नई दिल्ली : फाइजर (Pfizer) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अल्बर्ट बौर्ला (Albert Bourla) ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कंपनी जल्द ही भारत सरकार के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देगी. एक वर्चुअल कार्यक्रम में बोलते हुए बौर्ला ने कहा कि फाइजर अब भारत में COVID-19 वैक्सीन के लिए मंजूरी पाने के लिए अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि बहुत जल्द हम सरकार के साथ एक समझौते को अंतिम रूप देंगे.
गौरतलब है कि फाइजर वैक्सीन को जर्मन फर्म बायोएनटेक के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है. कोरोना संक्रमण को रोकने में फाइजर की प्रभावकारिता 90 प्रतिशत से अधिक है.
हाल ही में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अनुमति प्राप्त कोरोना टीकों को भारत में ट्रायल की अनिवार्यता खत्म करने की घोषणा की थी. इसके बाद भारत में फाइजर और मॉडर्ना के आयात का रास्ता साफ हो गया है.
डीसीजीआई वीजी सोमानी ने एक पत्र में कहा था कि टीकों को ट्रायल से छूट उन पर लागू होगा जिन्हें यूएस एफडीए, ईएमए, यूके एमएचआरए, पीएमडीए जापान द्वारा प्रतिबंधित उपयोग के लिए पहले ही मंजूरी दे दी गई है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए सूचीबद्ध किए गए टीकों को बी ट्रायल से छूट मिलेगी.
पॉल भारत में कोविड-19 कार्यबल के प्रमुख भी हैं. उन्होंने कहा, जैसे ही फाइजर से टीके की उपलब्धता पर संकेत मिला, केंद्र सरकार और कंपनी ने इसके आयात के लिए मिलकर काम करना शुरू कर दिया. कोविड-19 के लिए टीके के प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) के प्रमुख पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों की वजह से स्पुतनिक के टीके के परीक्षण में तेजी आई और समय पर मंजूरी से रूस टीके की दो खेप और उसके साथ भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कर चुका है. भारतीय कंपनियां जल्द टीके का विनिर्माण शुरू करेंगी.
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नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि केंद्र 2020 के मध्य से लगातार दुनिया की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों मसलन फाइजर, जेएडजे तथा मॉडर्ना से बातचीत कर रहा है. टीके की आपूर्ति और भारत में उनके विनिर्माण को सरकार ने इन कंपनियों को पूरी सहायता की पेशकश की है.
(एएनआई)