सागर/भोपाल : सरकारी कामकाज में लेटलतीफी और शिकायतों को लेकर जब आम आदमी थक हार जाता है, तब वह सीएम हेल्पलाइन 181 (CM Helpline) में शिकायत दर्ज कराता है. शिकायतकर्ता को उम्मीद होती है कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराने के बाद उसकी सुनवाई जरूर होगी. लेकिन इन दिनों सीएम हेल्पलाइन प्रताड़ना का कारण बनता जा रहा है. कई केस ऐसे आए हैं जिनमें शिकायतकर्ता को कार्रवाई करने से पहले शिकायत वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है. इसलिए अब लोग प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी शिकायतें पहुंचा रहे हैं.
CM Helpline में शिकायत कर फंस गए सागर के रघुपति
सागर के रघुपति शर्मा को सीएम हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करना भारी पड़ रहा है. उन्होंने जमीन के एक केस में सीएम हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत की. एक्शन भी लिया गया. लेकिन जब कार्रवाई खत्म होने आई, तब उस पर दबाव डाला गया कि पहले शिकायत वापस लो, तभी पूरी कार्रवाई होगी.
'शिकायत वापस लो, नहीं तो छेड़छाड़ के केस में फंसा देंगे'
रघुपति शर्मा की खैराना गांव में करीब तीन बीघा से ज्यादा जमीन है. इस पर गांव के ही एक व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है. 2013 में रघुपति ने तहसील न्यायालय में केस दर्ज करवाया. करीब चार साल बाद 2017 में रघुपति को जमीन वापस दिलाने का RI जे पी विश्वकर्मा को आदेश दिया गया था. लेकिन RI ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद रघुपति ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज करायी. RI को जमीन की कार्रवाई पूरी कराने का दोबारा आदेश दिया गया, वहीं, RI ने भी शिकायत वापस लेने के लिए शिकायतकर्ता रघुपति पर दबाव बनाया. जब रघुपति ने पूरा कब्जा मिलने के बाद शिकायत वापस लेने की बात कही, तो RI ने उसे धमकाया. उससे कहा गया कि उसके खिलाफ किसी महिला पटवारी से छेड़खानी का मामला दर्ज करा दिया जाएगा. इसकी भी शिकायत उसने तहसीलदार से की, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
'राजेश ने भी CM Helpline पर शिकायत की थी, अब पछता रहे हैं'
एक और मामले में सागर के रविशंकर वार्ड इलाके के रहने वाले राजेश पटेल ने जमीन पर अतिक्रमण के मामले में नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन उनकी शिकायत पर जब सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने सीएम हेल्पलाइन 181 में शिकायत दर्ज करायी थी. जैसे ही सीएम हेल्पलाइन से शिकायत नगर निगम को पहुंची,तो नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी राजेश पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने लगे. जब उसने शिकायत वापस लेने से इनकार कर दिया, तो नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर शिकायतकर्ता को ही अवैध कब्जा करने वाला घोषित कर दिया. जिस जमीन को लेकर अतिक्रमण की शिकायत की गई थी, उसका निराकरण अभी तक नहीं हुआ.
ऐसा हो नहीं सकता, हुआ है तो एक्शन लेंगे- कलेक्टर
जब ईटीवी भारत ने जिला कलेक्टर दीपक आर्य से इस बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है. क्योंकि, सीएम हेल्पलाइन में इस तरह की व्यवस्था है कि अधिकारी जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन जब कलेक्टर को बताया गया कि ज्यादातर मामलों में कहा जाता है कि शिकायत वापस लें, तब ही निराकरण होगा तो उनका कहना था कि अगर इस तरह का कोई मामला है, तो मुझे बताइए, कार्रवाई होगी.
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CM Helpline से मोहभंग, PMO में हो रही शिकायत
सीएम हेल्पलाइन से शिकायतों पर पूरा एक्शन नहीं होने से लोग परेशान हो रहे हैं. अब बड़ी संख्या में लोग प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक अपनी शिकायतें पहुंचा रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें बिजली, स्वास्थ्य समस्याओं और निर्माण कार्यों में गड़बड़ियों से जुड़ी होती हैं. सूत्रों की मानें तो पीएम कार्यालय तक प्रदेशभर से ऐसी 90 हजार से ज्यादा शिकायतें आई हैं. पीएम कार्यालय से फॉरवर्ड होकर मध्य प्रदेश शासन के पास आई इन शिकायतों पर कार्रवाई करने का मुख्य सचिव कार्यालय ने सभी संबंधित जिलों को निर्देश दिए हैं.
मध्य प्रदेश के डॉक्टर्स को एनपीएस स्कीम के तहत होने वाली कटौती का लाभ नहीं मिलने और पैसा कटने के बाद भी उनके अकाउंट में जमा न होने की डॉ स्नेह ने विभाग में शिकायत की थी. लेकिन जब सुनवाई नहीं हुई तो डॉक्टर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई है. पीएम हाउस तक शिकायत पहुंचने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. अब पूरे मामले की जांच की जा रही है.
बेपरवाह अफसर दे रहे CM को धोखा !
सीएम हेल्पलाइन और पीएम तक पहुंचने वाली शिकायतों को लेकर मध्य प्रदेश के अधिकांश अधिकारी लापरवाही बरतने लगे हैं. लोगों का आरोप है कि कई मामलों में संबंधित अधिकारी आधारहीन शिकायत का हवाला देकर उन्हें खारिज कर देते हैं. कई अधिकारी ऑनलाइन प्राप्त होने वाली शिकायतों को देखने के लिए लॉग ईन तक नहीं करते हैं. यही वजह है कि सीएम हेल्पलाइन योजना के संचालक ने 80 से ज्यादा अधिकारियों को चिह्नित कर शासन को अपनी रिपोर्ट भेजी थी. ऐसे सभी अधिकारियों को चेतावनी जारी की गई है.
'ऐसी Helpline किस काम की'
शिकायतों को लेकर अधिकारियों और शासन के रवैये के लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता के मुताबिक सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों का निराकरण नहीं होने का नतीजा ही है कि बड़ी संख्या में शिकायतें पीएम हाउस तक पहुंच रही हैं. प्रदेश सरकार का अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं है और यही वजह है कि आम लोगों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. जहां आम लोगों की शिकायतों का निराकरण नहीं हो पा रहा है, वहां ऐसे हेल्पलाइन किस काम की.
पेंडिंग शिकायतों का लगा अंबार
साल 2014 में सीएम हेल्पलाइन को शुरू किया गया था. उसके बाद से अब तक सीएम हेल्पलाइन पर एक करोड़ 53 लाख शिकायतें प्राप्त हुई हैं. विभागवार देखा जाए तो सबसे ज्यादा शिकायतें ऊर्जा विभाग से जुड़ी हुई हैं.
- ऊर्जा विभाग से संबंधित सबसे ज्यादा 24 लाख शिकायतें मिली हैं. इसमें से 22 हजार 446 शिकायतें अभी भी पेंडिंग हैं, जबकि छह लाख 50 हजार शिकायतें स्पेशल क्लोज की गई.
- पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विरुद्ध में 19 लाख 88 हजार शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर पहुंची हैं. इसमें से 35 हजार शिकायतें अब भी पेंडिंग हैं.
- नगरीय विकास एवं आवास विभाग के खिलाफ 19 लाख शिकायतें हैं. इसमें से 33 हजार शिकायतें अब भी पेंडिंग हैं.
- लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से जुड़ी 12 लाख 97 हजार शिकायतें हैं, जिसमें से 25 हजार 518 शिकायतें अब भी पेंडिंग हैं.
- राजस्व विभाग के खिलाफ 12 लाख 92 हजार शिकायतें हैं, 59 हजार 293 शिकायतें अब भी पेंडिंग हैं.
सीएम हेल्पलाइन में पेंडिंग शिकायतों और शिकायतों के प्रभावी नियंत्रण न होने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी नाराजगी जताई है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे सीएम हेल्पलाइन की हर माह समीक्षा करेंगे. मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी के मुताबिक, डीओपीटी से प्राप्त होने वाली शिकायतों को लेकर सभी अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.