नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई 13 सितंबर तक टाल दी है, जिनमें पेगासस जासूसी कांड की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है.
दरअसल, पेगासस जासूसी कांड पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट में हफनामा दाखिल करना था, लेकिन सरकार ने इसके लिए अतिरिक्त समय मांगा है. केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि कुछ कारणों से हलफनामा दाखिल नहीं हो पाया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक हफ्ते के लिए सुनवाई टाल दी.
इससे पहले 16 अगस्त को, उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई की थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए अपने हलफनामे में केंद्र ने याचिकाकर्ताओं द्वारा सरकार के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था.
केंद्र की ओर से साफ कहा गया था कि पत्रकारों, राजनेताओं, कर्मचारियों पर जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने संबंधी आरोपों वाली याचिकाएं अनुमानों पर आधारित हैं, आरोपों में कोई दम नहीं है फिर भी कुछ निहित स्वार्थों के कारण फैलाए गए गलत तथ्यों को दूर करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठित किया जाएगा.
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि पेगासस जासूसी के आरोपों में 'छिपाने के लिये कुछ भी नहीं' है और वह इस मामले के सभी पहलुओं के निरीक्षण के लिये प्रमुख विशेषज्ञों की एक विशेषज्ञ समिति बनाएगा.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ को सरकार ने बताया था कि यह मुद्दे 'काफी तकनीकी' हैं और इसके सभी पहलुओं की विशेषज्ञों द्वारा जांच की जरूरत है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि 'हम एक संवेदनशील मामले से निपट रहे हैं लेकिन इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश की जा रही है. इस मामले के राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ होंगे. यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाव पड़ेगा.
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शीर्ष अदालत ने 10 अगस्त को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर जासूसी मुद्दे पर 'समानांतर कार्यवाही और बहस' को अपवादस्वरूप लेते हुए कहा था कि अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए और याचिकाकर्ताओं को 'व्यवस्था में थोड़ा भरोसा होना चाहिए.'
सुप्रीम कोर्ट इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इनमें से एक याचिका 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' ने भी दाखिल की है. ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं.
एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने दावा किया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे.
गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी खबरें अगर सही हैं तो यह आरोप 'गंभीर प्रकृति' के हैं.' न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से यह भी जानना चाहा था कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है.
क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.