नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा को लेकर लगातार संसद में गतिरोध जारी है. विपक्षी पार्टियां जहां राज्यसभा में नियम 267 के तहत इस पर बहस और प्रधानमंत्री का जवाब चाहती हैं, वहीं लोकसभा में लगातार एडजोर्नमेंट की नोटिस दी जा रही है. हालांकि सरकार ने अब विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए, तीन दिन इस प्रस्ताव पर बहस कराने की मंजूरी दे दी है. मगर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 8 अगस्त से शुरू होगी.
वहीं दूसरी ओर विपक्ष की मांग है कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो जाए, तो सरकार को बिल पारित नहीं करना चाहिए. हाल ही में विपक्ष के सांसदों का एक दल भी मणिपुर गया था, जिसमें शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत भी शामिल थे. ईटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि वह मणिपुर पर चर्चा को राजी है, मगर सच्चाई नहीं बता रही है. सरकार चाहती है कि मणिपुर पर शॉर्ट नोटिस के तहत 2 घंटे की चर्चा हो, मगर 'इंडिया' गठबंधन नियम 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा है.
उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना पर प्रधानमंत्री के मित्र अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलिया के पीएम तक ने दुख जताया और अपने सदन में निंदा की. मगर अपने प्रधानमंत्री इस पर संसद के अंदर नहीं बोल सकते. ऐसी आखिर क्या मजबूरी है. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री के तौर पर जब अटल जी पीएम थे, तब भी अविश्वास प्रस्ताव आए थे और तब उन्होंने तुरंत उसे स्वीकृत किया था और यदि ऐसा मामला तब होता तो वो सदन में जरूर बयान देते.
उन्होंने कहा कि मगर हमारे देश के प्रधानमंत्री को इतनी विभत्स घटना पर संसद के अंदर प्रतिक्रिया देने की फुरसत नहीं, बल्कि सरकार मणिपुर की घटना से राजस्थान, बंगाल और छत्तीसगढ़ की घटना की तुलना करने में व्यस्त है. उन्होंने कहा कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव यदि सरकार ने स्वीकृत कर लिया है, तब उसे बिल पास नहीं करवाना चाहिए. नियम के मुताबिक लेकिन सरकार को नियम की चिंता नहीं है.
शिवसेना के सांसद का कहना है कि वो उस टीम में गए थे, जो मणिपुर से लौटा है और उन्होंने रिलीफ कैंप में रह रहे लोगों से मुलाकात की, जो बहुत ही दयनीय स्थिति में रह रहे हैं. महिलाएं बच्चे आखिर कितने दिन कैंप में रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार तब क्यों जागी, जब इतने लोग मर गए जबकि घटनाएं काफी पहले से हो रहीं थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री को महाराष्ट्र में मिले लोकमान्य तिलक अवार्ड पर भी उन्होंने तल्ख टिप्पणी की.
शिवसेना के सांसद ने कहा कि पवार साहब एक अनुभवी नेता हैं और उन्हें इस मंच पर नहीं होना चाहिए था. शिवसेना सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वराज्य से मतलब नहीं और तिलक स्वराज्य का नारा देने वाले नेता थे. साथ उन्होंने ये भी कहा कि ये आमंत्रण पवार साहब ने तीन महीने पहले दिया था, जब रिश्ते इतने तल्ख नहीं थे.