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सनसनीखेज दावा : 'भ्रष्ट' पुलिस अधिकारियों ने पठानकोट हमले में दिया था आतंकियों का साथ

दो विदेशी पत्रकारों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस (Pathankot Airbase) पर 2016 में हुए आतंकी हमले को लेकर एक किताब लिखी है. इसमें पुलिस अधिकारियों के आचरण को लेकर सनसनीखेज दावे किए गए हैं. किताब 'स्पाइ स्टोरीज: इनसाइड द सिक्रेट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई' (Spy Stories: Inside the Secret World of the R.A.W. and the I.S.I.) में लिखा गया है कि 'भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों' ने पठानकोट अड्डे के भीतर जैश आतंकियों को घुसने में मदद की. लेखकों ने दावा किया कि भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान पर इसको लेकर दबाव बनाकर युद्ध की धमकी दी थी.

पठानकोट हमले पर पत्रकारों का दावा
पठानकोट हमले पर पत्रकारों का दावा
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Published : Aug 13, 2021, 7:28 PM IST

Updated : Aug 13, 2021, 7:51 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के पठानकोट अड्डे (Pathankot Airbase) पर 2016 में आतंकवादी हमले के संबंध में महत्वपूर्ण दावा करने वाली एक नई किताब में खुलासा हुआ है कि संदिग्ध 'भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों' ने हमले से पहले इस स्थान की छानबीन की और इनमें से एक ने उस बिना निगरानी वाली जगह की पहचान की, जिसका इस्तेमाल आतंकवादियों ने आयुध, ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 छुपाकर रखने के लिए किया था.

यह दावा दो विदेशी पत्रकारों-एड्रियन लेवी (Adrian Levy) और कैथी स्कॉट-क्लार्क (Cathy Scott-Clark) ने अपनी किताब 'स्पाइ स्टोरीज: इनसाइड द सिक्रेट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई' (Spy Stories: Inside the Secret World of the R.A.W. and the I.S.I.) में किया है.

चार सैनिकों की शहादत
दो जनवरी, 2016 को भारतीय सेना की वर्दी पहने बंदूकाधारियों का एक दल भारत-पाकिस्तान पंजाब सीमा पर रावी नदी से होते भारत के हिस्से की तरफ आया और यहां कुछ वाहनों पर कब्जा कर पठानकोट वायु सेना की तरफ बढ़ गया. इसके बाद एक दीवार को पार करते हुए ये आवासीय परिसर की तरफ बढ़े और यहीं पहली गोलबारी शुरू हुई. चार हमलावर मारे गए और भारतीय सुरक्षा बल के तीन जवान शहीद हो गए. इसके एक दिन बाद आईईडी विस्फोट में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए. सुरक्षाबलों को यह आश्वस्त होने में तीन दिन का समय लगा कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में है.

पंजाब में असुरक्षित रही सीमा
उन्होंने लिखा, 'लेकिन संयुक्त खुफिया आंतरिक जांच दर्दनाक रूप से ईमानदार थी. इसमें यह स्वीकार किया गया कि 'लगातार आगाह किये जाने के बाद भी' सुरक्षा के कई महत्वपूर्ण कारक नदारद थे. पंजाब की 91 किलोमीटर से ज्यादा की सीमा पर बाड़ नहीं लगाई गई थी.'

आग्रह के बाद भी वहां अतिरिक्त गश्त नहीं
उन्होंने कहा, 'कम से कम चार रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि नदियां (और सूखे नाले) संवेदनशील स्थल हैं लेकिन वहां कोई जाल नहीं लगाया गया. छह लिखित आग्रह के बाद भी वहां अतिरिक्त गश्त नहीं रखी गई. निगरानी तकनीक और गतिविधियों पर ध्यान रखने वाले उपकरण नहीं लगाए गए.'

बार-बार नजरअंदाज
इसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी को यह बताते हुए उद्धृत किया गया कि सीमा की रक्षा करने वाले बल की संख्या जमीन पर कम है क्योंकि इसने कश्मीर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी तथा अतिरिक्त कर्मियों की उसकी मांग के आग्रह को बार-बार नजरअंदाज किया गया.

यह भी पढ़ें- जम्मू वायु सेना स्टेशन पर विस्फोट : पंजाब के पठानकोट में अलर्ट

भारत में खरीदे गए विस्फोटक
पठानकोट हमले के बारे में पत्रकारों ने लिखा कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने 350 किलोग्राम विस्फोटकों के लिए भुगतान किया था लेकिन इनकी खरीद भारत में हुई और इसे मुहैया कराने वाले भारत में आतंकवादियों की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस किताब का प्रकाशन 'जगरनॉट' ने किया है.

सीसीटीवी कैमरे की कोई कवरेज नहीं
इसमें कहा गया, 'भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों समेत अन्य भारतीय सहयोगियों पर आतंकवादियों के लिए अड्डे की छानबीन करके रखने का संदेह था. इन भ्रष्ट अधिकारियों में से एक ने एक ऐसे क्षेत्र का पता लगाया जहां कई असुरक्षित बिंदु थे-फ्लडलाइट्स यहां नीचे थीं और सीसीटीवी कैमरे की कोई कवरेज नहीं थी. किसी भी तरह का कोई निगरानी उपकरण नहीं लगा था और परिसर की दीवार के बगल में एक बड़ा पेड़ था, जिसकी लिखित रिपोर्ट में सुरक्षा खतरे के रूप में पहचान की गई.'

भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या उनके एक सहायक की करतूत
इस मामले की जांच करने वाले इंटिलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने लेखकों को बताया कि 'भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या उनके एक सहायक ने दीवार फांदकर वहां एक रस्सी लगा दी. आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल '50 किलोग्राम आयुध, 30 किलोग्राम ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 को पहुंचाने में किया.'

यह भी पढ़ें- जानें, शिमला समझौते के बाद कैसे रहे हैं भारत-पाक संबंध

अतीत में काट-छांट से भविष्य धुंधला
भारी मात्रा में असला-बारूद से लैश जैश के आतंकवादी अड्डे में घुस आए और छह सैनिकों और एक अधिकारी की हत्या कर दी. भारतीय सुरक्षा बलों ने चार आतंकवादियों को मार गिराया. लेखकों ने इस किताब में लिखा कि पुलवामा हमले के बाद' दोनों पक्षों (भारत-पाकिस्तान) के अनुभवी अधिकारियों ने जासूसी खेल खेला जो यह जानते थे कि एक बार अतीत में काट-छांट कर दी जाए तो भविष्य धुंधला रहेगा.

कुलभूषण जाधव का भी जिक्र
इस किताब में इस बात का भी जिक्र है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी कुलभूषण जाधव को 'छोटा सिक्का' मानती थी और उसका इस्तेमाल 'एक बड़ी ट्रॉफ़ी' के रूप में करने का इरादा रखती थी. जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और पाकिस्तान में उन्हें जासूसी के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है.

बड़ा शिकार बनने पर पकड़े गए कुलभूषण !
इसमें आईएसआई से जुड़े एक अनाम अधिकारी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, 'आईएसआई ने जाधव के कुछ बड़ा शिकार बनने की उम्मीद लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की और फिर जब वह बड़ा शिकार बन गया तो उन्होंने उसे अपने चंगुल में ले लिया.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के पठानकोट अड्डे (Pathankot Airbase) पर 2016 में आतंकवादी हमले के संबंध में महत्वपूर्ण दावा करने वाली एक नई किताब में खुलासा हुआ है कि संदिग्ध 'भ्रष्ट स्थानीय पुलिस अधिकारियों' ने हमले से पहले इस स्थान की छानबीन की और इनमें से एक ने उस बिना निगरानी वाली जगह की पहचान की, जिसका इस्तेमाल आतंकवादियों ने आयुध, ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 छुपाकर रखने के लिए किया था.

यह दावा दो विदेशी पत्रकारों-एड्रियन लेवी (Adrian Levy) और कैथी स्कॉट-क्लार्क (Cathy Scott-Clark) ने अपनी किताब 'स्पाइ स्टोरीज: इनसाइड द सिक्रेट वर्ल्ड ऑफ द रॉ एंड आईएसआई' (Spy Stories: Inside the Secret World of the R.A.W. and the I.S.I.) में किया है.

चार सैनिकों की शहादत
दो जनवरी, 2016 को भारतीय सेना की वर्दी पहने बंदूकाधारियों का एक दल भारत-पाकिस्तान पंजाब सीमा पर रावी नदी से होते भारत के हिस्से की तरफ आया और यहां कुछ वाहनों पर कब्जा कर पठानकोट वायु सेना की तरफ बढ़ गया. इसके बाद एक दीवार को पार करते हुए ये आवासीय परिसर की तरफ बढ़े और यहीं पहली गोलबारी शुरू हुई. चार हमलावर मारे गए और भारतीय सुरक्षा बल के तीन जवान शहीद हो गए. इसके एक दिन बाद आईईडी विस्फोट में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए. सुरक्षाबलों को यह आश्वस्त होने में तीन दिन का समय लगा कि अब स्थिति उनके नियंत्रण में है.

पंजाब में असुरक्षित रही सीमा
उन्होंने लिखा, 'लेकिन संयुक्त खुफिया आंतरिक जांच दर्दनाक रूप से ईमानदार थी. इसमें यह स्वीकार किया गया कि 'लगातार आगाह किये जाने के बाद भी' सुरक्षा के कई महत्वपूर्ण कारक नदारद थे. पंजाब की 91 किलोमीटर से ज्यादा की सीमा पर बाड़ नहीं लगाई गई थी.'

आग्रह के बाद भी वहां अतिरिक्त गश्त नहीं
उन्होंने कहा, 'कम से कम चार रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया था कि नदियां (और सूखे नाले) संवेदनशील स्थल हैं लेकिन वहां कोई जाल नहीं लगाया गया. छह लिखित आग्रह के बाद भी वहां अतिरिक्त गश्त नहीं रखी गई. निगरानी तकनीक और गतिविधियों पर ध्यान रखने वाले उपकरण नहीं लगाए गए.'

बार-बार नजरअंदाज
इसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी को यह बताते हुए उद्धृत किया गया कि सीमा की रक्षा करने वाले बल की संख्या जमीन पर कम है क्योंकि इसने कश्मीर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी तथा अतिरिक्त कर्मियों की उसकी मांग के आग्रह को बार-बार नजरअंदाज किया गया.

यह भी पढ़ें- जम्मू वायु सेना स्टेशन पर विस्फोट : पंजाब के पठानकोट में अलर्ट

भारत में खरीदे गए विस्फोटक
पठानकोट हमले के बारे में पत्रकारों ने लिखा कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने 350 किलोग्राम विस्फोटकों के लिए भुगतान किया था लेकिन इनकी खरीद भारत में हुई और इसे मुहैया कराने वाले भारत में आतंकवादियों की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस किताब का प्रकाशन 'जगरनॉट' ने किया है.

सीसीटीवी कैमरे की कोई कवरेज नहीं
इसमें कहा गया, 'भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों समेत अन्य भारतीय सहयोगियों पर आतंकवादियों के लिए अड्डे की छानबीन करके रखने का संदेह था. इन भ्रष्ट अधिकारियों में से एक ने एक ऐसे क्षेत्र का पता लगाया जहां कई असुरक्षित बिंदु थे-फ्लडलाइट्स यहां नीचे थीं और सीसीटीवी कैमरे की कोई कवरेज नहीं थी. किसी भी तरह का कोई निगरानी उपकरण नहीं लगा था और परिसर की दीवार के बगल में एक बड़ा पेड़ था, जिसकी लिखित रिपोर्ट में सुरक्षा खतरे के रूप में पहचान की गई.'

भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या उनके एक सहायक की करतूत
इस मामले की जांच करने वाले इंटिलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने लेखकों को बताया कि 'भ्रष्ट पुलिस अधिकारी या उनके एक सहायक ने दीवार फांदकर वहां एक रस्सी लगा दी. आतंकवादियों ने इसका इस्तेमाल '50 किलोग्राम आयुध, 30 किलोग्राम ग्रेनेड, मोर्टार और एके-47 को पहुंचाने में किया.'

यह भी पढ़ें- जानें, शिमला समझौते के बाद कैसे रहे हैं भारत-पाक संबंध

अतीत में काट-छांट से भविष्य धुंधला
भारी मात्रा में असला-बारूद से लैश जैश के आतंकवादी अड्डे में घुस आए और छह सैनिकों और एक अधिकारी की हत्या कर दी. भारतीय सुरक्षा बलों ने चार आतंकवादियों को मार गिराया. लेखकों ने इस किताब में लिखा कि पुलवामा हमले के बाद' दोनों पक्षों (भारत-पाकिस्तान) के अनुभवी अधिकारियों ने जासूसी खेल खेला जो यह जानते थे कि एक बार अतीत में काट-छांट कर दी जाए तो भविष्य धुंधला रहेगा.

कुलभूषण जाधव का भी जिक्र
इस किताब में इस बात का भी जिक्र है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी कुलभूषण जाधव को 'छोटा सिक्का' मानती थी और उसका इस्तेमाल 'एक बड़ी ट्रॉफ़ी' के रूप में करने का इरादा रखती थी. जाधव भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और पाकिस्तान में उन्हें जासूसी के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई है.

बड़ा शिकार बनने पर पकड़े गए कुलभूषण !
इसमें आईएसआई से जुड़े एक अनाम अधिकारी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया, 'आईएसआई ने जाधव के कुछ बड़ा शिकार बनने की उम्मीद लिए धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की और फिर जब वह बड़ा शिकार बन गया तो उन्होंने उसे अपने चंगुल में ले लिया.'

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 13, 2021, 7:51 PM IST
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