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संतरे के बगीचे में हो रहा मरीजों का इलाज, ऐसे चढ़ाई जा रही स्लाइन - बीएमओ डॉ मनीष कुरील

कोरोना की ऐसी भयावहता की लोग बीमार होने के बाद भी अस्पताल जाने से कतरा रहे हैं. पेड़ की टहनियों पर स्लाइन की बोतल लटका कर उपचार करवा रहे हैं.

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Published : May 5, 2021, 4:55 PM IST

आगर मालवा : एक तरफ जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पतालों में बेड की कमी देखने को मिल रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर आगर मालवा से हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई है. निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा खेतों में मरीजों का इलाज किया जा रहा हैं. हालत यह हैं कि झोलाछाप डॉक्टर पेड़ पर बोतलें लटका कर मरीजों को स्लाइन चढ़ा रहे हैं.

तस्वीरें बयां करती हैं कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह चरमरा गई हैं. हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि ग्रामीण अंचल में निजी चिकित्सक या झोलाछाप डॉक्टर खेतों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. पेड़ पर स्लाइन की बोतल लटका कर मरीजों को चढ़ाई जा रही है.

संतरे के बगीचे में चल रहा इलाज.

संतरे के बगीचे में किया जा रहा उपचार

यह हैरान करने वाली तस्वीरें धानियाखेडी गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर की हैं, जहां पर मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर स्थित संतरे के एक बगीचे में दरी पर मरीजों को लिटाया जा रहा है. पेड़ पर स्लाइन की बोतल लटका कर मरीजों का उपचार किया जा रहा है. इसी जगह पर आस-पास के करीब 10 गांवाें के मरीज बड़ी संख्या में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.

यहां इलाज करा रहे मरीजों को न तो काेरोना का खाैफ है और न ही उनके लिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी है. दरअसल, ग्रामीणों को अस्पताल जाने पर कोरोना वार्ड में भर्ती होने का भय सता रहा है. इसलिए वो निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों से अपना इलाज करवा रहे हैं.

बीएमओ डॉ. मनीष कुरील ने क्या कहा ?

बीएमओ डॉ. मनीष कुरील का कहना है कि निजी चिकित्सकों या फिर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा था, जिन पर शासन के निर्देश अनुसार कार्रवाई की गई है. वहीं उन्होंने लोगों से अपील की कि खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होने पर डॉक्टरों को दिखाएं.

आगर मालवा : एक तरफ जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते अस्पतालों में बेड की कमी देखने को मिल रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर आगर मालवा से हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई है. निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा खेतों में मरीजों का इलाज किया जा रहा हैं. हालत यह हैं कि झोलाछाप डॉक्टर पेड़ पर बोतलें लटका कर मरीजों को स्लाइन चढ़ा रहे हैं.

तस्वीरें बयां करती हैं कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह चरमरा गई हैं. हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि ग्रामीण अंचल में निजी चिकित्सक या झोलाछाप डॉक्टर खेतों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं. पेड़ पर स्लाइन की बोतल लटका कर मरीजों को चढ़ाई जा रही है.

संतरे के बगीचे में चल रहा इलाज.

संतरे के बगीचे में किया जा रहा उपचार

यह हैरान करने वाली तस्वीरें धानियाखेडी गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर की हैं, जहां पर मुख्य सड़क से 200 मीटर की दूरी पर स्थित संतरे के एक बगीचे में दरी पर मरीजों को लिटाया जा रहा है. पेड़ पर स्लाइन की बोतल लटका कर मरीजों का उपचार किया जा रहा है. इसी जगह पर आस-पास के करीब 10 गांवाें के मरीज बड़ी संख्या में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं.

यहां इलाज करा रहे मरीजों को न तो काेरोना का खाैफ है और न ही उनके लिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी है. दरअसल, ग्रामीणों को अस्पताल जाने पर कोरोना वार्ड में भर्ती होने का भय सता रहा है. इसलिए वो निजी चिकित्सकों या झोलाछाप डॉक्टरों से अपना इलाज करवा रहे हैं.

बीएमओ डॉ. मनीष कुरील ने क्या कहा ?

बीएमओ डॉ. मनीष कुरील का कहना है कि निजी चिकित्सकों या फिर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा था, जिन पर शासन के निर्देश अनुसार कार्रवाई की गई है. वहीं उन्होंने लोगों से अपील की कि खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होने पर डॉक्टरों को दिखाएं.

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