नई दिल्ली : नई दिल्ली : नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरु हो चुकी है. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी बैठक को संबोधित कर रहे हैं. छठवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हमनें कोरोना कालखंड में देखा कि कैसे राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ. दुनिया में भारत की एक अच्छी छवि का निर्माण हुआ.
यहां पढ़ें प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन
- आज जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है तब गवर्निंग काउंसिल की बैठक और महत्वपूर्ण हो गई है. मैं राज्यों से आग्रह करूंगा कि आज़ादी के 75 वर्ष के लिए अपने-अपने राज्यों में समाज के सभी लोगों को जोड़कर समितियों का निर्माण हो.
- 2014 के बाद से गांव और शहरों को मिलाकर दो करोड़ 40 लाख से ज़्यादा घरों का निर्माण किया गया है. देश के छह शहरों में आधुनिक तकनीक से घर बनाने का एक अभियान चल रहा है. एक महीने में नई तकनीक से अच्छे घर बनाने के नए मॉडल तैयार होंगे.
- इस वर्ष के बजट पर जिस तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया आई, उसने जता दिया कि 'मूड ऑफ द नेशन' क्या है. देश मन बना चुका है, देश तेज़ी से आगे बढ़ना चाहता है, देश अब समय नहीं गंवाना चाहता. देश के मन को बनाने में देश का युवा मन बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहा है.
- आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है, जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे.
- पानी की कमी और प्रदूषित पानी से होने वाली बीमारी लोगों के विकास में बाधा न बने, इस दिशा में मिशन मोड में काम हो रहा है. जल मिशन के बाद से साढ़े तीन करोड़ से भी अधिक ग्रामीण घरों को पाइप वाटर सप्लाई से जोड़ा जा चुका है.
- Cooperative federalism को और अधिक सार्थक बनाना और यही नहीं हमें प्रयत्न पूर्वक Competitive cooperative federalism को न सिर्फ राज्यों के बीच, बल्कि डिस्ट्रिक्ट तक ले जाना है ताकि विकास की स्पर्धा निरंतर चलती रहे.
- हमनें कोरोना कालखंड में देखा है कि कैसे जब राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ. दुनिया में भी भारत की एक अच्छी छवि का निर्माण हुआ. हम ये भी देख रहे हैं कि कैसे देश का प्राइवेट सेक्टर, देश की इस विकास यात्रा में और ज्यादा उत्साह से आगे आ रहा है. सरकार के नाते हमें इस उत्साह का, प्राइवेट सेक्टर की ऊर्जा का सम्मान भी करना है और उसे आत्मनिर्भर भारत अभियान में उतना ही अवसर भी देना है.
- आत्मनिर्भर भारत अभियान, एक ऐसे भारत का निर्माण का मार्ग है, जो न केवल अपनी आवश्यकताओं के लिए बल्कि विश्व के लिए भी उत्पादन करे और ये उत्पादन विश्व श्रेष्ठता की कसौटी पर भी खरा उतरे.
- केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर्स के लिए PLI schemes शुरू की हैं. ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है. राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज्यादा से ज्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए.
- बीते वर्षों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक holistic approach अपनाई गई है. इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में भी देश के कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है.
- केंद्र सरकार ने विभिन्न सेक्टर के लिए PLI स्कीम शुरू की हैं. ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है, राज्यों को इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहां ज़्यादा से ज़्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए. कॉरपोरेट टैक्स की दरें कम करने का लाभ भी राज्यों को उठाना चाहिए.
- भारत के व्यवसायों के लिए हमें प्रयास करना चाहिए और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाना चाहिए. यह हमें वैश्विक अवसरों को हासिल करने में मदद करेगा. भारत के नागरिकों के लिए हमें कोशिश करनी चाहिए. यह भारतीयों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने में हमारी मदद करेगा.
- हमें निवेश के सभी स्रोतों को इस क्षेत्र से जोड़ना होगा. भारत दक्षिण पूर्व एशिया में एक रॉ (कच्ची) मछली का निर्यातक है. क्या हम बड़े पैमाने पर प्रसंस्कृत मछली उत्पादों का निर्यात नहीं कर सकते हैं?
- कोविड के दौरान भी, भारत ने कृषि क्षेत्र में निर्यात में वृद्धि देखी. हमारे पास इस क्षेत्र में बहुत अधिक अप्रयुक्त क्षमता है. हमारे उत्पादों का अपव्यय यथासंभव कम होना चाहिए और हमें भंडारण और प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
- इस साल के बजट में बुनियादी ढांचे के लिए प्रदान किए गए फंड पर भी बहुत चर्चा की जा रही है. यह भारत की अर्थव्यवस्था में मदद करेगा और रोजगार के बहुत सारे अवसर पैदा करेगा। इसका गुणक प्रभाव होगा.
- केंद्र और राज्य के बीच नीतिगत ढांचा और सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है. तटीय (कोस्टल) राज्य इसका एक अच्छा उदाहरण हैं. ब्लू (समुद्र) अर्थव्यवस्था के निर्यात में असीमित अवसर हैं. हमारे तटीय राज्यों को इसके लिए अतिरिक्त पहल क्यों नहीं करनी चाहिए?
- बीते वर्षों में कृषि से लेकर, पशुपालन और मत्स्यपालन तक एक होलिस्टिक अप्रोच अपनाई गई है. इसका परिणाम है कि कोरोना के दौर में भी देश के कृषि निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है.
- नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन में राज्यों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और इस प्रकार, राज्यों और केंद्र को अपने बजट को सिंक्रोनाइज करना चाहिए और प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए.
- हमें कृषि प्रधान देश कहे जाने के बावजूद भी आज 65,000-70,000 करोड़ का खाद्य तेल हम बाहर से लाते हैं. हम ये बंद कर सकते हैं, हमारे किसानों के खाते में पैसा जा सकता है. इन पैसों का हकदार हमारा किसान है, लेकिन इसके लिए हमें अपनी योजनाएं उस तरह से बनानी होंगी.
- इस बार के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए दिए फंड की भी काफी चर्चा हो रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाला ये खर्च देश की अर्थव्यवस्था को कई स्तर पर आगे बढ़ाने का काम करेगा और रोज़गार के कई अवसर प्रदान करेगा.
- भारत के विकास की नींव यह है कि केंद्र और राज्य एक साथ काम करते हैं और एक निश्चित दिशा की ओर बढ़ते हैं और सहकारी संघवाद को और अधिक सार्थक बनाते हैं. यही नहीं, हमें न केवल राज्यों बल्कि जिलों में भी प्रतिस्पर्धी, सहकारी संघवाद लाने की कोशिश करनी होगी.
- इस वर्ष के बजट पर जिस तरह का पॉजिटिव रिस्पॉन्स आया है, उसने जता दिया है कि मूड ऑफ द नेशन क्या है. देश मन बना चुका है. देश तेजी से आगे बढ़ना चाहता है, देश अब समय नहीं गंवाना चाहता है.
- हमनें कोरोना कालखंड में देखा है कि कैसे जब राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर काम किया, देश सफल हुआ.
नीति आयोग का शीर्ष निकाय परिषद में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उप-राज्यपाल, कई केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं. बयान के अनुसार, संचालन परिषद की छठी बैठक में पहली बार पहली बार लद्दाख को प्रवेश मिलेगा. इसके अलावा जम्मू कश्मीर की भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भागीदारी होगी.
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इस बार, प्रशासकों की अध्यक्षता वाले अन्य केंद्रशासित प्रदेशों को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन हैं. परषिद की बैठक के एजेंडे में कृषि, बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, मानव संसाधन विकास, जमीनी स्तर पर सेवाओं की आपूर्ति और स्वास्थ्य व पोषण पर विचार विमर्श शामिल हैं.
बैठक में संचालन परिषद के पदेन सदस्य, केन्द्रीय मंत्री, उपाध्यक्ष, सदस्य और नीति आयोग के सीईओ व भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं. संचालन परिषद की बैठक नियमित तौर पर होती है और इसकी पहली बैठक आठ फरवरी, 2015 को हुई थी. हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण परिषद की पिछले साल बैठक नहीं हुई थी.