नई दिल्ली: निजी विद्यालयों में कमजोर तबके और वंचित वर्गों के 44 हजार से अधिक बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने का दिल्ली सरकार को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस याचिका को शुक्रवार के वास्ते सुनवाई के लिए अन्य पीठ के पास भेज दिया.
'जस्टिस फॉर ऑल' नामक एनजीओ की इस जनहित याचिका में अदालत से शिक्षा निदेशालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वह उन निजी विद्यालयों के विरूद्ध कार्रवाई करे जो आवंटित सीटों पर ऐसे तबकों के बच्चों का दाखिला देने में विफल हैं.
एनजीओ ने वकीलों खगेश बी झा एवं शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से यह याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि यह याचिका उन बच्चों की चिंता को ध्यान में रखकर दायर की गयी है जिन्होंने 2021-22 सत्र के लिए अप्रैल, 2021 में प्रवेश के लिए आवेदन दिया था और यह कि करीब 50000 बच्चे विद्यालयों में वास्तविक दाखिले के हिसाब से प्रवेश के हकदार हैं.
पढ़ें: जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर राहुल गांधी और पाकिस्तान की भाषा एक जैसी क्यों: अनुराग ठाकुर
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान वर्ष में 53000 से अधिक सीटें हैं तथा पिछले अकादमिक सत्र से 24000 और सीटें जोड़ी जानी है यानी आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए कुल 77000 सीटें है जबकि बस 21000 को दाखिला दिया गया है.