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पेगासस की आशंका, बंगाल में नौकरशाहों को आईफोन इस्तेमाल की सलाह!

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Published : Oct 15, 2022, 7:22 PM IST

पेगासस जासूसी मामला सामने आने के बाद से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चिंतित हैं. यही वजह है कि राज्य सचिवालय की ओर से सभी आला अधिकारियों को आईफोन इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है (Pegasus apprehensions in west begal). पढ़ें पूरी खबर.

Chief Minister Mamata Banerjee
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

कोलकाता: पेगासस को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) को लेकर आशंकाएं सता रही हैं (Pegasus apprehensions). यही वजह है कि उन्होंने नौकरशाहों को एप्पल फोन इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. राज्य सचिवालय के सूत्रों से पता चला है कि मुख्य प्रशासनिक भवनों के अधिकारियों और सचिवों को आधिकारिक काम और टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए आईफोन का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.

राज्य सचिवालय देश भर में हाल ही में जासूसी के आरोपों के मद्देनजर एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. यही वजह है कि एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम के उपयोग की सलाह दी जा रही है. हालांकि यह अजीबोगरीब गाइडलाइन शुरू में थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी इस कदम में काफी तर्क ढूंढ रहे हैं. ऐसा मुख्यमंत्री का निर्देश है ऐसे में इसे हकीकत में तब्दील होना तय है. पिछले साल ही हलचल मचाने वाले पेगासस विवाद का साया राजनीतिक हलकों पर दिख रहा है. हाल के दिनों में फोन हैकिंग को लेकर राष्ट्रीय राजनीति में कोहराम मच गया था.

यह आरोप लगाया गया है कि स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके राहुल गांधी, अभिषेक बनर्जी, प्रशांत किशोर जैसे राजनीतिक नेताओं के फोन हैक किए गए हैं. उस वक्त ममता बनर्जी अपने मोबाइल फोन पर सेलोटेप लगाकर प्रेस कांफ्रेंस करती नजर आई थीं. बाद में जव वह जनसभाओं में जाती थीं तो फोन पकड़ कर रखती थीं. इसके अलावा वह कई मौकों पर सरकारी प्लेटफॉर्म से लेकर पार्टी मीटिंग्स तक में कह चुकी हैं कि वॉट्सएप कॉल्स भी सेफ नहीं हैं. वह किसी अन्य एप्लिकेशन के बजाय बात करने के लिए फेसटाइम पसंद करती हैं.

सुप्रीम कोर्ट पहले ही पेगासस पर अपना फैसला सुना चुका है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति ने पेगासस कांड पर 3 भागों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इनमें से 2 तकनीकी समितियां और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक सतर्कता समिति का भी गठन किया गया था.

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि परीक्षण किए गए 29 फोन में पेगासस का कोई सबूत नहीं था. हालांकि, मैलवेयर पांच फोन में पाया गया था. तकनीकी समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मैलवेयर से जो पांच फोन इफेक्टेड पाए गए उसकी वजह साइबर सुरक्षा की कमी थी. सवाल यह है कि देश की शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी तृणमूल नेता मानने को तैयार नहीं हैं. इसलिए नौकरशाहों को गोपनीयता के मुद्दों पर iPhones का उपयोग करने का निर्देश सचिवालय में सर्वोच्च प्राथमिकता है.

पढ़ें- पेगासस जासूसी मामले में टेक्निकल कमेटी को दिए 29 में से 5 फोन में मिले मैलवेयर

कोलकाता: पेगासस को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) को लेकर आशंकाएं सता रही हैं (Pegasus apprehensions). यही वजह है कि उन्होंने नौकरशाहों को एप्पल फोन इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है. राज्य सचिवालय के सूत्रों से पता चला है कि मुख्य प्रशासनिक भवनों के अधिकारियों और सचिवों को आधिकारिक काम और टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए आईफोन का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है.

राज्य सचिवालय देश भर में हाल ही में जासूसी के आरोपों के मद्देनजर एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. यही वजह है कि एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम के उपयोग की सलाह दी जा रही है. हालांकि यह अजीबोगरीब गाइडलाइन शुरू में थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन प्रशासन के आला अधिकारी इस कदम में काफी तर्क ढूंढ रहे हैं. ऐसा मुख्यमंत्री का निर्देश है ऐसे में इसे हकीकत में तब्दील होना तय है. पिछले साल ही हलचल मचाने वाले पेगासस विवाद का साया राजनीतिक हलकों पर दिख रहा है. हाल के दिनों में फोन हैकिंग को लेकर राष्ट्रीय राजनीति में कोहराम मच गया था.

यह आरोप लगाया गया है कि स्पाईवेयर पेगासस का उपयोग करके राहुल गांधी, अभिषेक बनर्जी, प्रशांत किशोर जैसे राजनीतिक नेताओं के फोन हैक किए गए हैं. उस वक्त ममता बनर्जी अपने मोबाइल फोन पर सेलोटेप लगाकर प्रेस कांफ्रेंस करती नजर आई थीं. बाद में जव वह जनसभाओं में जाती थीं तो फोन पकड़ कर रखती थीं. इसके अलावा वह कई मौकों पर सरकारी प्लेटफॉर्म से लेकर पार्टी मीटिंग्स तक में कह चुकी हैं कि वॉट्सएप कॉल्स भी सेफ नहीं हैं. वह किसी अन्य एप्लिकेशन के बजाय बात करने के लिए फेसटाइम पसंद करती हैं.

सुप्रीम कोर्ट पहले ही पेगासस पर अपना फैसला सुना चुका है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति ने पेगासस कांड पर 3 भागों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इनमें से 2 तकनीकी समितियां और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक सतर्कता समिति का भी गठन किया गया था.

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि परीक्षण किए गए 29 फोन में पेगासस का कोई सबूत नहीं था. हालांकि, मैलवेयर पांच फोन में पाया गया था. तकनीकी समिति की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मैलवेयर से जो पांच फोन इफेक्टेड पाए गए उसकी वजह साइबर सुरक्षा की कमी थी. सवाल यह है कि देश की शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी तृणमूल नेता मानने को तैयार नहीं हैं. इसलिए नौकरशाहों को गोपनीयता के मुद्दों पर iPhones का उपयोग करने का निर्देश सचिवालय में सर्वोच्च प्राथमिकता है.

पढ़ें- पेगासस जासूसी मामले में टेक्निकल कमेटी को दिए 29 में से 5 फोन में मिले मैलवेयर

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