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एक्शन में पीएम मोदी, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों से मांगा काम लेखा-जोखा

पश्चिम बंगाल में मिली हार के बाद से ही केंद्र सरकार के सामाने दर्जनों चुनौतिया एक-एक कर के सामने आ रही है. ऐसे में इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एक्शन में आ गए हैं और मंत्रियों के साथ-साथ भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ उनके काम की समीक्षा कर रहे हैं. पढ़िए विरष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

पीएम मोदी
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Published : Jun 15, 2021, 8:44 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में मिली हार के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार को ये एहसास हो गया है कि यदि, 2024 का चुनाव जीतना है, तो अभी से एक्शन में आना जरूरी है. 2021 के शुरुआत से ही सरकार को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है और सरकार हर मोर्चे पर बैकफुट पर जाती नजर आ रही है. ऐसे में सरकार के सामने तमाम चुनौतियां आकर खड़ी हो गई है और इन चुनौतियों को देखते ही, खुद पीएम नरेंद्र मोदी एक्शन में आ गए हैं, जिसके चलते सरकार में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक के बाद एक धुआंधार बैठकों का दौर चल रहा है.

पिछले पखवाड़े में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ लगभग 4 से 5 बैठकें कीं. वहीं दूसरी तरफ मंत्रियों की बैठक के बाद अब संगठन ने अलग अलग राज्यों की समीक्षा की है. एक-एक कर अलग-अलग राज्यों से भाजपा के तमाम नेताओं को बुलाकर प्रधानमंत्री उनके लिए दिशानिर्देश तय कर रहे हैं.

सरकार सामने बढ़ रही हैं चुनैतियां

हर मोर्चे पर विपक्ष का हमला, कोविड-19 से उत्पन्न हुई आर्थिक विसंगतियां ,पेट्रोल डीजल की कीमत पर हर दिन हो रही बढ़ोतरी, कोरोना के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था कि पोल खुल जाना, बंगाल चुनाव की हार के बाद सत्ताधारी पार्टी से एक-एक कर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की टीएमसी में शिफ्टिंग, ऐसी दर्जनों चुनौतियां एक साथ आकर केंद्र सरकार और सत्ताधरी पार्टी के सामने खड़ी हो गई है, जिसका ठोस जवाब सरकार के पास भी नहीं है.यही नहीं लगातार सोशल मीडिया में भी सरकार के खिलाफ चल रहे अभियान और प्रधानमंत्री के छवि पर पहुंच रही चोट को लेकर भी सत्ताधारी पार्टी और केंद्र सरकार खासा परेशान नजर आ रही है.

हार के बाद उठे सवाल

बंगाल चुनाव की हार के बाद लगातार गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोशल मीडिया पर सवाल किए जाते रहे हैं. यहां तक कि गृहमंत्री के नाम पर लोगों ने काफी दिनों तक 'गायब' और 'तलाश है' जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया, लेकिन अचानक ही पिछले एक पखवाड़े से केंद्र सरकार की गतिविधियां और प्रशासनिक कार्यों में बड़ी हलचल शुरू हो गई है.

सरकार ना सिर्फ केंद्रीय मंत्रियों और उनके मंत्रालय की समीक्षा कर रही है, बल्कि जहां-जहां सत्ताधारी पार्टी की सत्ता है, उस राज्य के मुख्यमंत्रियों के कार्यों की भी समीक्षा की जा रही है और उनकी कमियों पर सीधे प्रधानमंत्री द्वारा गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं.

जारी है बैठकों का दौर

सूत्रों की मानें तो पिछले एक पखवाड़े से चली आ रही बैठक सोमवार को भी प्रधानमंत्री ने बुलाई थी, जिसमें 13 से 14 मंत्रियों को आमंत्रित किया गया था और जिनके कार्यों की, समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है. और 9 से 10 मंत्रालयों के कार्यों की समीक्षा रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. मंत्रियों की बैठक के साथ साथ संगठन पर हुई धुआंधार बैठकों का दौर जारी है, जहां मंत्रियों की बैठक, मंत्रिमंडल के विस्तार को ध्यान में रखकर की जा रही हैं. वहीं संगठन के नेताओं की बैठक राज्यों में संगठन को मजबूत करने की दृष्टि से की जा रही है.

पीएम से मिलेंगे शिवराज चौहान

इसी क्रम में पहले बंगाल के नेता शुभेंदु अधिकारी को प्रधानमंत्री ने बुलाकर उनसे लंबी बातचीत की और बंगाल के लिए एक सशक्त विपक्ष के तौर पर और 2024 के चुनाव को देखते हुए चर्चा के बाद एक रोडमैप तैयार किया गया था और अगर सूत्रों की मानें तो बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री से मिलना है. प्रधानमंत्री के तलब पर ही शिवराज बुधवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री के साथ मिलकर राज्य में कोविड-19 के दौरान किए गए कार्यों और आगे की तैयारियों और राज्य से जुड़े अन्य राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

इसके अलावा मंगलवार को ही पंजाब के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ने भी दिल्ली पहुंच कर पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और पंजाब में राजनीतिक मुद्दों और किसान आंदोलन से संबंधित विस्तृत बातचीत और आगे के कार्यक्रम तैयार किए, सूत्रों की मानें तो पंजाब के भाजपा अध्यक्ष प्रधानमंत्री से भी मिल सकते हैं.

भाजपा की नीति अपनाएगी टीएमसी

सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल मैं चुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई है और सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के लिए अपने नेताओं को संभाल कर रखना है , क्योंकि अंदर खाने चुनाव से पहले जो भारतीय जनता पार्टी ने किया अब चुनाव के बाद वही नीति टीएमसी अपनाने वाली है.

सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई नेता बड़ी संख्या में टीएमसी के संपर्क में है, जिसे लेकर पार्टी के अंदर काफी घमासान मचा हुआ है और इन्हीं मुद्दों को पर विचार करने भी पश्चिम बंगाल के गवर्नर को दिल्ली बुलाया गया है ताकि यदि पार्टी के नेता बड़ी संख्या में पार्टी छोड़ते हैं, तो उन पर एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई की जा सके. इस दौरान बंगाल चुनाव के बाद बड़ी संख्या में बिजेपी नेताओं के साथ कि जा रही हिंसा पर भी चर्चा हो सकती है.

वहीं केरल के मुद्दे पर भी भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय कार्यालय की तरफ से सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर तमाम अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की. इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है की महामारी के बाद व्यवस्थाओं को खोला जा रहा हैं और इसके बाद कि यह समीक्षा बैठक चल रही है, क्योंकि सरकार को इकोनामी के साथ-साथ तमाम चीजों को वापस ट्रैक पर लाना है.

फीडबैक ले रहे हैं पीएम

उनका कहना है कि यह न सिर्फ भारत में बल्कि यह एक्सरसाइज विश्व के सभी देशों की सरकार कर रही है कि इकनोमिक को कैसे सुधारा जाए और अर्थव्यवस्था को,इस महामारी के बाद ट्रैक पर कैसे लाया जाए.
श्री निगम का कहना है कि इस महामारी में राज्यों में क्या स्थिति रही किन राज्य में कितना नुकसान हुआ ,किन राज्य की आर्थिक दशा दिशा हालात क्या है, इन तमाम बातों के लिए पार्टी के नेताओं के साथ बैठक कर फीडबैक लेना भी सरकार के लिए जरूरी होता है. एक सांगठनिक फीडबैक होती है और दूसरा सरकारी फीडबैक ,और यह दोनों ही फीडबैक प्रधानमंत्री बैठक कर ले रहे हैं और यह काफी जरूरी भी है.

राजनीतिक विश्लेषक निगम का कहना है कि विश्व में सभी जगह इकोनॉमी पीछे गई है मगर यहां पर यह विषय ज्यादा मैटर करता है कि कौन सा देश पटरी पर जल्दी से आता है और यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जो पहले 11% कहा जा रहा था अब वर्ल्ड बैंक आठ और 8.5% भी कह रहा है यह वर्ल्ड बैंक और आईएमए की तरफ से कहा गया है मगर यह काफी नीचे नहीं मानीजा सकती है,दूसरे देशों की तुलना में अर्थव्यवस्था इतनी ज्यादा नही गिरी है.

रतन निगम का कहना है कि जहां तक बात मंत्रिमंडल विस्तार और उसी में संभावित शामिल होने वाले गठबंधन के दल के नेताओं की बात है, तो उसमें यहां यह कहना उचित होगा कि कुछ गठबंधन की पार्टियां साथ छोड़ गई और कुछ मंत्रियों की मृत्यु हो गई ऐसे में काफी वेकेंसियां मंत्रिमंडल में रिक्त पड़ी हैं और एक-एक मंत्री के पास काम का बोझ काफी ज्यादा है, और यह बातें ही प्रधानमंत्री की बैठकों से निकलकर समीक्षा के दौरान आ रही हैं.

पढ़ें - कुंभ में कोरोना जांच पर उठे सवाल, सैंपल सबसे ज्यादा और संक्रमित सबसे कम

इस सवाल पर कि जहां बीजेपी चुनाव हार चुकी है वहां उसे पार्टी के नेताओं को संभाल कर रखना मुश्किल हो रहा है. खबरे आ रही हैं कि पार्टी के नेता दल बदल सकते हैं इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पार्टी का जो अपना कैडर है वह कहीं नहीं जाएगा और जो बाहर से आए हैं वह कुछ दिन के लिए आए थे. उनका कहना है कि , यदि पार्टी अपने कैडर को महत्त्व नहीं देती है तो नुकसानदेह होता है और इस बार बंगाल में भी यही हुआ है, अपने कैडर को महत्व नहीं दिया गया और बाहर से पार्टी के नेताओं को लाया गया एयर वो भी बहुत ज्यादा संख्या में, इसलिए जरूरी है कि पार्टी को वहां पर संगठन अभी भी और मजबूत करना होगा, क्योंकि वहां पर लड़ाई एक क्षेत्रीय पार्टी के साथ है ,ऐसे में हार के बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता में उत्साह में कमी आती है ,और मैं यह मानता हूं कि पार्टी के लिए ये एक बड़ी चुनौती है ,ऐसे में अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्व देना और वहां से सीख लेना जरूरी होगा जहां तक बात केरल की है ,वहां ,भारतीय जनता पार्टी के पैर जम रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि कई जगह पर कौन जीत रहा है इस बात का सर्वे करके वो वोट ट्रांसफर भी कर चुकी है .

इसी तरह बीजेपी के लिए भी वोट ट्रांसफर हुआ है, हां ये अलग बात है कि पार्टी सीट नहीं जीत पाई और अभी पार्टी को वहां बहुत लंबा रास्ता तय करना है.

जहां तक बात 2024 के लिए गेम चेंजर स्कीम लाने की जरूरत पर है उस पर निगम का कहना है कि सरकार के पास पहले से ही कई ऐसी स्कीम चल रही है. जरूरत है उन्हें तेजी देने की क्योंकि महामारी के बाद कहीं ना कहीं एक ठहराव सा आया है और इन स्कीम को तेजी से आगे बढ़ाने की सरकार को जरूरत है.

उनका कहना है कि किसानों के लिए लाए गए किसान बिल को वह एक गेम चेंजर की तरह ही देखते हैं, क्योंकि इस महामारी में भी इस बिल की वजह से किसानों को बड़ा फायदा पहुंचा है विरोध सिर्फ माफिया और बड़े क़िसान कर रहे हैं. छोटे, मंझोले किसानों को तो एमएसपी के आधार पर ही उन्हें अपने फसल के पैसे भी मिले हैं और यह तमाम स्कीम सरकार को 2024 के चुनाव में फायदा पहुंचा सकते हैं.

इस मुद्दे पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री की बैठक हो या फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बैठक समय-समय पर समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री भी करते रहते हैं और यह किसी भी सरकार के लिए एक हेल्थी एक्सरसाइज होती है,ताकि जो कमी बेशी है उन चीजों को पूरी की जा सके जहां तक मंत्रिमंडल विस्तार की बात है यह सरकार का काम है और अगर सरकार जरूरत समझेगी तो वह विस्तार कर सकती है इस बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं है.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में मिली हार के बाद से ही नरेंद्र मोदी सरकार को ये एहसास हो गया है कि यदि, 2024 का चुनाव जीतना है, तो अभी से एक्शन में आना जरूरी है. 2021 के शुरुआत से ही सरकार को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है और सरकार हर मोर्चे पर बैकफुट पर जाती नजर आ रही है. ऐसे में सरकार के सामने तमाम चुनौतियां आकर खड़ी हो गई है और इन चुनौतियों को देखते ही, खुद पीएम नरेंद्र मोदी एक्शन में आ गए हैं, जिसके चलते सरकार में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक के बाद एक धुआंधार बैठकों का दौर चल रहा है.

पिछले पखवाड़े में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ लगभग 4 से 5 बैठकें कीं. वहीं दूसरी तरफ मंत्रियों की बैठक के बाद अब संगठन ने अलग अलग राज्यों की समीक्षा की है. एक-एक कर अलग-अलग राज्यों से भाजपा के तमाम नेताओं को बुलाकर प्रधानमंत्री उनके लिए दिशानिर्देश तय कर रहे हैं.

सरकार सामने बढ़ रही हैं चुनैतियां

हर मोर्चे पर विपक्ष का हमला, कोविड-19 से उत्पन्न हुई आर्थिक विसंगतियां ,पेट्रोल डीजल की कीमत पर हर दिन हो रही बढ़ोतरी, कोरोना के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था कि पोल खुल जाना, बंगाल चुनाव की हार के बाद सत्ताधारी पार्टी से एक-एक कर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की टीएमसी में शिफ्टिंग, ऐसी दर्जनों चुनौतियां एक साथ आकर केंद्र सरकार और सत्ताधरी पार्टी के सामने खड़ी हो गई है, जिसका ठोस जवाब सरकार के पास भी नहीं है.यही नहीं लगातार सोशल मीडिया में भी सरकार के खिलाफ चल रहे अभियान और प्रधानमंत्री के छवि पर पहुंच रही चोट को लेकर भी सत्ताधारी पार्टी और केंद्र सरकार खासा परेशान नजर आ रही है.

हार के बाद उठे सवाल

बंगाल चुनाव की हार के बाद लगातार गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोशल मीडिया पर सवाल किए जाते रहे हैं. यहां तक कि गृहमंत्री के नाम पर लोगों ने काफी दिनों तक 'गायब' और 'तलाश है' जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी किया, लेकिन अचानक ही पिछले एक पखवाड़े से केंद्र सरकार की गतिविधियां और प्रशासनिक कार्यों में बड़ी हलचल शुरू हो गई है.

सरकार ना सिर्फ केंद्रीय मंत्रियों और उनके मंत्रालय की समीक्षा कर रही है, बल्कि जहां-जहां सत्ताधारी पार्टी की सत्ता है, उस राज्य के मुख्यमंत्रियों के कार्यों की भी समीक्षा की जा रही है और उनकी कमियों पर सीधे प्रधानमंत्री द्वारा गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं.

जारी है बैठकों का दौर

सूत्रों की मानें तो पिछले एक पखवाड़े से चली आ रही बैठक सोमवार को भी प्रधानमंत्री ने बुलाई थी, जिसमें 13 से 14 मंत्रियों को आमंत्रित किया गया था और जिनके कार्यों की, समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है. और 9 से 10 मंत्रालयों के कार्यों की समीक्षा रिपोर्ट तैयार कर ली गई है. मंत्रियों की बैठक के साथ साथ संगठन पर हुई धुआंधार बैठकों का दौर जारी है, जहां मंत्रियों की बैठक, मंत्रिमंडल के विस्तार को ध्यान में रखकर की जा रही हैं. वहीं संगठन के नेताओं की बैठक राज्यों में संगठन को मजबूत करने की दृष्टि से की जा रही है.

पीएम से मिलेंगे शिवराज चौहान

इसी क्रम में पहले बंगाल के नेता शुभेंदु अधिकारी को प्रधानमंत्री ने बुलाकर उनसे लंबी बातचीत की और बंगाल के लिए एक सशक्त विपक्ष के तौर पर और 2024 के चुनाव को देखते हुए चर्चा के बाद एक रोडमैप तैयार किया गया था और अगर सूत्रों की मानें तो बुधवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री से मिलना है. प्रधानमंत्री के तलब पर ही शिवराज बुधवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान प्रधानमंत्री के साथ मिलकर राज्य में कोविड-19 के दौरान किए गए कार्यों और आगे की तैयारियों और राज्य से जुड़े अन्य राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

इसके अलावा मंगलवार को ही पंजाब के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ने भी दिल्ली पहुंच कर पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और पंजाब में राजनीतिक मुद्दों और किसान आंदोलन से संबंधित विस्तृत बातचीत और आगे के कार्यक्रम तैयार किए, सूत्रों की मानें तो पंजाब के भाजपा अध्यक्ष प्रधानमंत्री से भी मिल सकते हैं.

भाजपा की नीति अपनाएगी टीएमसी

सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल मैं चुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई है और सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के लिए अपने नेताओं को संभाल कर रखना है , क्योंकि अंदर खाने चुनाव से पहले जो भारतीय जनता पार्टी ने किया अब चुनाव के बाद वही नीति टीएमसी अपनाने वाली है.

सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई नेता बड़ी संख्या में टीएमसी के संपर्क में है, जिसे लेकर पार्टी के अंदर काफी घमासान मचा हुआ है और इन्हीं मुद्दों को पर विचार करने भी पश्चिम बंगाल के गवर्नर को दिल्ली बुलाया गया है ताकि यदि पार्टी के नेता बड़ी संख्या में पार्टी छोड़ते हैं, तो उन पर एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई की जा सके. इस दौरान बंगाल चुनाव के बाद बड़ी संख्या में बिजेपी नेताओं के साथ कि जा रही हिंसा पर भी चर्चा हो सकती है.

वहीं केरल के मुद्दे पर भी भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय कार्यालय की तरफ से सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर तमाम अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश की. इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक देश रतन निगम का कहना है की महामारी के बाद व्यवस्थाओं को खोला जा रहा हैं और इसके बाद कि यह समीक्षा बैठक चल रही है, क्योंकि सरकार को इकोनामी के साथ-साथ तमाम चीजों को वापस ट्रैक पर लाना है.

फीडबैक ले रहे हैं पीएम

उनका कहना है कि यह न सिर्फ भारत में बल्कि यह एक्सरसाइज विश्व के सभी देशों की सरकार कर रही है कि इकनोमिक को कैसे सुधारा जाए और अर्थव्यवस्था को,इस महामारी के बाद ट्रैक पर कैसे लाया जाए.
श्री निगम का कहना है कि इस महामारी में राज्यों में क्या स्थिति रही किन राज्य में कितना नुकसान हुआ ,किन राज्य की आर्थिक दशा दिशा हालात क्या है, इन तमाम बातों के लिए पार्टी के नेताओं के साथ बैठक कर फीडबैक लेना भी सरकार के लिए जरूरी होता है. एक सांगठनिक फीडबैक होती है और दूसरा सरकारी फीडबैक ,और यह दोनों ही फीडबैक प्रधानमंत्री बैठक कर ले रहे हैं और यह काफी जरूरी भी है.

राजनीतिक विश्लेषक निगम का कहना है कि विश्व में सभी जगह इकोनॉमी पीछे गई है मगर यहां पर यह विषय ज्यादा मैटर करता है कि कौन सा देश पटरी पर जल्दी से आता है और यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि जो पहले 11% कहा जा रहा था अब वर्ल्ड बैंक आठ और 8.5% भी कह रहा है यह वर्ल्ड बैंक और आईएमए की तरफ से कहा गया है मगर यह काफी नीचे नहीं मानीजा सकती है,दूसरे देशों की तुलना में अर्थव्यवस्था इतनी ज्यादा नही गिरी है.

रतन निगम का कहना है कि जहां तक बात मंत्रिमंडल विस्तार और उसी में संभावित शामिल होने वाले गठबंधन के दल के नेताओं की बात है, तो उसमें यहां यह कहना उचित होगा कि कुछ गठबंधन की पार्टियां साथ छोड़ गई और कुछ मंत्रियों की मृत्यु हो गई ऐसे में काफी वेकेंसियां मंत्रिमंडल में रिक्त पड़ी हैं और एक-एक मंत्री के पास काम का बोझ काफी ज्यादा है, और यह बातें ही प्रधानमंत्री की बैठकों से निकलकर समीक्षा के दौरान आ रही हैं.

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इस सवाल पर कि जहां बीजेपी चुनाव हार चुकी है वहां उसे पार्टी के नेताओं को संभाल कर रखना मुश्किल हो रहा है. खबरे आ रही हैं कि पार्टी के नेता दल बदल सकते हैं इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पार्टी का जो अपना कैडर है वह कहीं नहीं जाएगा और जो बाहर से आए हैं वह कुछ दिन के लिए आए थे. उनका कहना है कि , यदि पार्टी अपने कैडर को महत्त्व नहीं देती है तो नुकसानदेह होता है और इस बार बंगाल में भी यही हुआ है, अपने कैडर को महत्व नहीं दिया गया और बाहर से पार्टी के नेताओं को लाया गया एयर वो भी बहुत ज्यादा संख्या में, इसलिए जरूरी है कि पार्टी को वहां पर संगठन अभी भी और मजबूत करना होगा, क्योंकि वहां पर लड़ाई एक क्षेत्रीय पार्टी के साथ है ,ऐसे में हार के बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता में उत्साह में कमी आती है ,और मैं यह मानता हूं कि पार्टी के लिए ये एक बड़ी चुनौती है ,ऐसे में अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्व देना और वहां से सीख लेना जरूरी होगा जहां तक बात केरल की है ,वहां ,भारतीय जनता पार्टी के पैर जम रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि कई जगह पर कौन जीत रहा है इस बात का सर्वे करके वो वोट ट्रांसफर भी कर चुकी है .

इसी तरह बीजेपी के लिए भी वोट ट्रांसफर हुआ है, हां ये अलग बात है कि पार्टी सीट नहीं जीत पाई और अभी पार्टी को वहां बहुत लंबा रास्ता तय करना है.

जहां तक बात 2024 के लिए गेम चेंजर स्कीम लाने की जरूरत पर है उस पर निगम का कहना है कि सरकार के पास पहले से ही कई ऐसी स्कीम चल रही है. जरूरत है उन्हें तेजी देने की क्योंकि महामारी के बाद कहीं ना कहीं एक ठहराव सा आया है और इन स्कीम को तेजी से आगे बढ़ाने की सरकार को जरूरत है.

उनका कहना है कि किसानों के लिए लाए गए किसान बिल को वह एक गेम चेंजर की तरह ही देखते हैं, क्योंकि इस महामारी में भी इस बिल की वजह से किसानों को बड़ा फायदा पहुंचा है विरोध सिर्फ माफिया और बड़े क़िसान कर रहे हैं. छोटे, मंझोले किसानों को तो एमएसपी के आधार पर ही उन्हें अपने फसल के पैसे भी मिले हैं और यह तमाम स्कीम सरकार को 2024 के चुनाव में फायदा पहुंचा सकते हैं.

इस मुद्दे पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री की बैठक हो या फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बैठक समय-समय पर समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री भी करते रहते हैं और यह किसी भी सरकार के लिए एक हेल्थी एक्सरसाइज होती है,ताकि जो कमी बेशी है उन चीजों को पूरी की जा सके जहां तक मंत्रिमंडल विस्तार की बात है यह सरकार का काम है और अगर सरकार जरूरत समझेगी तो वह विस्तार कर सकती है इस बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं है.

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