गांधीनगर (गुजरात) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को गांधीनगर में इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सहकार,गांव के स्वाबलंबन का बहुत बड़ा माध्यम है और इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है. आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांव का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है इसलिए पूज्य बापू और सरदार साहब ने जो रास्ता हमें दिखाया उसके अनुसार हम मॉडल कॉपरेटिव गांव की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश के पहले नैनो यूरिया प्लांट का उद्घाटन करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं. अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है. नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि 2014 में सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का काम किया. इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चत हुआ. साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरू किया.
उन्होंने कहा कि भारत विदेशों से जो यूरिया मंगाता है इसमें यूरिया का 50 किलो का एक बैग 3,500 रुपये का पड़ता है लेकिन देश में, किसान को वही यूरिया का बैग सिर्फ 300 रुपये का दिया जाता है. यानी यूरिया के एक बैग पर हमारी सरकार 3,200 रुपये का भार वहन करती है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत के किसान को दिक्कत न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में दी है. किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने वाली है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकार में समस्याओं का सिर्फ तात्कालिक समाधान ही तलाशा गया. आगे वो समस्या न आए, इसके सीमित प्रयास ही किए गए. बीते 8 वर्षों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थायी समाधान भी खोजे हैं.
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पीएम मोदी ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में अमूल ने एक पहचान बना दी. अमूल जैसे ब्रांड ने पूरी दुनिया में गुजरात के कॉपरेटिव मूवमेंट की एक ताकत का परिचय कराया है और एक पहचान बनाई है. गुजरात में डेयरी, चीनी, बैंकिंग सहकारी आंदोलन के सफलता का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि डेयरी सेक्टर के सहकारी मॉडल का उदाहरण हमारे सामने है. आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है. बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेज़ी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है.
सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा, सहयोग, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है. यही आजादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है. आज भारत एक साल में लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का दूध उत्पादन कर रहा है. हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया, उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं. छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है. इसी प्रकार लघु उद्योगों, MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मजबूत हिस्सा बनाया जा रहा है.