जम्मू : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के शरणार्थियों ने यहां 22 अक्टूबर को 'काला दिवस' मनाया तथा हिंदू एवं सिख समुदायों के उन सदस्यों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 1947 में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के दौरान अपनी जान गंवायी.
इन शरणार्थियों ने कहा कि उन्हें राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जम्मू कश्मीर विधानमंडल में पीओके के लिए आरक्षित 24 खाली सीटों में कम से कम एक तिहाई उनके लिए खोल दिया जाए.पीओके के इन विस्थापितों के संगठन एसओएस इंटरनेशनल ने 22 दिवस को 'काला दिवस' मनाया. इस मौके पर उन हजारों हिंदुओं एवं सिखों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी जो 1947 में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के दौरान मारे गये.
एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चुनी ने कहा, 'जम्मू कश्मीर के अर्ध-स्वायत्त दर्जे के हटने के बाद पीओके के हजारों विस्थापित अपनी पुरानी मांगे पूरी किये जाने की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन वादे किये गये 'अच्छे दिन' देने के बजाय सरकार लंबे समय से उपेक्षित पीओके विस्थापित समुदाय के प्रति बिल्कुल गैरजवाबदेह बन गयी है.'
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उन्होंने कहा कि 2014 में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के तहत शुरू किये गये कल्याणकारी पैकेज को वर्तमान जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 'छोड़' दिया है. चुनी ने कहा कि जम्मू में 26,319 विस्थापित परिवारों में आधे को अब तक साढे पांच लाख रूपये का एकबारगी बंदोबस्त पैकेज नहीं मिला है.
उन्होंने कहा, 'फिलहाल, जम्मू के प्रांतीय पुनर्वास अधिकारी के पद के पास कार्यालय भवन, कर्मी एवं धन नहीं है. पीओके परिवारों के बच्चों को प्रवासी कश्मीरी पंडितों की तर्ज पर देशभर में उच्च, व्यावसायिक एवं प्रौद्योगिकी शैक्षणिक संस्थानों में अब तक आरक्षण नहीं मिला है.' उन्होंने कहा कि इस समुदाय के बेरोजगार युवकों को 8500 नौकरियां देने का निर्णय अब तक पूरा नहीं हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)