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महाराष्ट्र के सीएम, शिवसेना नेता व अन्य के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना की याचिका

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल, शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.इंडियन बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि मंत्री पद पर बैठे प्रतिवादियों ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और पूरी न्यायिक प्रणाली के खिलाफ कई झूठे, निंदनीय और अवमाननापूर्ण आरोप लगाए हैं.

बॉम्बे हाईकोर्ट
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Published : Apr 20, 2022, 12:19 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल, शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इंडियन बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि मंत्री पद पर बैठे प्रतिवादियों ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और पूरी न्यायिक प्रणाली के खिलाफ कई "झूठे, निंदनीय और अवमाननापूर्ण" आरोप लगाए हैं. अदालत और न्यायपालिका के प्रति आम आदमी के विश्वास को कम करने के लिए की गई टिप्पणी अदालत की सबसे बड़ी अवमानना ​​है.

जनहित याचिका में सीएम उद्धव ठाकरे की पत्नी एवं शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादक रश्मि ठाकरे के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की भी मांग की गई है. याचिका में 'सामना' के मुद्रक और प्रकाशक विवेक कदम का नाम भी शामिल है. आरोप है कि कोर्ट की अवमानना ​​करने वाले मंत्री पद पर और सत्ता में आसीन हैं और पूरी न्यायिक प्रणाली को बदनाम करने के अभियान में शामिल हैं. वह भी केवल इसलिए कि अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय उनको सूट नहीं करता है. उनके (प्रतिवादी) अपने विरोधियों को जेल में रखने या सत्ता और पुलिस तंत्र के दुरुपयोग से उन्हें परेशान करने की योजना बना रहे हैं. इस न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के कारण विफल रहा.

हाई कोर्ट ने याचिका 26 अप्रैल को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है. जनहित याचिका में विभिन्न उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है जिसमें कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की गई थी, जिसमें राउत द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणी भी शामिल है. जब उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी के मामले में भाजपा नेता किरीट सोमैया को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था. याचिका में कहा गया है कि राउत ने कथित रूप से साक्षात्कार दिए और निंदनीय बयान दिए कि अदालतों के न्यायाधीश, विशेष रूप से बॉम्बे हाईकोर्ट भाजपा सदस्यों को राहत दे रहे हैं और उनकी पार्टियों के आरोपी मंत्रियों को राहत नहीं दे रहे हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ इस कथन का हवाला देते हुए कि अदालतें बीजेपी से जुड़े लोगों को राहत दे रही हैं, लेकिन वही राहत आरोपी मंत्रियों, सदस्यों और उनकी पार्टी के नेताओं को नहीं दी जा रही है. जजों परा भारी दबाव है क्योंकि उनके द्वारा पारित प्रत्येक आदेश को अवमाननाकर्ताओं द्वारा स्कैन और बदनाम किया जा रहा है.

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल, शिवसेना सांसद संजय राउत और अन्य के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इंडियन बार एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि मंत्री पद पर बैठे प्रतिवादियों ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और पूरी न्यायिक प्रणाली के खिलाफ कई "झूठे, निंदनीय और अवमाननापूर्ण" आरोप लगाए हैं. अदालत और न्यायपालिका के प्रति आम आदमी के विश्वास को कम करने के लिए की गई टिप्पणी अदालत की सबसे बड़ी अवमानना ​​है.

जनहित याचिका में सीएम उद्धव ठाकरे की पत्नी एवं शिवसेना के मुखपत्र सामना की संपादक रश्मि ठाकरे के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की भी मांग की गई है. याचिका में 'सामना' के मुद्रक और प्रकाशक विवेक कदम का नाम भी शामिल है. आरोप है कि कोर्ट की अवमानना ​​करने वाले मंत्री पद पर और सत्ता में आसीन हैं और पूरी न्यायिक प्रणाली को बदनाम करने के अभियान में शामिल हैं. वह भी केवल इसलिए कि अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय उनको सूट नहीं करता है. उनके (प्रतिवादी) अपने विरोधियों को जेल में रखने या सत्ता और पुलिस तंत्र के दुरुपयोग से उन्हें परेशान करने की योजना बना रहे हैं. इस न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के कारण विफल रहा.

हाई कोर्ट ने याचिका 26 अप्रैल को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है. जनहित याचिका में विभिन्न उदाहरणों को सूचीबद्ध किया गया है जिसमें कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी की गई थी, जिसमें राउत द्वारा हाल ही में की गई टिप्पणी भी शामिल है. जब उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी के मामले में भाजपा नेता किरीट सोमैया को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था. याचिका में कहा गया है कि राउत ने कथित रूप से साक्षात्कार दिए और निंदनीय बयान दिए कि अदालतों के न्यायाधीश, विशेष रूप से बॉम्बे हाईकोर्ट भाजपा सदस्यों को राहत दे रहे हैं और उनकी पार्टियों के आरोपी मंत्रियों को राहत नहीं दे रहे हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ इस कथन का हवाला देते हुए कि अदालतें बीजेपी से जुड़े लोगों को राहत दे रही हैं, लेकिन वही राहत आरोपी मंत्रियों, सदस्यों और उनकी पार्टी के नेताओं को नहीं दी जा रही है. जजों परा भारी दबाव है क्योंकि उनके द्वारा पारित प्रत्येक आदेश को अवमाननाकर्ताओं द्वारा स्कैन और बदनाम किया जा रहा है.

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पीटीआई

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