ETV Bharat / bharat

Pegasus पर बोले चिदंबरम, सरकार जेपीसी बनाए, नड्डा ने कहा- विपक्ष मुद्दाविहीन, आरोप बेबुनियाद

इजराइली स्पाईवेयर पेगासस (Israeli Spyware Pegasus) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप और टिप्पणियों का दौर जारी है. ताजा घटनाक्रम में देश के पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पेगासस जासूसी प्रकरण पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने की मांग की. चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री को संसद में बयान देना चाहिए. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए पेगासस को तूल दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जासूसी कराए जाने के तमाम आरोप बेबुनियाद हैं.

pegasus
pegasus
author img

By

Published : Jul 25, 2021, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति के जरिए जांच करानी चाहिए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं.

इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने प्रतिक्रिया देते हुए पेगासस जासूसी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और यह कहते हुए विपक्ष पर निशाना साधा कि उसके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र तो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में 'निराश' एवं 'मुद्दाविहीन' विपक्ष संसद की कार्यवाही बाधित कर रहा है.

पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कोई इस हद तक कह सकता है कि 2019 के पूरे चुनावी जनादेश को 'गैरकानूनी जासूसी' से प्रभावित किया गया. लेकिन, उन्होंने कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत हासिल करने में 'मदद' मिली हो सकती है, जिसको लेकर आरोप लगे थे. चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की जांच से अधिक प्रभावी हो सकती है. उन्होंने कहा कि जेपीसी को संसद द्वारा अधिक अधिकार मिलता है.

संसद की सूचना प्रौद्योगिकी समिति के प्रमुख शशि थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने संदेह व्यक्त किया कि क्या भाजपा के बहुमत वाली आईटी समिति मामले की पूरी जांच होने देगी. थरूर ने कहा था, 'यह विषय 'मेरी समिति के अधीन है' और जेपीसी की आवश्यकता नहीं है,

उन्होंने कहा, 'संसदीय समिति के नियम ज्यादा सख्त हैं. उदाहरण के लिए वे खुले तौर पर सबूत नहीं ले सकते हैं लेकिन एक जेपीसी को संसद द्वारा सार्वजनिक रूप से साक्ष्य लेने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों को तलब करने का अधिकार दिया जा सकता है. इसलिए मुझे लगता है कि एक जेपीसी के पास संसदीय समिति की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां होंगी.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच की हद को लेकर संसदीय समिति की भूमिका को कमतर नहीं बता रहे हैं.

पिछले रविवार को, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाईवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की संभवत: निगरानी की गयी. इसमें दो मंत्री, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे. सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है.

चिदंबरम ने कहा कि सरकार या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करे. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं.

आरोपों को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया पर चिदंबरम ने संसद में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वह स्पष्ट रूप से बहुत 'चतुर मंत्री' हैं, इसलिए बयान को 'बहुत चतुराई से' कहा गया. कांग्रेस नेता ने कहा, 'उन्होंने (वैष्णव) इस बात से इनकार किया कि कोई अनधिकृत निगरानी की गयी. वह इस बात से इनकार नहीं करते कि निगरानी हुई थी. वह इस बात से इनकार नहीं करते कि अधिकृत निगरानी हुई थी. निश्चित रूप से मंत्री अधिकृत निगरानी और अनधिकृत निगरानी के बीच का अंतर जानते हैं.'

सरकार से चिदंबरम ने पूछा कि क्या निगरानी हुई थी और क्या पेगासस के जरिए जासूसी की गई. उन्होंने सवाल किया, 'यदि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया था, तो इसे किसने हासिल किया? क्या इसे सरकार द्वारा या उसकी किसी एजेंसी द्वारा हासिल किया गया था?' राज्यसभा सदस्य चिदंबरम ने सरकार से स्पाईवेयर हासिल करने के लिए भुगतान की गई राशि पर सफाई देने को भी कहा.

उन्होंने कहा, 'ये सरल, सीधे-स्पष्ट सवाल हैं जो आम नागरिक पूछ रहा है और मंत्री को इसका सीधा जवाब देना चाहिए. फ्रांस ने भी जांच का आदेश दिया है जब यह पता चला कि राष्ट्रपति (इमैनुएल) मैक्रों का नंबर हैक किए गए नंबरों में से एक था. इजराइल ने खुद अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से जांच के आदेश दिए हैं.'

उन्होंने कहा कि अगर दो बड़े देश जांच का आदेश दे सकते हैं, तो भारत जांच का आदेश क्यों नहीं दे सकता है और चार सरल सवालों के जवाब क्यों नहीं पता किये जा सकते. चिदंबरम ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से भी जुड़ा है, क्योंकि अगर सरकार कहती है कि उसने निगरानी नहीं की, तो सवाल उठता है कि जासूसी किसने की.

विपक्ष द्वारा उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग और क्या शीर्ष अदालत को इस पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए, इस बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे कि अदालत क्या कर सकती है और क्या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा एक या दो व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग दायर की गई जनहित याचिका में पेगासस खुलासे का स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा, 'जैसा भी हो, सरकार को या तो संसद से जेपीसी का गठन करने का अनुरोध करना चाहिए या सरकार को शीर्ष अदालत से एक माननीय न्यायाधीश को जांच करने के लिए नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए.'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि आरोपों का उद्देश्य विश्व स्तर पर भारत को अपमानित करना था, चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्री ने अपने शब्दों को बहुत सावधानी से चुना और इस बात से इनकार नहीं किया कि निगरानी की गयी. उन्होंने कहा, 'वह (शाह) इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके कुछ टेलीफोन हैक किए गए थे. इसलिए, वास्तव में गृह मंत्री ने जो कहा, उसके बजाय उन्होंने जो नहीं कहा, वह अधिक महत्वपूर्ण है.'

चिदंबरम ने कहा कि अगर गृह मंत्री इस बात से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं कर पाते कि स्पाईवेयर से भारतीय टेलीफोन में घुसपैठ हुई है तो जाहिर तौर पर उन्हें अपनी निगरानी में हो रहे इस ''घोटाले' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इस मुद्दे पर संसद में गतिरोध और विपक्ष के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री को पेगासस मुद्दे पर बयान देना चाहिए, उन्होंने कहा कि मोदी को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन ही बयान देना चाहिए था जब आरोप सामने आए. चिदंबरम ने कहा, 'केवल कुछ एजेंसियां हैं जो यह निगरानी कर सकती हैं. सभी एजेंसियां ​​प्रधानमंत्री के नियंत्रण में हैं.'

चिदंबरम ने कहा, 'प्रत्येक मंत्री केवल वही जानता है जो उसके विभाग के अधीन है. प्रधानमंत्री जानते हैं कि सभी विभागों के तहत क्या हो रहा है. इसलिए, प्रधानमंत्री आगे आकर बताएं कि निगरानी हुई थी या नहीं और यदि निगरानी हुई थी तो क्या यह अधिकृत था या नहीं.'

पेगासस पर बोले नड्डा
गोवा की अपनी दो दिवसीय यात्रा के आखिर में जे पी नड्डा ने पेगासस जासूसी विवाद पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'यह बेबुनियाद है.. यह कोई मुद्दा ही नहीं है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा ही नहीं है जिसे वे लोगों की खातिर उठाना चाहते हैं. इसलिए वे इस प्रकार का मुद्दा उठाते हैं.'

पिछले रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया गठबंधन ने खबर दी थी कि 300 से अधिक असत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर के मार्फत हैकिंग के लिए निशाना बनाया गया, इन नंबरों में दो मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी दलों एवं बहुत सारे उद्योगपतियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं.

हालांकि, सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों से इनकार कर रही है.

संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित किये जाने के बारे में पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए नड्डा ने कहा, ' हम सभी प्रकार की चर्चाओं के लिए तैयार हैं, लेकिन अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ कांग्रेस निराश एवं मुद्दाविहीन हो गयी है, इसलिए वह बाधित करने की ऐसी तरकीब अपनाती है ... उसे मालूम ही नहीं है कि क्या किया जाए. वह बस मुद्दाविहीन चीजों को लेकर संसद का कामकाज रोकना चाहती है. '

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, 'लेकिन लोग जानते हैं कि उनके सभी प्रयासों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संसद की उत्पादकता ने सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैं. लोकसभा और राज्यसभा में कामकाज ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं.

गौरतलब है कि कांग्रेस इससे पहले भी पेगासस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुकी है. कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन दावा किया कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस (Israeli Spyware Pegasus) का उपयोग करके पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कई अन्य विपक्षी नेताओं, मीडिया समूहों और अलग अलग क्षेत्रों के प्रमुख लोगों की जासूसी कराई गई है. इसलिए इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए और इस्तीफा न दें, तो उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- Pegasus : राहुल बोले- प्रयोग 'राजद्रोह', भाजपा का पलटवार, एजेंसियों को सौंपें फोन

सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सोमवार को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

Pegasus Snooping से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. Pegasus Report Congress : प्रियंका बोलीं, निजता पर हमले की आशंका, पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग की
  2. Pegasus Snooping : भाजपा बोली- कांग्रेस के आरोप शर्मनाक, मानसून सत्र से ठीक पहले ही क्यों आई रिपोर्ट ?
  3. Pegasus Case पर बोली मोदी सरकार, 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका वीडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति के जरिए जांच करानी चाहिए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं.

इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने प्रतिक्रिया देते हुए पेगासस जासूसी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और यह कहते हुए विपक्ष पर निशाना साधा कि उसके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र तो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में 'निराश' एवं 'मुद्दाविहीन' विपक्ष संसद की कार्यवाही बाधित कर रहा है.

पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कोई इस हद तक कह सकता है कि 2019 के पूरे चुनावी जनादेश को 'गैरकानूनी जासूसी' से प्रभावित किया गया. लेकिन, उन्होंने कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत हासिल करने में 'मदद' मिली हो सकती है, जिसको लेकर आरोप लगे थे. चिदंबरम ने एक साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की जांच से अधिक प्रभावी हो सकती है. उन्होंने कहा कि जेपीसी को संसद द्वारा अधिक अधिकार मिलता है.

संसद की सूचना प्रौद्योगिकी समिति के प्रमुख शशि थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने संदेह व्यक्त किया कि क्या भाजपा के बहुमत वाली आईटी समिति मामले की पूरी जांच होने देगी. थरूर ने कहा था, 'यह विषय 'मेरी समिति के अधीन है' और जेपीसी की आवश्यकता नहीं है,

उन्होंने कहा, 'संसदीय समिति के नियम ज्यादा सख्त हैं. उदाहरण के लिए वे खुले तौर पर सबूत नहीं ले सकते हैं लेकिन एक जेपीसी को संसद द्वारा सार्वजनिक रूप से साक्ष्य लेने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों को तलब करने का अधिकार दिया जा सकता है. इसलिए मुझे लगता है कि एक जेपीसी के पास संसदीय समिति की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां होंगी.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच की हद को लेकर संसदीय समिति की भूमिका को कमतर नहीं बता रहे हैं.

पिछले रविवार को, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाईवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की संभवत: निगरानी की गयी. इसमें दो मंत्री, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे. सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है.

चिदंबरम ने कहा कि सरकार या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करे. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं.

आरोपों को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया पर चिदंबरम ने संसद में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वह स्पष्ट रूप से बहुत 'चतुर मंत्री' हैं, इसलिए बयान को 'बहुत चतुराई से' कहा गया. कांग्रेस नेता ने कहा, 'उन्होंने (वैष्णव) इस बात से इनकार किया कि कोई अनधिकृत निगरानी की गयी. वह इस बात से इनकार नहीं करते कि निगरानी हुई थी. वह इस बात से इनकार नहीं करते कि अधिकृत निगरानी हुई थी. निश्चित रूप से मंत्री अधिकृत निगरानी और अनधिकृत निगरानी के बीच का अंतर जानते हैं.'

सरकार से चिदंबरम ने पूछा कि क्या निगरानी हुई थी और क्या पेगासस के जरिए जासूसी की गई. उन्होंने सवाल किया, 'यदि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया था, तो इसे किसने हासिल किया? क्या इसे सरकार द्वारा या उसकी किसी एजेंसी द्वारा हासिल किया गया था?' राज्यसभा सदस्य चिदंबरम ने सरकार से स्पाईवेयर हासिल करने के लिए भुगतान की गई राशि पर सफाई देने को भी कहा.

उन्होंने कहा, 'ये सरल, सीधे-स्पष्ट सवाल हैं जो आम नागरिक पूछ रहा है और मंत्री को इसका सीधा जवाब देना चाहिए. फ्रांस ने भी जांच का आदेश दिया है जब यह पता चला कि राष्ट्रपति (इमैनुएल) मैक्रों का नंबर हैक किए गए नंबरों में से एक था. इजराइल ने खुद अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से जांच के आदेश दिए हैं.'

उन्होंने कहा कि अगर दो बड़े देश जांच का आदेश दे सकते हैं, तो भारत जांच का आदेश क्यों नहीं दे सकता है और चार सरल सवालों के जवाब क्यों नहीं पता किये जा सकते. चिदंबरम ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से भी जुड़ा है, क्योंकि अगर सरकार कहती है कि उसने निगरानी नहीं की, तो सवाल उठता है कि जासूसी किसने की.

विपक्ष द्वारा उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग और क्या शीर्ष अदालत को इस पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए, इस बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे कि अदालत क्या कर सकती है और क्या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा एक या दो व्यक्तियों द्वारा अलग-अलग दायर की गई जनहित याचिका में पेगासस खुलासे का स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा, 'जैसा भी हो, सरकार को या तो संसद से जेपीसी का गठन करने का अनुरोध करना चाहिए या सरकार को शीर्ष अदालत से एक माननीय न्यायाधीश को जांच करने के लिए नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए.'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि आरोपों का उद्देश्य विश्व स्तर पर भारत को अपमानित करना था, चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्री ने अपने शब्दों को बहुत सावधानी से चुना और इस बात से इनकार नहीं किया कि निगरानी की गयी. उन्होंने कहा, 'वह (शाह) इस बात से इनकार नहीं करते हैं कि भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके कुछ टेलीफोन हैक किए गए थे. इसलिए, वास्तव में गृह मंत्री ने जो कहा, उसके बजाय उन्होंने जो नहीं कहा, वह अधिक महत्वपूर्ण है.'

चिदंबरम ने कहा कि अगर गृह मंत्री इस बात से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं कर पाते कि स्पाईवेयर से भारतीय टेलीफोन में घुसपैठ हुई है तो जाहिर तौर पर उन्हें अपनी निगरानी में हो रहे इस ''घोटाले' की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इस मुद्दे पर संसद में गतिरोध और विपक्ष के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री को पेगासस मुद्दे पर बयान देना चाहिए, उन्होंने कहा कि मोदी को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन ही बयान देना चाहिए था जब आरोप सामने आए. चिदंबरम ने कहा, 'केवल कुछ एजेंसियां हैं जो यह निगरानी कर सकती हैं. सभी एजेंसियां ​​प्रधानमंत्री के नियंत्रण में हैं.'

चिदंबरम ने कहा, 'प्रत्येक मंत्री केवल वही जानता है जो उसके विभाग के अधीन है. प्रधानमंत्री जानते हैं कि सभी विभागों के तहत क्या हो रहा है. इसलिए, प्रधानमंत्री आगे आकर बताएं कि निगरानी हुई थी या नहीं और यदि निगरानी हुई थी तो क्या यह अधिकृत था या नहीं.'

पेगासस पर बोले नड्डा
गोवा की अपनी दो दिवसीय यात्रा के आखिर में जे पी नड्डा ने पेगासस जासूसी विवाद पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, 'यह बेबुनियाद है.. यह कोई मुद्दा ही नहीं है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा ही नहीं है जिसे वे लोगों की खातिर उठाना चाहते हैं. इसलिए वे इस प्रकार का मुद्दा उठाते हैं.'

पिछले रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया गठबंधन ने खबर दी थी कि 300 से अधिक असत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर के मार्फत हैकिंग के लिए निशाना बनाया गया, इन नंबरों में दो मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी दलों एवं बहुत सारे उद्योगपतियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं.

हालांकि, सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों से इनकार कर रही है.

संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित किये जाने के बारे में पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए नड्डा ने कहा, ' हम सभी प्रकार की चर्चाओं के लिए तैयार हैं, लेकिन अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ कांग्रेस निराश एवं मुद्दाविहीन हो गयी है, इसलिए वह बाधित करने की ऐसी तरकीब अपनाती है ... उसे मालूम ही नहीं है कि क्या किया जाए. वह बस मुद्दाविहीन चीजों को लेकर संसद का कामकाज रोकना चाहती है. '

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, 'लेकिन लोग जानते हैं कि उनके सभी प्रयासों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संसद की उत्पादकता ने सभी रिकार्ड तोड़ दिये हैं. लोकसभा और राज्यसभा में कामकाज ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं.

गौरतलब है कि कांग्रेस इससे पहले भी पेगासस मुद्दे पर सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुकी है. कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन दावा किया कि इजरायली स्पाईवेयर पेगासस (Israeli Spyware Pegasus) का उपयोग करके पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कई अन्य विपक्षी नेताओं, मीडिया समूहों और अलग अलग क्षेत्रों के प्रमुख लोगों की जासूसी कराई गई है. इसलिए इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए और इस्तीफा न दें, तो उन्हें बर्खास्त करना चाहिए.

यह भी पढ़ें- Pegasus : राहुल बोले- प्रयोग 'राजद्रोह', भाजपा का पलटवार, एजेंसियों को सौंपें फोन

सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सोमवार को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

Pegasus Snooping से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. Pegasus Report Congress : प्रियंका बोलीं, निजता पर हमले की आशंका, पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग की
  2. Pegasus Snooping : भाजपा बोली- कांग्रेस के आरोप शर्मनाक, मानसून सत्र से ठीक पहले ही क्यों आई रिपोर्ट ?
  3. Pegasus Case पर बोली मोदी सरकार, 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका वीडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.