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PFI के टारगेट में कई नेता, भारत में इस्लामी शासन लाने की रची साजिश : एनआईए

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है, जिसमें एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है.

लश्कर, ISIS, अल-कायदा में शामिल होने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करता है पीएफआई : एनआईए
लश्कर, ISIS, अल-कायदा में शामिल होने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करता है पीएफआई : एनआईए
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Published : Sep 24, 2022, 1:46 PM IST

कोच्चि: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है, जिसमें एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है. कोच्चि में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया.

एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपियों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितंबर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है.

एनआईए ने उल्लेख किया कि अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय के काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन (सीटीसीआर) डिवीजन ने 16 सितंबर को एक आदेश जारी कर एजेंसी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था. फिर एनआईए ने 19 सितंबर को अपनी कोच्चि शाखा में आईपीसी की धारा 120बी और 153ए, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13, 18, 18बी, 38 और 39 के तहत पीएफआई और 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

पढ़ें: एक गोली भी नहीं चली और पीएफआई का पूरा खेल खत्म, जानें कैसे बनी 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' की योजना

इनमें करमाना अशरफ मौलवी , अब्दुल सथर (राज्य महासचिव, पीएफआई, केरल), सादिक अहमद (जिला सचिव, पीएफआई, पठानमथिट्टा), शिहास (जोनल सचिव, पीएफआई), अंसारी पी (संयुक्त संयोजक, पीएफआई, नदक्कल डिवीजन), एम एम मुजीब (मंडल संयोजक, पीएफएल नदक्कल एराट्टुपेटा डिवीजन), नजुमुदीन (मंडल संयोजक, पीएफआई मुंडाक्कयम), सैनुद्दीन टीएस (जिला सचिव, पीएफआई, कोट्टायम), पी के उस्मान उर्फ ​​पल्लीकरंजिल कुंजिप्पु उस्मान उर्फ ​​उस्मान पेरुम्पिलवु (सदस्य, एनजीए, पीएफआई), याहिया कोया थानगल सदस्य, पीएफआई, केरल), सीए रउफ (राज्य सचिव, मीडिया और पीआर विंग, पीएफआई, केरल), के मुहम्मदाली उर्फ ​​कुन्हाप्पो (राष्ट्रीय प्रभारी, विस्तार विंग, पीएफआई), और सीटी सुलेमान (जिला अध्यक्ष, पीएफआई कासरगोड).

एनआईए ने कोर्ट को कहा कि जांच के दौरान उसे विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और लेख जो मामले की जांच और अभियोजन के उद्देश्य को लेकर महत्वपूर्ण सबूत साबित हो सकते हैं. उसने कहा कि अपराध के पीछे और अपराध में शामिल अन्य संदिग्धों की पहचान की गई. फिर केरल में विशेष अदालत से सीआरपीसी की धारा 93 के तहत तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद, 22 सितंबर को आरोपी के नाम पर प्राथमिकी के साथ-साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यालयों और विभिन्न लेखों के आवासीय परिसरों पर तलाशी ली गई और दस्तावेज जब्त किए गए.

पढ़ें: गजवा ए हिंद 2047 मिशन के लिए यूपी में इकट्ठा किया जा रहा था फंड, 6 PFI सदस्यों से ATS कर रही पूछताछ

जब्त किए गए दस्तावेजों में एक विशेष समुदाय के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाने से संबंधित अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री भी शामिल है. एनआईए ने अदालत को आगे बताया कि इस पहलू में न केवल अधिक सबूत प्राप्त करने के लिए बल्कि समाज में हिंसा को रोकने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है. एनआईए ने कहा कि जांच के दौरान, एकत्र की गई सामग्री के आधार पर यह खुलासा हुआ है कि एफआईआर में नामित आरोपी संगठित अपराधों और गैरकानूनी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्होंने कहा कि इकट्ठा की गई सामग्री की प्रारंभिक जांच इस मामले में अभियुक्तों द्वारा निभाई गई आपराधिक भूमिका की ओर भी ईशारा करते हैं. एनआईए ने कहा कि प्रत्येक आरोपी के खिलाफ उनकी भूमिका और खुले गतिविधियों पर विस्तृत जांच की आवश्यकता है ताकि और अधिक सबूत जुटाये जा सकें.

एजेंसी ने कहा कि जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे. वे समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे. एनआईए ने 22 सितंबर को 11 राज्यों में छापेमारी कर पीएफआई के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए ने छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्री पाई गई है, जिससे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था. इस 'हिट लिस्ट' से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था.

पढ़ें: पुणे कलेक्टर कार्यालय के बाहर कल 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे सुने गए

एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था. रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, अल कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया. इसमें कहा गया है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची. एजेंसी ने कहा कि आरोपियों और पीएफआई के कार्यालय से जब्त उपकरणों का तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक में विश्लेषण किए जाने की जरूरत है.

कोच्चि: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दावा किया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालयों और उसके नेताओं के ठिकानों पर की गई देशव्यापी छापेमारी के दौरान जब्त दस्तावेजों में बेहद संवेदनशील सामग्री मिली है, जिसमें एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है. कोच्चि में विशेष एनआईए अदालत में सौंपी गई रिमांड रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने यह आरोप भी लगाया है कि इस चरमपंथी इस्लामी संगठन ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया.

एनआईए ने कोच्चि में दर्ज एक मामले के संबंध में 10 आरोपियों की हिरासत की मांग करते हुए 22 सितंबर को अदालत में रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पीएफआई लोगों के एक वर्ग के समक्ष सरकारी नीतियों की गलत व्याख्या पेश कर भारत के प्रति नफरत फैलाने और सत्ता तथा उसके अंगों के खिलाफ घृणा का भाव उत्पन्न करने का काम करता है.

एनआईए ने उल्लेख किया कि अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय के काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन (सीटीसीआर) डिवीजन ने 16 सितंबर को एक आदेश जारी कर एजेंसी को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था. फिर एनआईए ने 19 सितंबर को अपनी कोच्चि शाखा में आईपीसी की धारा 120बी और 153ए, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13, 18, 18बी, 38 और 39 के तहत पीएफआई और 13 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

पढ़ें: एक गोली भी नहीं चली और पीएफआई का पूरा खेल खत्म, जानें कैसे बनी 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' की योजना

इनमें करमाना अशरफ मौलवी , अब्दुल सथर (राज्य महासचिव, पीएफआई, केरल), सादिक अहमद (जिला सचिव, पीएफआई, पठानमथिट्टा), शिहास (जोनल सचिव, पीएफआई), अंसारी पी (संयुक्त संयोजक, पीएफआई, नदक्कल डिवीजन), एम एम मुजीब (मंडल संयोजक, पीएफएल नदक्कल एराट्टुपेटा डिवीजन), नजुमुदीन (मंडल संयोजक, पीएफआई मुंडाक्कयम), सैनुद्दीन टीएस (जिला सचिव, पीएफआई, कोट्टायम), पी के उस्मान उर्फ ​​पल्लीकरंजिल कुंजिप्पु उस्मान उर्फ ​​उस्मान पेरुम्पिलवु (सदस्य, एनजीए, पीएफआई), याहिया कोया थानगल सदस्य, पीएफआई, केरल), सीए रउफ (राज्य सचिव, मीडिया और पीआर विंग, पीएफआई, केरल), के मुहम्मदाली उर्फ ​​कुन्हाप्पो (राष्ट्रीय प्रभारी, विस्तार विंग, पीएफआई), और सीटी सुलेमान (जिला अध्यक्ष, पीएफआई कासरगोड).

एनआईए ने कोर्ट को कहा कि जांच के दौरान उसे विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और लेख जो मामले की जांच और अभियोजन के उद्देश्य को लेकर महत्वपूर्ण सबूत साबित हो सकते हैं. उसने कहा कि अपराध के पीछे और अपराध में शामिल अन्य संदिग्धों की पहचान की गई. फिर केरल में विशेष अदालत से सीआरपीसी की धारा 93 के तहत तलाशी वारंट प्राप्त करने के बाद, 22 सितंबर को आरोपी के नाम पर प्राथमिकी के साथ-साथ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यालयों और विभिन्न लेखों के आवासीय परिसरों पर तलाशी ली गई और दस्तावेज जब्त किए गए.

पढ़ें: गजवा ए हिंद 2047 मिशन के लिए यूपी में इकट्ठा किया जा रहा था फंड, 6 PFI सदस्यों से ATS कर रही पूछताछ

जब्त किए गए दस्तावेजों में एक विशेष समुदाय के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाने से संबंधित अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री भी शामिल है. एनआईए ने अदालत को आगे बताया कि इस पहलू में न केवल अधिक सबूत प्राप्त करने के लिए बल्कि समाज में हिंसा को रोकने के लिए और अधिक जांच की आवश्यकता है. एनआईए ने कहा कि जांच के दौरान, एकत्र की गई सामग्री के आधार पर यह खुलासा हुआ है कि एफआईआर में नामित आरोपी संगठित अपराधों और गैरकानूनी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्होंने कहा कि इकट्ठा की गई सामग्री की प्रारंभिक जांच इस मामले में अभियुक्तों द्वारा निभाई गई आपराधिक भूमिका की ओर भी ईशारा करते हैं. एनआईए ने कहा कि प्रत्येक आरोपी के खिलाफ उनकी भूमिका और खुले गतिविधियों पर विस्तृत जांच की आवश्यकता है ताकि और अधिक सबूत जुटाये जा सकें.

एजेंसी ने कहा कि जांच में सामने आया है कि प्राथमिकी में नामजद आरोपी संगठित अपराध और अवैध गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थे. वे समाज के अन्य धार्मिक वर्गों और आमजन के बीच दहशत पैदा करने का काम करते थे. एनआईए ने 22 सितंबर को 11 राज्यों में छापेमारी कर पीएफआई के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए ने छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों में ऐसी सामग्री पाई गई है, जिससे पता चलता है कि एक समुदाय विशेष के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जा रहा था. इस 'हिट लिस्ट' से मालूम होता है कि पीएफआई अपने नेताओं के माध्यम से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का काम कर रहा था.

पढ़ें: पुणे कलेक्टर कार्यालय के बाहर कल 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे सुने गए

एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संगठन का इरादा शांति और सद्भाव को भंग करना तथा वैकल्पिक न्याय व्यवस्था चलाना था. रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, अल कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया. इसमें कहा गया है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची. एजेंसी ने कहा कि आरोपियों और पीएफआई के कार्यालय से जब्त उपकरणों का तिरुवनंतपुरम स्थित सी-डैक में विश्लेषण किए जाने की जरूरत है.

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