नई दिल्ली : कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है. ऐसा ही कुछ देखने को मिला मंगलवार को पुणे में, जब राकांपा प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया (PM Modi shares stage with Pawar). लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह शुरू होने से पहले, दोनों नेताओं को हंसी-मजाक करते हुए देखा गया, साथ ही पवार ने मोदी की पीठ भी थपथपाई.
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#WATCH महाराष्ट्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुणे में NCP प्रमुख शरद पवार से मंच पर बातचीत करते नजर आए।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
(वीडियो सौजन्य: महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस यूट्यूब चैनल) pic.twitter.com/kl5PhTpK98
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एनसीपी प्रमुख के भतीजे और डिप्टी सीएम अजित पवार सहित अन्य लोग भी इसे देख रहे थे. सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने शरद पवार से हाथ मिलाया.
ये नजारा भतीजे अजित पवार के साथ छोड़ने के एक महीने के अंदर सामने आया है. पिछले महीने ही भाजपा और शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार शामिल हुए हैं. शरद पवार की पार्टी के विभाजन के बाद मोदी और पवार की ये पहली मुलाकात थी.
शालीनता से मिले पर कटाक्ष करने से नहीं चूके : पवार पीएम मोदी से शालीनता से मिले लेकिन कटाक्ष करने से भी नहीं चूके. पवार ने कहा कि 'शिवाजी महाराज ने कभी किसी की जमीन नहीं छीनी.' इस कमेंट को भाजपा द्वारा कथित तौर पर शिवसेना और राकांपा में विभाजन कराने पर पवार के कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है.
पवार ने कहा, 'मैं पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मोदी को बधाई देता हूं.' अपने संबोधन में पवार ने पुणे के इतिहास और महत्व तथा छत्रपति शिवाजी महाराज और तिलक के योगदान पर प्रकाश डाला. पवार ने कहा कि भारत में पहली सर्जिकल स्ट्राइक छत्रपति शिवाजी महाराज के काल में हुई थी.
गठबंधन का अनुरोध ठुकराया : हालांकि कार्यक्रम से पहले, शरद पवार ने मोदी के साथ मंच साझा न करने के विपक्षी गठबंधन के सदस्यों के अनुरोध पर विचार नहीं किया. पवार ने मोदी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. 'इंडिया' गठबंधन के सदस्यों को लगा था कि ऐसे समय में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाया जा रहा है, पवार का मोदी के साथ मंच साझा करना अच्छा नहीं होगा.
राउत ने साधा निशाना : मोदी-पवार के मंच साझा करने पर राजनीति भी तेज है. एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि यह स्पष्ट करना भाजपा पर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी नेता शरद पवार के साथ मंच साझा करने के लिए क्यों तैयार हैं. राउत ने कहा कि 'पीएम ने एक महीने पहले एनसीपी पर हमला किया था. वहीं, भ्रष्टाचार के हमले के बाद एनसीपी नेता (अजित पवार गुट) बीजेपी के साथ चले गए. और आज वो नेता वहां होंगे. इसलिए, या तो आप उन्हें धमकाएं या कहें कि एनसीपी/शिवसेना (यूबीटी) के खिलाफ आपके भ्रष्टाचार के आरोप झूठे हैं और इसलिए हम मंच साझा कर रहे हैं. यह स्पष्टता बीजेपी की ओर से आनी चाहिए.'
सामना में लिखा, ये विवाद की जड़ : शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में लिखा कि खुद शरद पवार द्वारा प्रधानमंत्री को सम्मानित किया जाना और उन्हें पुरस्कार दिया जाना 'विवाद की जड़' है. सामना ने लिखा, 'एक तरफ देश में आजादी की दूसरी लड़ाई चल रही है और इसीलिए लोग शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेताओं से अलग व्यवहार की उम्मीद करते हैं.' सामना ने इसे 'जटिल स्थिति' बताया.
उसने लिखा कि 'पवार का कहना है कि वह मराठा चेहरा और उम्मीद का चेहरा हैं.' इसलिए उनसे एक अलग व्यवहार की उम्मीद की जा रही थी. देश मोदी के फासीवाद के खिलाफ लड़ रहा है और एक गठबंधन बना है, जिसमें पवार एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं.
संपादकीय में भाजपा पर राकांपा को विभाजित करने का आरोप लगाया गया और कहा गया कि यदि पवार कार्यक्रम में शामिल नहीं होते, तो उनके नेतृत्व और साहस को पार्टी भर में स्वीकार और सराहा जाता.
सियासी अटकलें तेज : सहयोगी पार्टियाें के एतराज के बावजूद मोदी के साथ मंच साझा करने के बाद सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. एक तरफ जहां इसे महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में 'दरार' के रूप में देखा जा रहा है, वहीं, राजनीति के जानकारों का इशारा आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भी है.
दरअसल 82 वर्षीय पवार को इन दिनों अपने राजनीतिक करियर की सबसे कठिन लड़ाइयों में से एक का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक और वरिष्ठ नेता अजित के पक्ष में हैं जो शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए हैं. उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष एनसीपी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया है. ऐसे में पवार के मोदी के साथ मंच साझा करने के घटनाक्रम ने सियासी अटकलबाजी को और हवा दे दी है.
वहीं, पुणे के कार्यक्रम में मोदी के साथ पवार की मौजूदगी ने भाजपा और उसके सहयोगियों से मुकाबला करने के लिए बनाई गई राष्ट्रव्यापी विपक्षी एकता को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं.