मुंबई : महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) ने दावा किया है कि पिछले साल केंद्र द्वारा प्रतिबंधित 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' (पीएफआई) का उद्देश्य 2047 तक भारत में 'इस्लाम का शासन' स्थापित करना था. एजेंसी के मुताबिक, अपने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उसकी विदेश या अन्य संगठनों की मदद से हथियार और गोला-बारूद हासिल करने की भी योजना थी. एटीएस ने पीएफआई के पांच सदस्यों के खिलाफ पिछले हफ्ते एक स्थानीय अदालत में दाखिल आरोप पत्र में यह बात कही.
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इन लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. विभिन्न राज्यों में कई एजेंसियों की छापेमारी के बाद राज्य एटीएस ने पिछले साल सितंबर में पांच पीएफआई सदस्यों - मजहर खान, सादिक शेख, मोहम्मद इकबाल खान, मोमिन मिस्त्री और आसिफ हुसैन खान को गिरफ्तार किया था. एटीएस ने दो फरवरी को दाखिल किए गए आरोप पत्र में 'भारत 2047- भारत में इस्लाम के शासन की ओर' नामक एक दस्तावेज जब्त करने का दावा किया है.
एटीएस के अनुसार, इस दस्तावेज में 'सरकार को गिराने के लिए' समूह (पीएफआई) के सदस्यों के लिए खाका मुहैया कराया गया है. आरोप पत्र के अनुसार कि हम ऐसे 2047 का सपना देखते हैं, जब राजनीतिक सत्ता मुस्लिम समुदाय के पास वापस आ गई हो, जिससे इसे ब्रितानी शासन ने अन्यायपूर्ण तरीके से छीन लिया था. इसके लिए सबसे पहला खाका मुस्लिम समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ शुरू होता है, जिसके लिए 'एम्पावर इंडिया फाउंडेशन' के नाम से एक अलग खाका पहले से ही मुहैया कराया जा चुका है.
जांच के मुताबिक, दस्तावेज में कहा गया है कि इसके लिए मुस्लिम समुदाय को बार-बार उसकी परेशानियों की याद दिलाने की आवश्यकता है और जहां परेशानियां नहीं है, वहां इन्हें पैदा करने की जरूरत है. पार्टी सहित हमारे सभी अग्रिम संगठनों को विस्तार करने और नए सदस्यों की भर्ती पर ध्यान देना चाहिए. आरोप पत्र में दावा किया गया है कि पीएफआई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को केवल उच्च जाति के हिंदुओं के कल्याण में रुचि रखने वाले संगठन के रूप में पेश करके समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना चाहता था.
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