशील कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.