ETV Bharat / bharat

Railway Ticket: प्रयागराज के इस क्षेत्र के लोग ट्रेन का टिकट खरीदते हैं लेकिन यात्रा नहीं करते, जानिए क्यों?

प्रयागराज में एक ऐसा गांव है जहां के लोग ट्रेन का टिकट तो खरीदते हैं लेकिन यात्रा नहीं करते हैं. आइए इस खास रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर लोग बिना यात्रा के टिकट क्यों खरीदते हैं?

दयालपुर रेलवे स्टेशन
दयालपुर रेलवे स्टेशन
author img

By

Published : Mar 7, 2023, 10:40 PM IST

दयालपुर रेलवे स्टेशन बचाने के मुहिम में जुटे लोग.

प्रयागराजः ट्रेन में बिना टिकट सफर करने वाले लोगों के बारे में आपने कई बार सुना होगा. लेकिन प्रयागराज में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग ट्रेन का टिकट तो खरीदते हैं लेकिन यात्रा नहीं करते. टिकट खरीदकर यात्रा न करने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल, लोग दयालपुर रेलवे स्टेशन को बंद होने से बचाना चाहते हैं.

17 साल बाद पुनः शुरु हुआ स्टेशनः शहर से दूर सोरांव इलाके में दयालपुर रेलवे स्टेशन है. दयालपुर रेलवे स्टेशन आज़ादी के बाद शुरू हुआ था. 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था. जिसके बाद से कई दशकों तक इस स्टेशन से लोगों को आने जाने के लिए ट्रेनें मिलती थी. लेकिन कई सालों के घाटे के बाद उत्तर रेलवे ने 2006 में इस स्टेशन को बंद कर दिया था. इसके बाद से स्थानीय लोग लगातार इस रेलवे स्टेशन को चालू करने की मांग कर रहे थे. जिसके बाद जनवरी 2022 में रेल मंत्रालय ने सालों से बंद दयालपुर रेलवे स्टेशन को हाल्ट स्टेशन के रूप में शुरू कर दिया.

1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था.
1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था.

स्टेशन बंद न हो इसलिए ग्रामीण खरीद रहे टिकटः दयालपुर रेलवे स्टेशन कई सालों के बाद पिछले साल फिर से चालू हुआ है. लेकिन सालों से बंद इस रेलवे स्टेशन को चालू रखने के लिये इलाके के लोग बिना यात्रा के ही टिकट खरीद रहे हैं. दयालपुर और आसपास के गांव के लोग इस स्टेशन पर पहुंचकर रोजाना टिकट खरीद रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यात्रा न करनी हो तो भी टिकट खरीदते हैं, जिससे कि रेलवे के मानक के अनुसार इस स्टेशन से टिकट की बिक्री होती रहे हैं. क्योंकि किसी भी स्टेशन पर टिकट की बिक्री न होने से मानक से कम होने पर रेलवे उसको बंद कर देता है.

कम टिकटों की बिक्री होने के कारण बंद हो गया था स्टेशनः 17 साल पहले कम टिकटों की बिक्री होने की वजह से ही उत्तर रेलवे ने दयालपुर रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया था. जिसके बाद 17 सालों तक इस क्षेत्र के लोग ट्रेन के न ठहराव को शुरू करवाने के लिए आंदोलन करते रहे लेकिन उनकी परेशानी किसी ने नहीं सुनी थी. लंबी लड़ाई और लोकसभा चुनाव में स्थानीय लोगों ने इस स्टेशन को शुरू करवाने को चुनाव में मुद्दे के रूप में उठाया. जिसके बाद सांसद विधायक और नेताओं के सहयोग से 2020 में दूसरी बार इस स्टेशन पर ट्रेनों के रुकने का सिलसिला शुरू हुआ. अभी दयालपुर रेलवे स्टेशन को हॉल्ट स्टेशन के रूप में शुरू किया गया है. अब यह स्टेशन घाटे की वजह से बंद न हो इस वजह से स्थानीय लोग अपनी क्षमता के अनुसार यहां से टिकट खरीद रहे हैं.

स्टेशन बंद करने के ये हैं मानकः उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी एच एस उपाध्याय का कहना है कि रेलवे की सुविधाओं का लाभ लेने के लिए हर मुसाफिर को टिकट खरीदना चाहिए. क्योंकि टिकट की बिक्री रेलवे के आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है. इस कमाई से रेलवे अपनी सेवाओं सुविधाओं को मुसाफिरों के लिए बढ़ाता है. उन्होंने बताया कि रेलवे के द्वारा किसी स्टेशन को तभी बंद किया जाता है जब वहां पर टिकट की बिक्री बिल्कुल कम हो जाती है.

जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि रेलवे का नियम है कि जो स्टेशन ब्रांच लाइन में हो वहां कम से कम 25 टिकट और मेन लाइन पर होने पर कम से कम 50 टिकट की बिक्री रोजाना होनी चाहिए. ब्रांच लाइन पर 25 टिकटों से कम की बिक्री और मेन लाइन पर 50 टिकटों से कम की बिक्री लागतार होने पर राज्य स्तरीय अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद स्टेशन को बंद करने का फैसला लिया जाता है. इसी तरह से किसी स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव बढ़ाने के लिये भी वहां के लोगों की डिमांड देखी जाती है.

टिकट की बिक्री घटने से लोग परेशानः दयालपुर स्टेशन जब दोबारा चालू हुआ तो कुछ दिनों तक टिकट की बिक्री हुई. लेकिन समय बीतने के साथ टिकट की बिक्री घटती गयी. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने टिकट खरीदना शुरू कर दिया. गांव के तमाम लोग बिना यात्रा के ही टिकट खरीदने लगे. जिससे दिसम्बर 2022 तक इस स्टेशन से हर महीने 7 सौ के करीब टिकटों की बिक्री होने लगी थी. लेकिन जनवरी फरवरी में ठंड की वजह से टिकटों की बिक्री घट गई. जिसे अब पटरी पर लाने के लिए टिकटों की बिक्री बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर फिर से पहल की जाएगी. गांव वालों का कहना है कि जब टिकट की बिक्री घटती है तो वो बिना यात्रा के भी टिकट खरीदते हैं. वैसे इन दिनों टिकट की बिक्री कम होने से एक बार फिर ग्रामीणों की चिंता बढ़ गयी है. टिकट की बिक्री बढ़ाने के लिए ग्रामीण अब फिर से बिना यात्रा टिकट खरीदने लगेंगे.

इसे भी पढ़ें-Holi 2023: काशी में विदेशियों ने जमकर खेला रंग-गुलाल, भोजपुरी और फिल्मी गानों पर भी थिरके

दयालपुर रेलवे स्टेशन बचाने के मुहिम में जुटे लोग.

प्रयागराजः ट्रेन में बिना टिकट सफर करने वाले लोगों के बारे में आपने कई बार सुना होगा. लेकिन प्रयागराज में एक ऐसा गांव है, जहां के लोग ट्रेन का टिकट तो खरीदते हैं लेकिन यात्रा नहीं करते. टिकट खरीदकर यात्रा न करने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल, लोग दयालपुर रेलवे स्टेशन को बंद होने से बचाना चाहते हैं.

17 साल बाद पुनः शुरु हुआ स्टेशनः शहर से दूर सोरांव इलाके में दयालपुर रेलवे स्टेशन है. दयालपुर रेलवे स्टेशन आज़ादी के बाद शुरू हुआ था. 1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था. जिसके बाद से कई दशकों तक इस स्टेशन से लोगों को आने जाने के लिए ट्रेनें मिलती थी. लेकिन कई सालों के घाटे के बाद उत्तर रेलवे ने 2006 में इस स्टेशन को बंद कर दिया था. इसके बाद से स्थानीय लोग लगातार इस रेलवे स्टेशन को चालू करने की मांग कर रहे थे. जिसके बाद जनवरी 2022 में रेल मंत्रालय ने सालों से बंद दयालपुर रेलवे स्टेशन को हाल्ट स्टेशन के रूप में शुरू कर दिया.

1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था.
1954 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की संस्तुति पर रेलमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्टेशन को बनवाया था.

स्टेशन बंद न हो इसलिए ग्रामीण खरीद रहे टिकटः दयालपुर रेलवे स्टेशन कई सालों के बाद पिछले साल फिर से चालू हुआ है. लेकिन सालों से बंद इस रेलवे स्टेशन को चालू रखने के लिये इलाके के लोग बिना यात्रा के ही टिकट खरीद रहे हैं. दयालपुर और आसपास के गांव के लोग इस स्टेशन पर पहुंचकर रोजाना टिकट खरीद रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यात्रा न करनी हो तो भी टिकट खरीदते हैं, जिससे कि रेलवे के मानक के अनुसार इस स्टेशन से टिकट की बिक्री होती रहे हैं. क्योंकि किसी भी स्टेशन पर टिकट की बिक्री न होने से मानक से कम होने पर रेलवे उसको बंद कर देता है.

कम टिकटों की बिक्री होने के कारण बंद हो गया था स्टेशनः 17 साल पहले कम टिकटों की बिक्री होने की वजह से ही उत्तर रेलवे ने दयालपुर रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया था. जिसके बाद 17 सालों तक इस क्षेत्र के लोग ट्रेन के न ठहराव को शुरू करवाने के लिए आंदोलन करते रहे लेकिन उनकी परेशानी किसी ने नहीं सुनी थी. लंबी लड़ाई और लोकसभा चुनाव में स्थानीय लोगों ने इस स्टेशन को शुरू करवाने को चुनाव में मुद्दे के रूप में उठाया. जिसके बाद सांसद विधायक और नेताओं के सहयोग से 2020 में दूसरी बार इस स्टेशन पर ट्रेनों के रुकने का सिलसिला शुरू हुआ. अभी दयालपुर रेलवे स्टेशन को हॉल्ट स्टेशन के रूप में शुरू किया गया है. अब यह स्टेशन घाटे की वजह से बंद न हो इस वजह से स्थानीय लोग अपनी क्षमता के अनुसार यहां से टिकट खरीद रहे हैं.

स्टेशन बंद करने के ये हैं मानकः उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी एच एस उपाध्याय का कहना है कि रेलवे की सुविधाओं का लाभ लेने के लिए हर मुसाफिर को टिकट खरीदना चाहिए. क्योंकि टिकट की बिक्री रेलवे के आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है. इस कमाई से रेलवे अपनी सेवाओं सुविधाओं को मुसाफिरों के लिए बढ़ाता है. उन्होंने बताया कि रेलवे के द्वारा किसी स्टेशन को तभी बंद किया जाता है जब वहां पर टिकट की बिक्री बिल्कुल कम हो जाती है.

जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि रेलवे का नियम है कि जो स्टेशन ब्रांच लाइन में हो वहां कम से कम 25 टिकट और मेन लाइन पर होने पर कम से कम 50 टिकट की बिक्री रोजाना होनी चाहिए. ब्रांच लाइन पर 25 टिकटों से कम की बिक्री और मेन लाइन पर 50 टिकटों से कम की बिक्री लागतार होने पर राज्य स्तरीय अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद स्टेशन को बंद करने का फैसला लिया जाता है. इसी तरह से किसी स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव बढ़ाने के लिये भी वहां के लोगों की डिमांड देखी जाती है.

टिकट की बिक्री घटने से लोग परेशानः दयालपुर स्टेशन जब दोबारा चालू हुआ तो कुछ दिनों तक टिकट की बिक्री हुई. लेकिन समय बीतने के साथ टिकट की बिक्री घटती गयी. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने टिकट खरीदना शुरू कर दिया. गांव के तमाम लोग बिना यात्रा के ही टिकट खरीदने लगे. जिससे दिसम्बर 2022 तक इस स्टेशन से हर महीने 7 सौ के करीब टिकटों की बिक्री होने लगी थी. लेकिन जनवरी फरवरी में ठंड की वजह से टिकटों की बिक्री घट गई. जिसे अब पटरी पर लाने के लिए टिकटों की बिक्री बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर फिर से पहल की जाएगी. गांव वालों का कहना है कि जब टिकट की बिक्री घटती है तो वो बिना यात्रा के भी टिकट खरीदते हैं. वैसे इन दिनों टिकट की बिक्री कम होने से एक बार फिर ग्रामीणों की चिंता बढ़ गयी है. टिकट की बिक्री बढ़ाने के लिए ग्रामीण अब फिर से बिना यात्रा टिकट खरीदने लगेंगे.

इसे भी पढ़ें-Holi 2023: काशी में विदेशियों ने जमकर खेला रंग-गुलाल, भोजपुरी और फिल्मी गानों पर भी थिरके

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.