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उत्तराखंड : डीजीपी ने कहा- पुलिस की मुस्तैदी से आपदा का भयावह रूप टला - पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रेस्क्यू

उत्तराखंड पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की मुस्तैदी के चलते प्रदेश में अतिवृष्टि बनकर बरसी आपदा अधिक भयावह रूप नहीं ले पायी.

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Published : Oct 24, 2021, 7:28 PM IST

देहरादून : उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने रविवार को कहा कि पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने लगभग 65 हजार लोगों को आपदा में फंसने से पहले ही रोक लिया.

नैनीताल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि मौसम खराब होने की चेतावनी के 24 घंटे पहले आने के कारण लगभग 48000 लोगों को गढ़वाल में और लगभग 17000 लोगों को कुमाऊं में समय रहते उपर चढने से रोक लिया गया जिससे वे आपदा में नहीं फंसे.

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 48000 अन्य को समय रहते ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया जबकि आपदा में फंस गए दस हजार लोगों को सकुशल बचाया गया. उन्होंने कहा कि कुमाऊं में साढे नौ हजार लोगों को जबकि गढवाल में 500 लोगों को बचाया गया.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अभी तक प्रदेश में आपदा से 76 मौतें हुई हैं जिनमें से 59 मौतें कुमांउ में और 17 गढवाल में हुईं. उन्होंने कहा कि 33 अन्य घायल हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 14 लोग अब भी लापता हैं जिनमें से आठ ट्रैकर्स हैं जो मलबे आदि में दब गए या बह गए.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जैसे पिथौरागढ में गुंजी और दारमा, बागेश्वर में पिंडारी की तरफ और उत्तरकाशी में अभी तलाश और बचाव अभियान चल रहा है. इसके अतिरिक्त नैनीताल जिले के रामगढ में तीन लापता लोगों को ढूंढने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है.

आपदा में पुलिस और एसडीआरएफ के काम को उल्लेखनीय बताते हुए कुमार ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि आपदा में अच्छा काम करने वाले कार्मिकों को अगले साल 26 जनवरी को पदक से सम्मानित किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी इलाकों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान चौथे दिन भी जारी रहा. आर्मी की मदद से चलाए गए इस अभियान में आज (रविवार) को गुंजी क्षेत्र से कुल 65 लोगों का रेस्क्यू किया गया. जबकि जिले के अंतर्गत आने वाले उच्च हिमालयी क्षेत्र से चौथे दिन कुल 85 लोगों का रेस्क्यू किया गया. इसमें दारमा घाटी से 20 लोगों का रेस्क्यू भी शामिल है.

पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से फंसे पर्यटक और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू अभियान लगातार चौथे दिन भी जारी रहा. वायुसेना के हेलीकॉप्टर से रविवार को 85 लोगों को धारचूला हेलीपैड पहुंचाया गया. इसमें 65 लोग गुंजी क्षेत्र व 20 लोग दारमा घाटी से रेस्क्यू किया गया.

रविवार को रेस्क्यू हुए 85 लोगों में से 43 पर्यटक हैं, जबकि 42 लोग स्थानीय व सेना के जवान हैं. अभी तक गुंजी क्षेत्र से कुल 136 पर्यटक व दारमा घाटी से 62 (पर्यटक, स्थानीय व सेना के जवान) का रेस्क्यू किया गया है. यानी कुल मिलाकर अभी तक हिमालय क्षेत्र में फंसे कुल 198 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है.

वहीं, रेस्क्यू में अधिकांश लोग देश के विभिन्न हिस्सों के सैलानी हैं. ये सभी लोग 16 अक्टूबर से दारमा घाटी में फंसे हुए थे. ज्यादातर सैलानी पंचाचूली के दर्शनों के लिए गए हुए थे. शनिवार को भी सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 41 लोगों का रेस्क्यू किया गया था. महाराष्ट्र के एक पर्यटक के शव को भी शनिवार को चिनूक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर पिथौरागढ़ लाया गया था.

वहीं, धारचूला पहुंचने पर सैलानियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सभी पर्यटकों ने वायुसेना के साथ ही पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार का भी शुक्रिया अदा किया.

सैलनियों ने कहा कि बारिश और बर्फबारी के बाद ऊंचाई वाले इलाकों में फंसने पर जिला प्रशासन ने उनकी हर संभव मदद की. वहीं पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा कि अगले कुछ और दिनों तक ऊंचाई वाले इलाकों में फंसे लोगों को रेस्क्यू किए जाने का अभियान जारी रहेगा.

वहीं सुंदरढूंगा ग्लेशियर में घायल एवं लापता हुए पर्यटकों एवं स्थानीय नागारिक के खोजबीन का कार्य आज भी जारी रहा. लेकिन सुंदरढूंगा में घटनास्थल पर आज भी रेस्क्यू दल नहीं पहुंचा सका. खराब मौसम की वजह से आज भी चॉपर घटनास्थल पर नहीं पहुंच सका.

जिलाधिकारी विनीत कुमार के नेतृत्व में सुंदरढूंगा ग्लेशियर क्षेत्र में लापता हुए पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों की खोजबीन चौथे भी दिन जारी रहा. उपजिलाधिकारी कपकोट पारितोष वर्मा ने बताया कि आज सेना के दो हेलीकॉप्टर द्वारा जातोली से सुंदरढूंगा ग्लेशियर घटनास्थल के लिए 6 बार उड़ान भरी और रेस्क्यू कार्य करने का प्रयास किया गया. लेकिन उच्च हिमालय क्षेत्र एवं घटनास्थल पर वर्षा होने के कारण रेस्क्यू अभियान नहीं चलाया जा सका.

उन्होंने बताया कि सेना के दो हेलीकाप्टरों से रेस्क्यू कार्य के लिए 7 सदस्यीय दल को कठलिया में ही लैंडिंग कराना पड़ा. कल एसडीआएफ के जवानों सहित 6 सदस्ययी दल को जातोली से पैदल ही रवाना किया गया था और आज 7 सदस्ययी दल को भेजा गया है.

उत्तराखंड में सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीने में बड़ी तादाद में पर्यटक पहाड़ों का रुख करते हैं. बागेश्वर जिले में तीन स्‍थानों- सुंदरढूंगा ग्लेशियर, कफनी और पिंडारी ग्‍लेशियर में पर्यटक ट्रैकिंग के लिए जाते हैं, जो 15 सितंबर से 15 नवंबर तक कराई जाती है.

बताया जा रहा है कि ये पर्यटक भी घाटी में ट्रैकिंग के लिए गए थे, जहां ये लोग फंस गए. अभीतक एसडीआरएफ की टीम ने 60 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है.

देहरादून : उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने रविवार को कहा कि पुलिस और राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने लगभग 65 हजार लोगों को आपदा में फंसने से पहले ही रोक लिया.

नैनीताल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि मौसम खराब होने की चेतावनी के 24 घंटे पहले आने के कारण लगभग 48000 लोगों को गढ़वाल में और लगभग 17000 लोगों को कुमाऊं में समय रहते उपर चढने से रोक लिया गया जिससे वे आपदा में नहीं फंसे.

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि 48000 अन्य को समय रहते ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया जबकि आपदा में फंस गए दस हजार लोगों को सकुशल बचाया गया. उन्होंने कहा कि कुमाऊं में साढे नौ हजार लोगों को जबकि गढवाल में 500 लोगों को बचाया गया.

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अभी तक प्रदेश में आपदा से 76 मौतें हुई हैं जिनमें से 59 मौतें कुमांउ में और 17 गढवाल में हुईं. उन्होंने कहा कि 33 अन्य घायल हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 14 लोग अब भी लापता हैं जिनमें से आठ ट्रैकर्स हैं जो मलबे आदि में दब गए या बह गए.

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जैसे पिथौरागढ में गुंजी और दारमा, बागेश्वर में पिंडारी की तरफ और उत्तरकाशी में अभी तलाश और बचाव अभियान चल रहा है. इसके अतिरिक्त नैनीताल जिले के रामगढ में तीन लापता लोगों को ढूंढने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है.

आपदा में पुलिस और एसडीआरएफ के काम को उल्लेखनीय बताते हुए कुमार ने कहा कि हमने निर्णय लिया है कि आपदा में अच्छा काम करने वाले कार्मिकों को अगले साल 26 जनवरी को पदक से सम्मानित किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी इलाकों में फंसे लोगों को निकालने का अभियान चौथे दिन भी जारी रहा. आर्मी की मदद से चलाए गए इस अभियान में आज (रविवार) को गुंजी क्षेत्र से कुल 65 लोगों का रेस्क्यू किया गया. जबकि जिले के अंतर्गत आने वाले उच्च हिमालयी क्षेत्र से चौथे दिन कुल 85 लोगों का रेस्क्यू किया गया. इसमें दारमा घाटी से 20 लोगों का रेस्क्यू भी शामिल है.

पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले कई दिनों से फंसे पर्यटक और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू अभियान लगातार चौथे दिन भी जारी रहा. वायुसेना के हेलीकॉप्टर से रविवार को 85 लोगों को धारचूला हेलीपैड पहुंचाया गया. इसमें 65 लोग गुंजी क्षेत्र व 20 लोग दारमा घाटी से रेस्क्यू किया गया.

रविवार को रेस्क्यू हुए 85 लोगों में से 43 पर्यटक हैं, जबकि 42 लोग स्थानीय व सेना के जवान हैं. अभी तक गुंजी क्षेत्र से कुल 136 पर्यटक व दारमा घाटी से 62 (पर्यटक, स्थानीय व सेना के जवान) का रेस्क्यू किया गया है. यानी कुल मिलाकर अभी तक हिमालय क्षेत्र में फंसे कुल 198 लोगों का रेस्क्यू किया जा चुका है.

वहीं, रेस्क्यू में अधिकांश लोग देश के विभिन्न हिस्सों के सैलानी हैं. ये सभी लोग 16 अक्टूबर से दारमा घाटी में फंसे हुए थे. ज्यादातर सैलानी पंचाचूली के दर्शनों के लिए गए हुए थे. शनिवार को भी सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 41 लोगों का रेस्क्यू किया गया था. महाराष्ट्र के एक पर्यटक के शव को भी शनिवार को चिनूक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू कर पिथौरागढ़ लाया गया था.

वहीं, धारचूला पहुंचने पर सैलानियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सभी पर्यटकों ने वायुसेना के साथ ही पिथौरागढ़ जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार का भी शुक्रिया अदा किया.

सैलनियों ने कहा कि बारिश और बर्फबारी के बाद ऊंचाई वाले इलाकों में फंसने पर जिला प्रशासन ने उनकी हर संभव मदद की. वहीं पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने कहा कि अगले कुछ और दिनों तक ऊंचाई वाले इलाकों में फंसे लोगों को रेस्क्यू किए जाने का अभियान जारी रहेगा.

वहीं सुंदरढूंगा ग्लेशियर में घायल एवं लापता हुए पर्यटकों एवं स्थानीय नागारिक के खोजबीन का कार्य आज भी जारी रहा. लेकिन सुंदरढूंगा में घटनास्थल पर आज भी रेस्क्यू दल नहीं पहुंचा सका. खराब मौसम की वजह से आज भी चॉपर घटनास्थल पर नहीं पहुंच सका.

जिलाधिकारी विनीत कुमार के नेतृत्व में सुंदरढूंगा ग्लेशियर क्षेत्र में लापता हुए पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों की खोजबीन चौथे भी दिन जारी रहा. उपजिलाधिकारी कपकोट पारितोष वर्मा ने बताया कि आज सेना के दो हेलीकॉप्टर द्वारा जातोली से सुंदरढूंगा ग्लेशियर घटनास्थल के लिए 6 बार उड़ान भरी और रेस्क्यू कार्य करने का प्रयास किया गया. लेकिन उच्च हिमालय क्षेत्र एवं घटनास्थल पर वर्षा होने के कारण रेस्क्यू अभियान नहीं चलाया जा सका.

उन्होंने बताया कि सेना के दो हेलीकाप्टरों से रेस्क्यू कार्य के लिए 7 सदस्यीय दल को कठलिया में ही लैंडिंग कराना पड़ा. कल एसडीआएफ के जवानों सहित 6 सदस्ययी दल को जातोली से पैदल ही रवाना किया गया था और आज 7 सदस्ययी दल को भेजा गया है.

उत्तराखंड में सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीने में बड़ी तादाद में पर्यटक पहाड़ों का रुख करते हैं. बागेश्वर जिले में तीन स्‍थानों- सुंदरढूंगा ग्लेशियर, कफनी और पिंडारी ग्‍लेशियर में पर्यटक ट्रैकिंग के लिए जाते हैं, जो 15 सितंबर से 15 नवंबर तक कराई जाती है.

बताया जा रहा है कि ये पर्यटक भी घाटी में ट्रैकिंग के लिए गए थे, जहां ये लोग फंस गए. अभीतक एसडीआरएफ की टीम ने 60 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है.

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