नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अमेरिका यात्रा, दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने वाली है. यूं तो 2014 के बाद से ये प्रधानमंत्री मोदी की ये छठी अमेरिका यात्रा है, लेकिन ऐसा पहली बार है जब वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रथम महिला जिल बाइडेन के निमंत्रण पर यूएस के दौरे पर हैं. बाइडेन 22 जून को राजकीय रात्रिभोज में मोदी की मेजबानी करेंगे.
पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान पांच रक्षा सौदों को मंजूरी मिल सकती है. ये रक्षा सौदे न सिर्फ दोनों देशों के लिए काफी मायने रखते हैं, बल्कि इन पर दुनियाभर के देशों की नजर है.
M-777 होवित्जर तोप अपग्रेड करने का ऑफर : अमेरिका ने M-777 लाइट होवित्जर तोप को अपग्रेड करने की पेशकश की है. अपग्रेड करने का मतलब इसकी रेंज बढ़ जाएगी. 155 एमएम की ये हल्की तोप पहाड़ी इलाके में युद्ध में काफी कारगर है. इसकी मिनिमम रेंज 30 किलोमीटर है जबकि यह करीब 40 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है. अमेरिका ने इसे अपग्रेड करने की बात कही है. इस तोप की अहमियत इसलिए भी काफी ज्यादा है क्योंकि भारत कारगिल जैसे युद्ध का सामना कर चुका है. वहीं, चीन से उसका एलएसी पर विवाद चल रहा है.
भारत में ही होगा जीई-414 जेट इंजन का निर्माण : पड़ोसी मुल्क चीन अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहा है. ऐसे में भारत को चीन से मुकाबला करने के लिए लड़ाकू विमानों की संख्या तेजी से बढ़ानी होगी. भारत के स्वदेशी विमान तेजस ने अपनी क्षमता साबित की है. मोदी की राजकीय यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बेंगलुरु शहर में भारत के सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) में लड़ाकू जेट इंजनों जीई एफ 414 के सह-निर्माण के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है. अमेरिका टेक्नोलॉजी देने को राजी हो गया है. यानी जल्द ही भारत जेट इंजन बनाने की क्षमता हासिल करने वाला है.
अमेरिका से सबसे घातक ड्रोन एमक्यू 9 प्रीडेटर की डील : भारत की नौसेना के पास अभी दो एमक्यू 9 प्रीडेटर ड्रोन है. ये ड्रोन अमेरिका का सबसे घातक ड्रोन माना जाता है. इसी ड्रोन से यूएस ने अलकायदा सरगना अल जवाहिरी को मारा था. पीएम मोदी के दौरे के दौरान 3 बिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 24 हजार करोड़ रुपये) के रक्षा सौदे की घोषणा होने की उम्मीद है. भारत तीस MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा. इनमें से 14 ड्रोन नौसेना को मिलेंगे. एयरफोर्स और आर्मी को 8-8 ड्रोन मिलेंगे. ये ड्रोन मिलने से भारत का निगरानी तंत्र तो मजबूत होगा ही, साथ ही दुश्मन के किसी भी नापाक इरादे को कड़ा जवाब दिया जा सकेगा.
एफ 18 फाइटर जेट : भारतीय नौसेना को अपने नए विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए एफ-18 लड़ाकू विमान चाहिए. यह कदम भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच रूसी हथियारों की डिलीवरी में देरी हुई है. भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल हैं, जो उसके नौसैनिक संस्करण से काफी मिलते-जुलते हैं. एफ 18 फाइटर जेट मिलने से भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी.
बख्तरबंद वाहन स्ट्राइकर का साझा निर्माण : स्ट्राइकर को दुनिया का सबसे ताकतवर बख्तरबंद वाहन माना जाता है. करीब 10 से 12 लोगों के बैठने की क्षमता वाला ये वाहन मोबाइल गन सिस्टम, 105 एमएम की तोप और एंटी टैंक गाइडेट मिसाइल से लैस है. बड़े से बड़े टैंक को ये नष्ट करने की क्षमता रखता है. भारत चाहता है कि वह अमेरिका की मदद से इस बख्तरबंद वाहन का निर्माण देश में ही कर सके. ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सभी की निगाहें अमेरिका-भारत रक्षा सौदों पर टिकी हैं.