नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के लिए 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन' के तहत सोमवार को छात्रवृत्ति जारी की. सरकार ने इस योजना की शुरुआत पिछले वर्ष 29 मई को की थी और इसका मकसद ऐसे बच्चों की मदद करना है, जिन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के चलते 11 मार्च 2020 से 28 फरवरी 2022 के बीच अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावक, दत्तक माता-पिता को खो दिया हो. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर किसी को पेशेवर पाठ्यक्रम या उच्च शिक्षा के लिए 'एजुकेशन लोन' (शिक्षा ऋण) चाहिए तो, 'पीएम केयर्स' उसमें भी मदद करेगा. बच्चों को योजना के तहत पासबुक और आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य कार्ड भी दिए गए.
प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन हमें कई बार अप्रत्याशित मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है. ऐसी स्थितियां जिनकी हमने कल्पना भी नहीं की होती है. हंसते खेलते हुए अचानक अंधेरा छा जाता है और सब कुछ बदल जाता है. कोरोना ने अनेकों परिवारों में ऐसा ही कुछ किया है. पीएम ने कहा कि 'मैं जानता हूं कोरोना की वजह से जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके जीवन में आया ये बदलाव कितना मुश्किल है. हर दिन का संघर्ष, हर दिन की तपस्या. आज जो बच्चे हमारे साथ हैं, जिनके लिए ये कार्यक्रम हो रहा है, उनकी तकलीफ शब्दों में कहना मुश्किल है. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन,आप सभी ऐसे कोरोना प्रभावित बच्चों की मुश्किलें कम करने का एक छोटा सा प्रयास है, जिनके माता और पिता, दोनों नहीं रहे. यह इस बात का भी प्रतिबिंब है कि हर देशवासी पूरी संवेदनशीलता से आपके साथ है.'
पीएम ने कहा कि 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन' यह दर्शाता है कि हर नागरिक उनके साथ खड़ा है. 'पीएम केयर्स' कोष के बारे में उन्होंने कहा कि इस कोष ने कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान अस्पतालों को तैयार करने, वेंटिलेटर खरीदने, ऑक्सीजन संयंत्र लगाने में भी काफी मदद की. उन्होंने कहा, 'इसके जरिए कई लोगों की जान बचाई जा सकती है और कई परिवारों का भविष्य बचाया जा सकता है.' अपने माता-पिता खो चुके बच्चों को मनोबल बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निराशा के माहौल में भी 'अगर हम खुद पर विश्वास रखें, तो आशा की एक किरण अवश्य दिखाई देती है.'
मोदी ने कहा कि अगर किसी को पेशेवर पाठ्यक्रम या उच्च शिक्षा के लिए 'एजुकेशन लोन’ (शिक्षा ऋण) चाहिए तो, 'पीएम केयर्स' उसमें भी मदद करेगा. उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान अपने अभिभावकों को गंवा चुके बच्चों को हर महीने 4000 रुपये दिए जाएंगे, जिससे उनकी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी. बच्चे जब स्कूल की पढ़ाई पूरी कर लेंगे तो उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए और रुपयों की जरूरत होगी तो इसके लिए 18 साल से 23 साल तक के युवाओं को हर महीने स्टाइपेंड मिलेगा और जब वो 23 साल के होंगे तब 10 लाख रुपए आपको एक साथ मिलेगा.
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, युवाओं पर भरोसा दिखाया और दुनिया के लिए चिंता नहीं, बल्कि आशा की एक किरण बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के नकारात्मक प्रभाव से उबर कर भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के नकारात्मक माहौल के दौरान भारत ने अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखा. उन्होंने कहा 'हमने अपने देशवासियों को टीके उपलब्ध कराए और अभी तक कोविड-19 रोधी टीकों की करीब 200 करोड़ खुराक लोगों को दी जा चुकी हैं.' उन्होंने कहा, 'हमने अपने वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, युवाओं पर भरोसा दिखाया और हमारा देश दुनिया के लिए चिंता नहीं, बल्कि आशा की एक किरण बनकर उभरा. हम कोई समस्या नहीं बल्कि समाधान देने वाले बने.'
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले आठ वर्ष में जो मुकाम हासिल किया है, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज, विश्व में भारत का गौरव बढ़ा है, वैश्विक मंचों पर हमारे भारत की ताकत बढ़ी है. मुझे खुशी है कि युवा शक्ति भारत की इस यात्रा का नेतृत्व कर रही है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि देश भ्रष्टाचार और क्षेत्रीय भेदभाव के दुष्चक्र से बाहर निकल रहा है, जिसमें वह 2014 से पहले फंस हुआ था.
पढ़ें- गृहणियों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय बने मोदी कैबिनेट के ये मंत्री