नई दिल्ली : पीएम मोदी ने आज देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्थिति की व्यापक समीक्षा की. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बताया कि पीएम को विभिन्न राज्यों में कोरोना के प्रकोप की विस्तृत जानकारी दी गई. उन्हें 12 राज्यों में 1 लाख से अधिक सक्रिय मामलों की भी जानकारी के अलावा उच्च रोग भार वाले जिलों के बारे में भी अवगत कराया गया.
पीएम को राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचा सुदृढ़ करने को लेकर किए जा रहे प्रयासों बारे में बताया गया. पीएमओ के मुताबिक पीएम ने निर्देश दिया कि स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रमुख संकेतकों के बारे में राज्यों को मदद और मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि पीएम मोदी ने बैठक के दौरान कोरोना त्वरित और समग्र रोकथाम उपायों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की. पीएम ने कहा कि राज्यों को चिंता के जिलों की पहचान करने के लिए एक एडवाइजरी भेजी गई थी, जहां कोरोना केस की पॉजिटिविटी 10% या उससे अधिक है और अस्पतालों में 60% से अधिक ऑक्सीजन सपोर्टेड या ICU बेड प्रयोग में (occupied) हैं.
समीक्षा बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, डॉक्टर हर्षवर्धन, पीयूष गोयल समेत अन्य मंत्री और शीर्ष अधिकारी मौजूद थे. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने अगले कुछ महीनों में किए जाने वाले वैक्सीनेशन के स्वरूप और इस दिशा में किए जा रहे काम का जायजा लिया. उन्हें बताया कि करीब 17 करोड़ 7 लाख वैक्सीन राज्यों को सप्लाई की जा चुकी है. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने राज्यवार वैक्सीन की बर्बादी पर भी समीक्षा की.
बैठक में पीएम ने दवाओं की उपलब्धता की भी समीक्षा की. उन्हें रेमेडिसविर सहित दवाओं के उत्पादन में तेजी से वृद्धि के बारे में जानकारी दी गई. पीएम ने टीकाकरण को लेकर हुई प्रगति और अगले कुछ महीनों में टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए रोडमैप की समीक्षा की.
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पीएम को बताया गया कि 45 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 31% लोगों को कम से कम एक खुराक दी जा चुकी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना को लेकर राज्यों को संवेदनशील बनाने की जरूरत है जिससे टीकाकरण की गति में कमी नहीं आए. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद टीकाकरण के लिए नागरिकों को सुविधा दी जानी चाहिए और टीकाकरण में शामिल स्वास्थ्य कर्मियों को अन्य कर्तव्यों के लिए डायवर्ट नहीं किया जाना चाहिए.