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नदी जोड़ो परियोजना पर अमल न करने पर संसदीय समिति ने की केंद्र की खिंचाई

नदियों को जोड़ने वाली परियोजना में देरी को लेकर संसदीय समिति ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं. संसदीय समिति ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की है. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट

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नदी जोड़ो परियोजना
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Published : Aug 1, 2022, 8:46 PM IST

नई दिल्ली: संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं (आईएलआर) को लागू नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है. समिति ने हाल ही में लोकसभा में पेश की गई अपनी 17वीं रिपोर्ट में निराशा के साथ कहा है कि 'हालांकि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) 1980 में बहुत पहले तैयार की गई थी, लेकिन नदियों को जोड़ने (आईएलआर) के लिए कोई भी परियोजना अब तक अंतिम चरण तक नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में समिति समझती है कि राज्यों के बीच आम सहमति बनाना इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी बाधा है.'

भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल (BJP MP Dr Sanjay Jaiswal) की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि 'हर साल बाढ़ से होने वाले भारी नुकसान और नदियों को आपस में जोड़ने से होने वाले भारी लाभ को देखते हुए विभाग को राज्यों को समझाने और राष्ट्रीय सहमति पर पहुंचने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि आईएलआर की परियोजना एक वास्तविकता बन सके.'

1980 में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) ने जल अधिशेष बेसिन से पानी की कमी वाले बेसिन में पानी स्थानांतरित करने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार की थी. एनपीपी के तहत, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने 30 लिंक की पहचान की है. सभी 30 लिंक्स की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट को पूरा कर लिया गया है और संबंधित राज्यों को भेजा जा रहा है.

मंत्रालय ने उस समिति को सूचित किया है कि एनपीपी के अनुसार नदियों को आपस में जोड़ने से सिंचाई, बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सूखा से छुटकारा, नौवहन, जलापूर्ति, मत्स्य पालन के आकस्मिक लाभों के अलावा लवणता और प्रदूषण नियंत्रण आदि भारी लाभ होगा. हालांकि जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को सूचित किया कि नदी लिंक परियोजनाओं के कार्यान्वयन में संबंधित राज्यों के बीच बातचीत और सहमति, परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने, पर्यावरण और वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मंत्रालय से मंजूरी सहित विभिन्न कदम शामिल हैं. इसके साथ ही जनजातीय मामले, जल शक्ति मंत्रालय की सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बहुउद्देशीय परियोजनाओं पर सलाहकार समिति द्वारा तकनीकी-आर्थिक मंजूरी और निवेश मंजूरी भी जरूरी है.

'नदियों को आपस में जोड़ना आवश्यक' : अधिकारी ने कहा, 'केंद्र सरकार नदियों को जोड़ने के कार्यक्रम को परामर्शी तरीके से आगे बढ़ा रही है. संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनाने और इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय द्वारा एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है.' 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए लोजपा के लोकसभा सांसद चंदन सिंह (Lok Sabha MP Chandan Singh) ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त पानी के उचित उपयोग और डायवर्जन के लिए नदियों को आपस में जोड़ना आवश्यक है. चंदन सिंह संसदीय समिति के सदस्य भी हैं.

सिंह ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि संबंधित मंत्रालय परियोजना के शीघ्र निष्पादन के लिए राज्य सरकार के संपर्क में है. ये न केवल राज्य को बाढ़ और अतिरिक्त पानी से बचाएगा, बल्कि परियोजना को लागू करने से सूखा प्रभावित राज्यों को भी मदद मिलेगी.नदियों को आपस में जोड़ने से सूखे के साथ-साथ बाढ़ से भी निजात मिलेगी.' उन्होंने कहा कि सभी संबंधित राज्य सरकारों को आगे आना चाहिए और लंबे समय से प्रतीक्षित परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए.

पढ़ें- नदी जोड़ो परियोजना को गति देने के लिये बजटीय आवंटन, प्राधिकार के गठन का प्रस्ताव

नई दिल्ली: संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं (आईएलआर) को लागू नहीं करने के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है. समिति ने हाल ही में लोकसभा में पेश की गई अपनी 17वीं रिपोर्ट में निराशा के साथ कहा है कि 'हालांकि राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) 1980 में बहुत पहले तैयार की गई थी, लेकिन नदियों को जोड़ने (आईएलआर) के लिए कोई भी परियोजना अब तक अंतिम चरण तक नहीं पहुंच पाई है. ऐसे में समिति समझती है कि राज्यों के बीच आम सहमति बनाना इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के कार्यान्वयन में सबसे बड़ी बाधा है.'

भाजपा सांसद डॉ. संजय जायसवाल (BJP MP Dr Sanjay Jaiswal) की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि 'हर साल बाढ़ से होने वाले भारी नुकसान और नदियों को आपस में जोड़ने से होने वाले भारी लाभ को देखते हुए विभाग को राज्यों को समझाने और राष्ट्रीय सहमति पर पहुंचने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि आईएलआर की परियोजना एक वास्तविकता बन सके.'

1980 में तत्कालीन सिंचाई मंत्रालय (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) ने जल अधिशेष बेसिन से पानी की कमी वाले बेसिन में पानी स्थानांतरित करने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार की थी. एनपीपी के तहत, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने 30 लिंक की पहचान की है. सभी 30 लिंक्स की पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट को पूरा कर लिया गया है और संबंधित राज्यों को भेजा जा रहा है.

मंत्रालय ने उस समिति को सूचित किया है कि एनपीपी के अनुसार नदियों को आपस में जोड़ने से सिंचाई, बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, सूखा से छुटकारा, नौवहन, जलापूर्ति, मत्स्य पालन के आकस्मिक लाभों के अलावा लवणता और प्रदूषण नियंत्रण आदि भारी लाभ होगा. हालांकि जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को सूचित किया कि नदी लिंक परियोजनाओं के कार्यान्वयन में संबंधित राज्यों के बीच बातचीत और सहमति, परियोजनाओं की डीपीआर तैयार करने, पर्यावरण और वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मंत्रालय से मंजूरी सहित विभिन्न कदम शामिल हैं. इसके साथ ही जनजातीय मामले, जल शक्ति मंत्रालय की सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और बहुउद्देशीय परियोजनाओं पर सलाहकार समिति द्वारा तकनीकी-आर्थिक मंजूरी और निवेश मंजूरी भी जरूरी है.

'नदियों को आपस में जोड़ना आवश्यक' : अधिकारी ने कहा, 'केंद्र सरकार नदियों को जोड़ने के कार्यक्रम को परामर्शी तरीके से आगे बढ़ा रही है. संबंधित राज्यों के बीच आम सहमति बनाने और इन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए जल संसाधन मंत्रालय द्वारा एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है.' 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए लोजपा के लोकसभा सांसद चंदन सिंह (Lok Sabha MP Chandan Singh) ने कहा कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त पानी के उचित उपयोग और डायवर्जन के लिए नदियों को आपस में जोड़ना आवश्यक है. चंदन सिंह संसदीय समिति के सदस्य भी हैं.

सिंह ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि संबंधित मंत्रालय परियोजना के शीघ्र निष्पादन के लिए राज्य सरकार के संपर्क में है. ये न केवल राज्य को बाढ़ और अतिरिक्त पानी से बचाएगा, बल्कि परियोजना को लागू करने से सूखा प्रभावित राज्यों को भी मदद मिलेगी.नदियों को आपस में जोड़ने से सूखे के साथ-साथ बाढ़ से भी निजात मिलेगी.' उन्होंने कहा कि सभी संबंधित राज्य सरकारों को आगे आना चाहिए और लंबे समय से प्रतीक्षित परियोजना के कार्यान्वयन में तेजी लानी चाहिए.

पढ़ें- नदी जोड़ो परियोजना को गति देने के लिये बजटीय आवंटन, प्राधिकार के गठन का प्रस्ताव

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