नई दिल्ली : पेगासस जासूसी (Pegasus Snooping) प्रकरण पर संसद में पिछले 15 दिनों से हंगामा हो रहा है. ताजा घटनाक्रम में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट (MoS Defence Ajay Bhatt) ने राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में कहा, 'रक्षा मंत्रालय का एनएसओ (Defence Ministry NSO) ग्रुप टेक्नोलॉजीज के साथ कोई लेन-देन नहीं हुआ है.' रक्षा मंत्रालय से राज्य सभा (Defence Ministry Rajya Sabha) में सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार ने एनएसओ ग्रुप टेक्नोलॉजीज (NSO Group Technologies) के साथ कोई लेन देन किया है ?
बता दें कि पेगासस सॉफ्टवेयर इजरायल (Pegasus Israel) की निगरानी सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ (Software Company NSO) ग्रुप ने बनाया है. पेगासस की मदद से भारत सहित कई देशों में लोगों के फोन की निगरानी किए जाने संबंधी रिपोर्ट्स के बाद कुछ देशों में इस संबंध में जांच भी शुरू की गई है. विपक्षी दल लगातार पेगासस मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं.
गत 19 जुलाई को शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दिन से ही विपक्षी दल पेगासस जासूसी विवाद और संसद की कार्यवाही बाधित करने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन गत 19 जुलाई को सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
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क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.
क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?
कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .
(एजेंसी इनपुट)