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रजनीकांत के राजनीतिक करियर पर एक नजर... - रजनीकांत की राजनीति

अभिनेता रजनीकांत ने कहा है कि वह जनवरी में अपनी राजनीतिक पार्टी लाएंगे और इस संबंध में 31 दिसंबर, 2020 को एक घोषणा की जाएगी. इसके साथ ही रजनीकांत ने तमिलनाडु की राजनीति में अपनी वापसी को लेकर लग रहीं तमाम अटकलों को भी खत्म कर दिया है. आइये जानते हैं, फिल्मी दुनिया से राजनीति में कदम रखने तक के रजनीकांत के सफर के बारे में...

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रजनीकांत के राजनीतिक करियर पर एक नजर
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Published : Dec 4, 2020, 3:25 PM IST

हैदराबाद : हाल ही में तमिल सुपरस्टार रजनीकांत ने अपनी पार्टी की लॉन्चिंग को लेकर घोषणा की है. उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में 31 दिसंबर 2020 को घोषणा करेंगे.

1996 : 1996 में उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार किया. दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ उनके अभियान ने द्रमुक को अन्नाद्रमुक से बाहर करने में मदद की.

उन्होंने तब कहा था कि अगर जयललिता दोबारा मुख्यमंत्री बन गईं, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते.

1998 : 1998 के आम चुनावों में उन्होंने डीएमके का समर्थन किया लेकिन डीएमके 39 में से सिर्फ 9 सीटों पर ही अपनी पकड़ बना सकी.

2004 : उन्होंने पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के खिलाफ भी आवाज उठाई. बावजूद इसके, कोई गहरा असर नहीं दिखा और पार्टी को लोकसभा चुनावों में पांच सीटें मिल गईं.

उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन को अपना समर्थन देने का वादा भी किया. हालांकि, भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन को तब एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी.

2011 : रजनीकांत ने विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक (AIADMK) को समर्थन देने की घोषणा की.

2017 : रजनीकांत ने एक फैन मीट शुरू की, उन्होंने कहा कि मुझे यकीन नहीं है कि कौन राजनीति में मेरे प्रवेश को लेकर उत्सुक है. मैं राजनीति में नया नहीं हूं. मैंने 1996 में ही प्रवेश किया था.

31 दिसंबर, 2017 : रजनीकांत ने बड़ा बयान दिया, 'राजनीति में मेरा प्रवेश निश्चित है. यह समय की जरूरत है, मैं अपनी पार्टी बनाकर तमिलनाडु में चुनाव लड़ूंगा.'

हैदराबाद : हाल ही में तमिल सुपरस्टार रजनीकांत ने अपनी पार्टी की लॉन्चिंग को लेकर घोषणा की है. उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में 31 दिसंबर 2020 को घोषणा करेंगे.

1996 : 1996 में उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार किया. दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के खिलाफ उनके अभियान ने द्रमुक को अन्नाद्रमुक से बाहर करने में मदद की.

उन्होंने तब कहा था कि अगर जयललिता दोबारा मुख्यमंत्री बन गईं, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते.

1998 : 1998 के आम चुनावों में उन्होंने डीएमके का समर्थन किया लेकिन डीएमके 39 में से सिर्फ 9 सीटों पर ही अपनी पकड़ बना सकी.

2004 : उन्होंने पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के खिलाफ भी आवाज उठाई. बावजूद इसके, कोई गहरा असर नहीं दिखा और पार्टी को लोकसभा चुनावों में पांच सीटें मिल गईं.

उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन को अपना समर्थन देने का वादा भी किया. हालांकि, भाजपा-अन्नाद्रमुक गठबंधन को तब एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी.

2011 : रजनीकांत ने विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक (AIADMK) को समर्थन देने की घोषणा की.

2017 : रजनीकांत ने एक फैन मीट शुरू की, उन्होंने कहा कि मुझे यकीन नहीं है कि कौन राजनीति में मेरे प्रवेश को लेकर उत्सुक है. मैं राजनीति में नया नहीं हूं. मैंने 1996 में ही प्रवेश किया था.

31 दिसंबर, 2017 : रजनीकांत ने बड़ा बयान दिया, 'राजनीति में मेरा प्रवेश निश्चित है. यह समय की जरूरत है, मैं अपनी पार्टी बनाकर तमिलनाडु में चुनाव लड़ूंगा.'

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