नई दिल्ली : भारत ने बुधवार को चीन की क्षुद्र भू-राजनीतिक हितों में लिप्त होने की निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी बैठक में कड़े शब्दों में चीन पर कटाक्ष किया. चीन ने भारत और अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिये लाए गए प्रस्ताव पर मंगलवार को अड़ंगा लगा दिया. पाकिस्तान में मौजूद मीर 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के कारण वांछित है.
बुधवार को भारतीय दूत प्रकाश गुप्ता ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद विरोधी ढांचे में वास्तव में कुछ गंभीर रूप से गलत है. क्योंकि आतंकवादी साजिद मीर को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव विभिन्न सदस्य देशों से सह-प्रायोजित होने के बावजूद मुख्य बाधा को पार नहीं कर सका. संयुक्त सचिव, प्रकाश गुप्ता ने कहा कि अगर हम स्थापित आतंकवादी को सूचीबद्ध नहीं कर सकते. जिसे पहले से ही वैश्विक परिदृश्यों में प्रतिबंधित किया गया है. तो इसका अर्थ यह है कि हमारे पास आतंकवाद की इस चुनौती से ईमानदारी से लड़ने के लिए वास्तविक राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्यों से को दोहरे मानकों से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि सदस्यों को अच्छे और बुरे आतंकवादियों के भ्रम में नहीं पड़ने चाहिए. गुप्ता ने कहा कि एक आतंकी कृत्य एक आतंकी कृत्य है. किसी भी तरह से इसका बचाव नहीं करना चाहिए. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत वैश्विक आतंकवादी के रूप में मीर को काली सूची में डालने और उसकी संपत्ति जब्त करने, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका द्वारा पेश किए गए तथा भारत द्वारा साथ मिलकर तैयार किए गए प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया.
पिछले साल सितंबर में भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र में मीर को आतंकवादी घोषित करने के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा दिया था. बीजिंग ने अब प्रस्ताव को रोक दिया है. मीर, जिसकी उम्र 40 से 50 के बीच है, भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में से एक है और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए अमेरिका द्वारा उस पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा गया है. पिछले साल जून में, मीर को पाकिस्तान में एक आतंकवाद-रोधी अदालत द्वारा आतंक के वित्तपोषण मामले में 15 साल से अधिक समय के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने पूर्व में दावा किया था कि मीर की मृत्यु हो गई, लेकिन पश्चिमी देशों ने उसकी मृत्यु का प्रमाण मांगा. पिछले साल के अंत में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा कार्य योजना पर पाकिस्तान की प्रगति के आकलन में यह मुद्दा एक प्रमुख बाधा बन गया. मीर पाकिस्तान स्थित लश्कर का वरिष्ठ सदस्य है और नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में संलिप्तता के लिए वांछित है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मीर हमलों के लिए लश्कर-ए-तैयबा का संचालन प्रबंधक था, जो उसकी साजिश, तैयारी और अंजाम देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा था.
पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त चीन यूएनएससी की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को काली सूची में डालने की प्रक्रिया में बार-बार अड़ंगा लगा रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि मीर लगभग 2001 से लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य है. साल 2006 से 2011 तक, मीर लश्कर के बाहरी अभियानों का प्रभारी था और उसने समूह की ओर से विभिन्न आतंकवादी हमलों की साजिश रची और इसे अंजाम देने में भूमिका निभाई.
इसके अतिरिक्त, मीर ने 2008 और 2009 के बीच डेनमार्क में एक अखबार के कर्मचारियों के खिलाफ आतंकवादी हमले की साजिश रची. मुंबई हमलों में उसकी भूमिका के लिए, मीर को अप्रैल 2011 में अमेरिका में आरोपी ठहराया गया था. अगस्त 2012 में, अमेरिकी कोषागार विभाग ने मीर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित किया.