वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में गौरैया संरक्षण करने वाले बनारस के इंद्रपाल का भी जिक्र किया. पीएम ने कहा कि उन्होंने अपने घर का आशियाना ही गौरैया के लिए बना डाला है. पीएम ने कहा कि कुछ दिन पहले विश्व गौरैया दिवस मनाया गया. पहले हमारे घरों की दीवारों पर और आसपास के पेड़ों पर गौरैया चहचहाती थी, लेकिन अब आप लोग कहते हैं कि पिछली बार वर्षों पहले गौरैया को देखा था. अब इसे बचाने के लिए प्रयास करने पड़ रहे हैं.
पीएम ने कहा कि मेरे बनारस के एक साथी इंद्रपाल बत्रा ने ऐसा काम किया है, जो मन की बात में श्रोताओं को जरूर बताना चाहता हूं. उन्होंने अपने घर को ही गौरैया का आशियाना बना दिया है. अपने घर में लकड़ी के ऐसे घोंसले बनाए हैं, जिसमें गौरैया आसानी से रह सकती हैं. आज उनकी इस मुहिम से बनारस के कई घर जुड़ रहे हैं.
घर में 300 से अधिक घोंसले बनाए
गौरैया के प्रति जागरुकता एवं संरक्षण बढ़ाने के लिए 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. वहीं, सिगरा श्रीनगर कॉलोनी निवासी इंद्रपाल ने लगभग 16 साल पहले गौरैया संरक्षण का कार्य शुरू किया था. इंद्रपाल ने घर में लगभग 300 से ज्यादा घोंसले बनाए हैं. पीएम द्वारा 'मन की बात' में इंद्रपाल का जिक्र करने के बाद वो अब आम इंसान से खास इंसान बन गए हैं. उनके द्वारा की गई मेहनत एवं गौरैया संरक्षण के प्रयासों को पूरा विश्व जानने लगा है.
गौरैया संरक्षण के लिए 16 सालों से कर रहे कार्य
इंद्रपाल बताते हैं कि उनकी कॉलोनी में पहले बहुत सी प्रजाति की चिड़ियां आया करती थीं. धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होने लगी तो मुझे एहसास हुआ कि हरियाली कम होने लगी है. जिसके कारण चिड़ियों को रहने खाने में दिक्कत हो रही है. इसके बाद 16 साल पहले गौरैया संरक्षण की शुरुआत की.
इंद्रपाल बताते हैं कि उस समय कॉलोनी में 50 से 60 चिड़िया रह गई थीं. इसके बाद धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़नी शुरू हो गई.
डिस्कवरी देखकर घोंसला बनाना सीखा
इंद्रपाल बताते हैं कि चिड़िया को लेकर मैंने गौर किया तो देखा यह कटीली झाड़ियों में रहना पसंद करती हैं. इंद्रपाल बताते हैं कि चिड़िया संरक्षण को लेकर घोंसला बनाने का आइडिया डिस्कवरी देखते-देखते आया. डिस्कवरी देखने से पता चला कि कैसे घोंसला बनाएं. चिड़िया किस तरह किस घोंसले में रहती हैं. उस हिसाब से मैंने जो गमला लगाया उसमें डेढ़ इंच का छेद किया. जिसमें पक्षी आसानी से आकर जा सकें.
खिड़कियों पर चिड़ियों के लिए रखें दाना-पानी
इंद्रपाल बताते हैं कि लगभग 2000 से ज्यादा चिड़िया यहां कॉलोनी में आती-जाती हैं. कई घरों में उन्होंने चिड़िया के घोंसले टाइप के गमले बना रखे हैं. इंद्रपाल बताते हैं कि वह चिड़ियाें के साथ किसी जमाने में खेलते थे. जब गौरैया लुप्त हुई तो बचपन की यादें सताने लगीं. इसके बाद उन्होंने चिड़ियों के संरक्षण को लेकर मुहिम शुरू की. उन्होंने बताया कि आज के जमाने में लोग गौरैया पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
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इंद्रपाल ने बताया कि काशी में जाकर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दूंगा. उन्होंने कहा कि गौरैया संरक्षण के विषय पर जो लोग सोचते हैं वह 365 दिन खाना डालें. अपने खिड़कियों में 365 दिन दाना-पानी रखें तो अपने आप गौरैया आएगी.
धीरे-धीरे लुप्त हो रही गौरैया
बता दें कि गौरैया-मनुष्य के साथ लगभग 10,000 वर्षों से रह रही है. अब कुछ दशकों से गौरैया शहरी इलाकों में दुर्लभ पक्षी बन गई है. उनकी आबादी में भारी गिरावट आई है. हालांकि, गांवों के लोग अभी भी गौरैया की चीं-चीं की आवाजों को सुन और महसूस कर रहे हैं. शहरी इलाकों में समस्या कुछ ज्यादा ही गंभीर है.