उडुपी (कर्नाटक) : उडुपी जिले के पदुबिदरी के पदुहित्लु जरांदया दैवास्थान (Paduhitlu Jarandaya Daivasthana in Padubidri) में 'कांतारा' फिल्म की कहानी जैसी ही एक घटना घटी (kantara movie like story in Karnataka). 500 साल पुराने इस दैवस्थान के खिलाफ पहली बार कोई व्यक्ति कोर्ट गया. अदालत द्वारा स्थगन आदेश लाए जाने के अगले दिन वह गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि ईश्वर की शक्ति के कारण ऐसा हुआ.
पदुबिदरी का पदुहित्लु जरांदया दैवास्थान पूरे गांव के लिए भक्ति और आस्था का केंद्र है. साल में एक बार, यहां एक भव्य नीमोत्सव समारोह आयोजित किया जाता है, जिसमें ग्रामीण भाग लेते हैं. इस दैवस्थान की देखभाल के लिए एक पदुहितलु जरांदया बंता सेवा समिति है.
प्रकाश शेट्टी इस समिति के अध्यक्ष थे. समिति बदलने पर प्रकाश शेट्टी स्वाभाविक रूप से सत्ता से बाहर हो गए. सत्ता की लालसा के लिए अलग से 5 लोगों का ट्रस्ट बनाने वाले प्रकाश शेट्टी ने यहां दैवस्थान की गुरीकारा (प्रमुख) जया पुजारी को अपना अध्यक्ष नियुक्त किया था. उन्होंने यह अधिकार स्थापित करने का प्रयास किया कि दैवास्थान उनका है.
कोर्ट गए थे प्रकाश शेट्टी: हर साल की तरह इस साल भी जरांदया दैवस्थान समिति ने नेमोत्सव करने का फैसला किया है और 7 जनवरी को कोला रखने का फैसला किया है. जया पुजारी और प्रकाश शेट्टी, जो इसके खिलाफ अदालत गए थे, कोला (Kola) पर स्टे ऑर्डर लाने में सफल रहे. हैरानी की बात यह है कि 23 दिसंबर को स्थगन आदेश लाने वाले जया पुजारी अचानक गिर पड़े और 24 दिसंबर को उनकी मौत हो गई. हैरानी की बात तो यह है कि पास में तम्बिला सेवा चल रही थी, तभी सबके सामने उनकी मौत हो गई. अचानक हुई इस मौत को देखकर कस्बे के लोग सन्न रह गए.
दैवस्थान नेमोत्सव जो आज होना था, उसे दैवस्थान समिति ने जया पुजारी के निधन के कारण स्थगित कर दिया है. लेकिन प्रकाश शेट्टी और उनकी टीम नेमोत्सव करने के लिए तैयार हैं. लेकिन ग्रामीणों के खिलाफ जाने वाले प्रकाश शेट्टी और उनकी टीम के खिलाफ कस्बे में अब काफी गुस्सा है. अब गांव के सभी लोग एक साथ आए हैं और इस निर्णय पर पहुंचे हैं कि जरांदया बंटा सेवा समिति जो 500 साल पुरानी है उस फैसले के लिए बाध्य है.
कांतारा मूवी: ऋषभ शेट्टी द्वारा निर्देशित कांतारा मूवी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. फिल्म पंजुरली दैवा (तटीय कर्नाटक के दैवों में से एक) के बारे में है. इस फिल्म में एक राजा ग्रामीणों को दैवा के लिए अपनी जमीन दान में देता है. लेकिन उस राजा का पोता उस गांव में आता है और जमीन वापस मांगता है. लेकिन पंजुरली दैवा ने जमीन वापस देने से इनकार कर दिया. पोता अदालत जाता है, और कोर्ट की सीढ़ियों पर मर जाता है.
दैवस्थान क्या है: दैवस्थान तटीय कर्नाटक और केरल के कुछ स्थानों में बहुत चर्चित है. यहां लोग देवता (दैव) को मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. यहां लोग दैवस्थान में देवताओं की पूजा मंदिर में भगवान की तरह करते हैं. दैवस्थान मंदिर जैसी संरचना है, लेकिन वास्तव में मंदिर नहीं है. इसकी अपनी शैली है. लोग दैवों को पशु और शाकाहारी भोजन देते हैं.
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