नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डिजिटल भुगतान समाधान 'ई-रुपी' की शुरुआत करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने यह जानकारी दी.
पीएम मोदी द्वारा सदैव डिजिटल पहल को बढ़ावा देने को रेखांकित करते हुए पीएमओ ने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान इच्छित लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि सरकार और लाभार्थी के बीच सीमित संपर्क बिंदु रहें.
इसने कहा कि 'इलेक्ट्रॉनिक वाउचर' की अवधारणा सुशासन के इस दृष्टिकोण को आगे ले जाएगी. पीएमओ ने एक बयान में कहा कि 'ई-रुपी' डिजिटल भुगतान के लिए कैशलेस और संपर्क रहित माध्यम है.
क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Digital currency) ? : डिजिटल करेंसी को देश का सेंट्रल बैंक जारी करता है, जिसे उस देश की सरकारी मान्यता प्राप्त होती है. डिजिटल करेंसी भी सरकार द्वारा सोने, मुद्रा भंडार, बांड और अन्य परिसंपत्तियों के रूप में समर्थित है. जो कागज के नोट छापने के नियम हैं, वह सभी इस पर लागू होते हैं.
यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है यानी पाई-पाई का हिसाब रिजर्व बैंक और सरकार के खाते में दर्ज होता है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.
आसान भाषा में कहें तो डिजिटल करेंसी, आज के बैंकनोट के बराबर है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप में है. इसे बैंक या एटीएम से नकद (कागज के रूप में) निकाला नहीं जा सकता है. मगर आप किसी से 100 रुपये का कागज वाले नोट के बदले उतने ही मूल्य का ई-रुपया ले सकते हैं.
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डिजिटल करेंसी से फायदा : अभी कागज वाले नोट को छिपाया जा सकता है. अभी आप यह नोट किसे दे रहे हैं, इसका पता रिजर्व बैंक या सरकार को नहीं होता है. सीबीडीसी का उपयोग बढ़ने के बाद रुपये का भुगतान और ट्रांसफर रेकॉर्ड रखना आसान हो जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)