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लोग पहले कोविड-19 नियमों का पालन करें, फिर सरकार को दोष दें : उच्च न्यायालय - ठोडी से नीचे मास्क

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि लोगों को कोविड-19 मामलों में वृद्धि के बीच सरकार को दोष देने से पहले संयम और अनुशासन दिखाना चाहिए. अदातल ने महामारी के संबंध में विभिन्न दिशा-निर्देश जारी करते हुए यह बात कही.

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Published : Apr 26, 2021, 10:35 PM IST

मुंबई : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवीन्द्र घुगे और न्यायमूर्ति बीयू देबदवार की पीठ ने लोक सेवकों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों समेत सभी लोगों को घरों से बाहर निकलते समय आधार कार्ड साथ रखने और मास्क पहनने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति घुगे ने कहा कि नागरिकों के तौर पर हमें सरकार को दोष देने से पहले शालीनता और संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए. लोगों को संयम और अनुशासन दिखाना चाहिए. अदालत ने कहा कि योजनाएं और व्यवस्थाएं अच्छी होती हैं लेकिन मनुष्य ही उन्हें नष्ट और समाप्त कर देते हैं.

अदालत ने कहा कि हम युवाओं, लड़कों और लड़कियों को बिना किसी कारण इधर-उधर घूमते हुए देखते हैं. एक मोटरसाइकिल पर कहीं तीन-तीन तो कहीं चार-चार लोग बिना हेल्मेट और मास्क के आ जा रहे हैं. अदालत ने कहा कि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति को कम से कम से कम नाक और मुंह ढंकने वाला मास्क पहनना चाहिए.

न्यायमूर्ति घुगे ने कहा कि ठोडी से नीचे मास्क पहनने वाले या मुंह अथवा ठोडी खोलकर चलने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अकसर कोरोना वायरस को फैलाने वाले बन जाते हैं.

अदालत ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल का कोई सदस्य या कोई प्रभावशाली व्यक्ति लॉकडाउन उल्लंघनकर्ता की मदद करने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग न करे. पीठ ने पिछले सप्ताह ऑक्सीजन तथा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी और लोगों द्वारा लॉकडाउन पाबंदियों का पालन नहीं किए जाने आदि कोविड-19 महामारी से संबंधित मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया था.

यह भी पढ़ें-सरकार ने सीरम और भारत बायोटेक से कोरोना टीकों की कीमतें कम करने को कहा

अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के वितरण की सरकार की नीति में हस्तक्षेप करने की उसकी कोई मंशा नहीं है.

मुंबई : हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवीन्द्र घुगे और न्यायमूर्ति बीयू देबदवार की पीठ ने लोक सेवकों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों समेत सभी लोगों को घरों से बाहर निकलते समय आधार कार्ड साथ रखने और मास्क पहनने का निर्देश दिया है.

न्यायमूर्ति घुगे ने कहा कि नागरिकों के तौर पर हमें सरकार को दोष देने से पहले शालीनता और संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए. लोगों को संयम और अनुशासन दिखाना चाहिए. अदालत ने कहा कि योजनाएं और व्यवस्थाएं अच्छी होती हैं लेकिन मनुष्य ही उन्हें नष्ट और समाप्त कर देते हैं.

अदालत ने कहा कि हम युवाओं, लड़कों और लड़कियों को बिना किसी कारण इधर-उधर घूमते हुए देखते हैं. एक मोटरसाइकिल पर कहीं तीन-तीन तो कहीं चार-चार लोग बिना हेल्मेट और मास्क के आ जा रहे हैं. अदालत ने कहा कि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति को कम से कम से कम नाक और मुंह ढंकने वाला मास्क पहनना चाहिए.

न्यायमूर्ति घुगे ने कहा कि ठोडी से नीचे मास्क पहनने वाले या मुंह अथवा ठोडी खोलकर चलने वाले लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग अकसर कोरोना वायरस को फैलाने वाले बन जाते हैं.

अदालत ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल का कोई सदस्य या कोई प्रभावशाली व्यक्ति लॉकडाउन उल्लंघनकर्ता की मदद करने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग न करे. पीठ ने पिछले सप्ताह ऑक्सीजन तथा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी और लोगों द्वारा लॉकडाउन पाबंदियों का पालन नहीं किए जाने आदि कोविड-19 महामारी से संबंधित मामलों पर स्वत: संज्ञान लिया था.

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अदालत ने कहा कि ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन के वितरण की सरकार की नीति में हस्तक्षेप करने की उसकी कोई मंशा नहीं है.

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