नई दिल्ली : कांग्रेस (Congress) ने मंगलवार को कहा कि अगर पार्टी 2024 में सत्ता में आती है तो वह 2020 में स्थापित PMCARES का CAG से ऑडिट करवा लेगी. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि फंड में पारदर्शिता की कमी है और हितों का टकराव है.
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'PMCARES फंड में शून्य जवाबदेही है, कोई ऑडिट नहीं है, कोई पारदर्शिता नहीं है और हितों का टकराव है. यह एक धोखा और तमाशा है. अगर हम सत्ता में आए तो सीएजी से फंड का ऑडिट करवाएंगे.'
उन्होंने कहा कि 'हम मांग करते हैं कि फंड को दानदाताओं और अनुदान प्राप्त करने वालों के विवरण मासिक आधार पर प्रकट करने चाहिए और इसे सीएजी और आरटीआई अधिनियम के लिए खुला रखा जाना चाहिए. यदि यह संभव नहीं है, तो सरकार को कम से कम PMCARES पर एक श्वेत पत्र लाना चाहिए. किस आधार पर अनुदान दिया जाता है, इसकी व्याख्या की जानी चाहिए.'
सिंघवी के अनुसार, सरकार ने पहले कहा था कि फंड आरटीआई अधिनियम के तहत नहीं आता क्योंकि यह एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है और हाल ही में एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फंड को ऑडिट करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसे केंद्रीय बजट से कोई समर्थन नहीं मिला है.
सिंघवी ने कहा कि 'लेकिन यह गलत है. इस फंड ने करीब 5000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इसमें से लगभग 40 प्रतिशत छोटी सरकारी कंपनियों से है, लेकिन 60 प्रतिशत पीएसयू जैसे ओएनजीसी, एनटीपीसी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन से है, जिन्हें नवरत्नों के रूप में जाना जाता है. कोई बजटीय समर्थन नहीं हो सकता है जिसे संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है, लेकिन पीएसयू, जो प्रमुख दाता हैं, का योगदान भी करदाताओं का पैसा है. तो यहां क्या तर्क है.'
उन्होंने कहा कि 'PMCARES को प्रधानमंत्री की आधिकारिक मुहर के तहत धन प्राप्त होता है लेकिन यह किसी भी प्रकार की जांच के लिए खुला नहीं है. यह हितों का टकराव है. यहां मुद्दा यह है कि क्या कार्यकारी सरकार विधायी स्वीकृति या बजटीय स्वीकृति के बिना बड़ी रकम जुटा सकती है.'
सिंघवी सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील हैं. सिंघवी ने कहा कि पीएम राहत कोष, राष्ट्रीय आपदा राहत कोष या मुख्यमंत्री राहत कोष जांच के अधीन थे.
उन्होंने कहा कि 'सरकार का मुखिया बिना किसी सूचना के स्वयं यह कार्य कर रहा है. यदि एक गैर-बीजेपी मुख्यमंत्री ने इसी की तरह CMCARES स्थापित किया होता और PMCARES का 1/1000वां हिस्सा भी एकत्र किया होता, तो CBI, ED और आयकर विभाग वहां पहुंच जाते. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि PMCARES का कामकाज गुप्त था.
सिंघवी ने कहा कि 'पूरा मामला गोपनीयता के घेरे में है. हाल ही में शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे को निपटाया. उनमें से एक (जस्टिस रवींद्र भट्ट) की राय थी कि PMCARES को RTI अधिनियम के तहत आना चाहिए, लेकिन दूसरे (जस्टिस सुनील गौर) की राय अलग थी. इसके बाद इस मुद्दे को तीन न्यायाधीशों वाली एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया था, लेकिन इस मुद्दे को लंबे समय से नहीं उठाया गया है. फंड को एक सरकारी संस्था के रूप में दिखाया गया है, जहां केंद्रीय गृह मंत्री भी एक ट्रस्टी हैं, लेकिन इसे कोई सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं कहा जाता है. मैं शीर्ष अदालत से आग्रह करूंगा कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए.'
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