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पेगासस मुद्दा : राज्यसभा सदस्य ने अदालत की निगरानी में जांच के लिए SC का रुख किया

इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए जासूसी के मामले में राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने उच्चतम न्यायालय से मांग की है कि जांच आदलत की निगरानी में हो.

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Published : Jul 25, 2021, 1:47 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए कार्यकर्ताओं, नेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की कथित जासूसी के संबंध में अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है.

हाल में मीडिया में आईं खबरों में दावा किया गया था कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों समेत करीब 300 भारतीयों की निगरानी करने के लिए किया गया. इससे देश में एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है.

उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने वाले ब्रिटास ने कहा कि हाल में जासूसी के आरोपों ने भारत में लोगों के एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है और जासूसी का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ेगा. उन्होंने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसी करने के आरोपों के संबंध में अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने का अनुरोध किया है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य ब्रिटास ने रविवार को एक बयान में कहा कि बहुत गंभीर प्रकृति के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर आरोपों की जांच कराने संबंधी परवाह नहीं की है. उन्होंने कहा 'इसलिए, इस संबंध में संसद में प्रश्न उठाए गए थे. लेकिन सरकार ने स्पाईवेयर द्वारा जासूसी से न तो इनकार किया और न ही स्वीकार किया है.'

पेगासस विवाद पर सरकार ने कहा था कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले रिपोर्ट का आना संयोग नहीं है.

पढ़ें :- पेगासस से सरकार गिरेगी तो लोकतंत्र को ताला लगाना पड़ेगा : संजय राउत

उन्होंने कहा था, 'अतीत में व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल करने का दावा सामने आया. इन खबरों का तथ्यात्मक आधार नहीं है और सभी पक्षों ने इससे इनकार किया है.' हालांकि मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं.

ब्रिटास ने रविवार को यह भी दावा किया कि आरोपों से दो निष्कर्ष निकलते हैं, या तो जासूसी सरकार द्वारा या फिर किसी विदेशी द्वारा जासूसी की गई.

उन्होंने कहा कि यदि यह सरकार द्वारा किया गया तो यह अनधिकृत तरीके से किया गया. यदि किसी विदेशी एजेंसी द्वारा जासूसी की गई है तो यह बाहरी हस्तक्षेप का मामला है और इससे गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने इजराइली स्पाईवेयर पेगासस के जरिए कार्यकर्ताओं, नेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की कथित जासूसी के संबंध में अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है.

हाल में मीडिया में आईं खबरों में दावा किया गया था कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों समेत करीब 300 भारतीयों की निगरानी करने के लिए किया गया. इससे देश में एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है.

उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करने वाले ब्रिटास ने कहा कि हाल में जासूसी के आरोपों ने भारत में लोगों के एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है और जासूसी का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गहरा असर पड़ेगा. उन्होंने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसी करने के आरोपों के संबंध में अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने का अनुरोध किया है.

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य ब्रिटास ने रविवार को एक बयान में कहा कि बहुत गंभीर प्रकृति के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर आरोपों की जांच कराने संबंधी परवाह नहीं की है. उन्होंने कहा 'इसलिए, इस संबंध में संसद में प्रश्न उठाए गए थे. लेकिन सरकार ने स्पाईवेयर द्वारा जासूसी से न तो इनकार किया और न ही स्वीकार किया है.'

पेगासस विवाद पर सरकार ने कहा था कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले रिपोर्ट का आना संयोग नहीं है.

पढ़ें :- पेगासस से सरकार गिरेगी तो लोकतंत्र को ताला लगाना पड़ेगा : संजय राउत

उन्होंने कहा था, 'अतीत में व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल करने का दावा सामने आया. इन खबरों का तथ्यात्मक आधार नहीं है और सभी पक्षों ने इससे इनकार किया है.' हालांकि मंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं.

ब्रिटास ने रविवार को यह भी दावा किया कि आरोपों से दो निष्कर्ष निकलते हैं, या तो जासूसी सरकार द्वारा या फिर किसी विदेशी द्वारा जासूसी की गई.

उन्होंने कहा कि यदि यह सरकार द्वारा किया गया तो यह अनधिकृत तरीके से किया गया. यदि किसी विदेशी एजेंसी द्वारा जासूसी की गई है तो यह बाहरी हस्तक्षेप का मामला है और इससे गंभीरता से निपटने की आवश्यकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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