नई दिल्ली : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रेगुलेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के बारे में की जाने वाली शिकायतों के तय समय सीमा में निस्तारण के लिए गाइडलाइन तैयार करे.
यह याचिका वकील महेश माहेश्वरी ने दायर की है, उनका कहना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपने तरीके और विचारधारा के अनुसार काम करते हैं, क्योंकि सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है. ट्विटर का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि यह अपनी विचारधारा के अनुसार कार्य करता है. यह कुछ खातों पर प्रतिबंध लगाता है, साथ ही उपयोगकर्ता के कुछ पोस्टों को आंशिक रूप से रोका भी जाता है.
ट्विटर का दिया उदाहरण
याचिकाकर्ता ने कहा है कि ट्विटर पर सरकारी नियंत्रण नहीं है, इसलिए यह अनैतिक रूप से कार्य करता है और कई खातों पर आंशिक प्रतिबंध लगाता है, जो इसके वैचारिक झुकाव के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने आगे बताया कि एक उपयोगकर्ता यह नहीं जान सकता है कि वह ब्लाॅक है या नहीं. उसकी सामग्री रोकी जाएगी या नहीं. यह घटना आम लोगों के बीच दरार पैदा करती है.
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संसद में कानून बनाने की मांग
याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्विटर राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायपालिका का मजाक उड़ाता है. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय जैसी संस्था के साथ व्यक्तिगत रूप से न्यायाधीश भी शामिल हैं. याचिकाकर्ता ने नया कानून बनाने की मांग करते हुए कहा है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ऐसे दिशा-निर्देश जारी करे, जो यूजर्स की समस्या दूर कर सकें, जब तक कि संसद में कोई कानून नहीं बन जाता.